अमरपुर. नगर क्षेत्र स्थित चंसार पोखर के समीप आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. कथा के तीसरे दिन शनिवार को कथावाचिका व्यास सुश्री निशु भारद्वाज ने ध्रुव की तपस्या, भक्त और भगवान का मिलन, प्रियव्रत के प्रसंग का वाचन किया. कहा कि बालक ध्रुव ने भगवान विष्णु की तपस्या की थी. ध्रुव की तपस्या की कथा में कहा कि ध्रुव, राजा उत्तानपाद और रानी सुनीति के पुत्र थे. एक बार सुरुचि ने ध्रुव को राजा उत्तानपाद की गोद से उतार दिया था. इसके बाद ध्रुव अपनी मां सुनीति के पास पहुंचा. मां ने उसे भगवान की भक्ति के ज़रिये लोक-परलोक के सुख पाने का रास्ता बताया. ध्रुव ने घर छोड़ दिया और वन में देवर्षि नारद की कृपा से ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र की दीक्षा ली. ध्रुव ने यमुना नदी के किनारे मधुवन में तप किया, छह महीने तक कठोर तपस्या की. भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दे दिये. जिस जगह प्रभु प्रकट हुए, उस स्थान को ध्रुव टीला के नाम से जाना जाता है. भगवान ने प्रसन्न होकर उन्हें अविचल पद का वरदान दिया. ध्रुव को आकाश में एक स्थायी स्थान प्राप्त हुआ और वह ध्रुव तारा के रूप में प्रसिद्ध हुआ. इस मौके पर यजमान मनीष झा व उनकी पत्नी दुर्गा झा, आचार्य वेद पांडे श्रीकन्हैया शांडिल्य जी महराज, आचार्य मुकेश मिश्रा द्वारा पूजन किया गया. इस मौके पर समिति के विवेकानंद मेहता, अविनाश कुमार, जीवन मंडल, चिंटू मोदी, गौतम मंडल, दीपक पोद्दार, राम केशरी, राजकुमार पोद्दार समेत अन्य सदस्य के अलावा काफी संख्या में श्रोतागण मौजूद थे.
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