मंझौल : अनुमंडल व्यवहार न्यायालय मंझौल के मुंशी की गोली मारकर हत्या कर दिये जाने के बाद मंगलवार को कोर्ट परिसर में मातमी सन्नाटा पसरा रहा.उक्त घटना से मर्माहत कोर्ट के साथी मुंशियों एवं अधिवक्ताओं ने कोर्ट परिसर में शोकसभा का आयोजन किया.सभा में अधिवक्ताओं ने सरकार व शासन प्रशासन की आलोचना की.अधिवक्ताओं ने अपराधियों […]
मंझौल : अनुमंडल व्यवहार न्यायालय मंझौल के मुंशी की गोली मारकर हत्या कर दिये जाने के बाद मंगलवार को कोर्ट परिसर में मातमी सन्नाटा पसरा रहा.उक्त घटना से मर्माहत कोर्ट के साथी मुंशियों एवं अधिवक्ताओं ने कोर्ट परिसर में शोकसभा का आयोजन किया.सभा में अधिवक्ताओं ने सरकार व शासन प्रशासन की आलोचना की.अधिवक्ताओं ने अपराधियों को अविलंब गिरफ्तार करने और स्पीडी ट्रायल के माध्यम से दोषियों को सजा दिलवाने की मांग की.
मृतक मुंशी के परिजनों को जीवन यापन हेतु उचित मुआवजे की राशि उपलब्ध कराने की मांग की. अध्यक्षता वकील रामबाबू चौधरी व दिलीप शर्मा ने संयुक्त रूप से की. मौके पर अधिवक्ता सुरेश कुमार, रामचंद्र प्रसाद सिंह,अरविंद सिंह,हसनैन आलम,मुंशी कौशल किशोर सिंह, चंद्र मणि सिंह, विपिन कुमार मिश्रा, महादेव सिंह, रवींद्र सिंह सहित अन्य मौजूद थे.
वर्ष 2016 में काट दिया था हाथ : केस में समझौता होने के बाद उनकी बहन पुन: ससुराल गयी. एक-दो माह ठीक से रही. फिर वर्ष 2016 में ससुराल वालों ने रीतु का हाथ काट दिया था. मुंशी वीरेंद्र ने अपनी बहन के ऊपर हो रहे जुल्म के विरुद्ध फिर केस दर्ज करा दिया था. यह केस चल रहा था. इसकी देखरेख मुंशी वीरेंद्र ही करता था. इसे उठाने के लिए कई बार धमकी भी दी थी. लेकिन वे सजा दिलाने की जिद पर अड़े रहे. जब कोई गुंजाइश नहीं रही तो 27 नवंबर की शाम उनको गोली मार कर हत्या कर दी गयी.
पति की लड़ाई को कमजोर नहीं होने दूंगी: मृतक की पत्नी चुनमुन देवी की आंखें भरी थीं. दोनों बच्चियों के चेहरे पर सिर से पिता का साया उठाने की पीड़ा झलक रही थी. बताया कि पति की लड़ाई को कमजोर होने नहीं दूंगी. हत्यारों को फांसी पर लटकाने के लिए संघर्ष करूंगी. मंगलवार की सुबह मुंशी वीरेंद्र सिंह का शव जैसे ही उनके पैतृक गांव छौड़ाही-पनसल्ला पहुंचा कि लोगों में कोहराम मच गया. वर्तमान में वह महमदपुर में मकान बनाकर रह रहे थे.