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क्रिकेट खेलने गया था, नहीं लौटा

फैसला. आरोपितों को आजीवन कारावास की सजा मिलने पर मृतक के मां-पिता ने कहा सत्य परेशान होता है, पराजित नहीं मटिहानी : मटिहानी ग्राम पंचायत एक के मुखिया सह लोजपा नेता अरविंद सिंह समेत छह आरोपितों को जिला एवं सत्र न्यायाधीश गंगोत्री राम त्रिपाठी ने आजीवन कारावास की सजा धारा 302,149 के तहत सुनायी . […]

फैसला. आरोपितों को आजीवन कारावास की सजा मिलने पर मृतक के मां-पिता ने कहा

सत्य परेशान होता है, पराजित नहीं
मटिहानी : मटिहानी ग्राम पंचायत एक के मुखिया सह लोजपा नेता अरविंद सिंह समेत छह आरोपितों को जिला एवं सत्र न्यायाधीश गंगोत्री राम त्रिपाठी ने आजीवन कारावास की सजा धारा 302,149 के तहत सुनायी . सजा सुनाये जाने को लेकर बेगूसराय न्यायालय परिसर में अरविंद समर्थकों की भारी भीड़ जमा थी. इसके तहत पुलिस प्रशासन के द्वारा पूरे न्यायालय परिसर को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था. जैसे ही न्यायालय के द्वारा दिन के 11 बजे सजा सुनायी गयी वैसे बाहर हलचल मच गयी. अरविंद समर्थक निराश होकर न्यायालय से लौटने लगे.वहीं दूसरी ओर इस फैसले के बाद मृतक के परिजनों ने संतोष व्यक्त किया. हालांकि इस दौरान पुत्र को खोने वाले माता-पिता के आंखों से आंसू टपकने लगे.
सत्य परेशान होता है पराजित नहीं:न्यायालय ने जैसे ही सजा का एलान किया वैसे ही मृतक के पिता मटिहानी निवासी अवकाश प्राप्त शिक्षक महेश्वर यादव एवं मां शांति देवी ने कहा कि सत्य परेशान भले ही होता है लेकिन वह कभी भी पराजित नहीं होता है. मृतक के मां-पिता ने भावुक स्वर में कहा कि मेरा बेटा लौट कर तो नहीं आयेगा. लेकिन न्यायालय के इस फैसले से मेरे पुत्र के आत्मा को शांति मिलेगी. इन लोगों ने कहा कि हमलोगों ने पुत्र गंवाने के बाद धैर्य रखा और न्यायालय पर भरोसा रखा. हमलोगों को पूर्ण विश्वास था कि हमलोगों को न्याय अवश्य मिलेगा.
बेटे की याद में गुरुवार को मां नहीं बनाती है खाना :राकेश उर्फ फंटुश अपनी मां का काफी प्यारा था. बताया जाता है कि जब तक वह घर नहीं लौटता था उसकी मां उसका बेसब्री से इंतजार करती थी. 4 मई 2006 को भी राकेश की मां शांति देवी अपने पुत्र के घर लौटने का इंतजार कर रही थी. पुत्र अपनी मां को बता कर गया था कि वह क्रिकेट खेलने जा रहा है और शीघ्र ही वापस घर लौट कर आयेगा. शाम में राकेश के लिए खाना-बना कर उसका इंतजार करने लगी. लेकिन मां को यह क्या पता था कि अब उसका लाडला कभी लौट कर उसके पास नहीं आयेगा. काफी देर तक इंतजार करने के बाद मनहूस खबर पहुंचा कि राकेश अब इस दुनिया में नहीं है. उसकी हत्या कर दी गयी है. बताया जाता है कि जिस दिन राकेश की हत्या हुई थी. वह गुरुवार का दिन था. इसी के तहत राकेश की मां अब तक गुरुवार के दिन उसकी याद में खाना नहीं बनाती है.
कैसे हुई थी राजेश उर्फ फंटूश की हत्या :चार मई 2006 को शाम पांच बज कर 15 मिनट पर राकेश कुमार क्रिकेट मैच खेलने माली टोला सिहमा गया. मैच के समापन के बाद जब वह घर लौट रहा था तो उसे कुछ अनहोनी की आशंका हुई. इसके बाद भयभीत होकर वह वहां से भागने का प्रयास किया. बताया जाता है कि जब कुछ लोग उसका पीछा करने लगे तो वह काफी दूर तक भागने का प्रयास किया लेकिन चारों तरफ से वह घेराबंदी में फंस गया. इसके बाद उसे गोलियों से छलनी कर दिया गया. राकेश की मौत की खबर जंगल में आग की तरह फैल गयी. पूरे इलाके में उस समय दहशत का माहौल उत्पन्न हो गया.

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