स्थानीय रैयत द्वारा दायर टाइटल शूट पर कोर्ट के फैसले पर हुई कार्रवाई फोटो 14 बीएएन 105 कार्रवाई का विरोध करते स्कूली बच्चे, 106 अभियान में जुटा बुलडोजर व 107 मौजूद एसडीपीओ, थानाध्यक्ष व अन्य कटोरिया. आमतौर पर सरकारी जमीन को मुक्त करने के लिए प्राइवेट भवन पर बुलडोजर चलने का मामला सुना व देखा जाता है. लेकिन सुईया बाजार में प्राइवेट जमीन को मुक्त करने के लिए सरकारी भवन यानि मध्य विद्यालय सुईया व वन विभाग के पुराने भवन पर रविवार को बुलडोजर लाया गया. इस दौरान कोर्ट व जिला प्रशासन द्वारा प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी के अलावा पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भी दल-बल के साथ मौजूद रहे. कार्रवाई के दौरान स्कूल के सैकड़ों छात्र-छात्राएं हाथों में तख्तियां लेकर ‘एक, दो, तीन-चार, बंद करो ये अत्याचार’ के नारे भी लगाते रहे, लेकिन यहां एक साथ चल रहे दो-दो प्रशासनिक बुलडोजर की आवाज के बीच देश के होनहार भविष्य कहे जाने वाले प्रदर्शनकारी नौनिहालों की आवाज धीमी पड़ गई. मध्य विद्यालय की चहारदिवारी व शौचालय के अलावा वन विभाग का पुराना भवन ध्वस्त कर रैयत की अतिक्रमित भूमि को मुक्त कराने की कार्रवाई पूरी की गई. सुईया बाजार के घुठिया मुहल्ला निवासी रैयत रामप्रवेश सिंह द्वारा करीब नौ सालों पहले सिविल कोर्ट में दायर टाइटल शूट में फैसला के उपरांत लगभग 23 डिसमल अतिक्रमित जमीन को खाली कराया गया. इस मौके पर एसडीपीओ डा रवींद्र मोहन प्रसाद, सुईया थानाध्यक्ष कन्हैया कुमार झा, मजिस्ट्रेट सह चांदन बीसीओ औंकार कुमार, बीइओ सुरेश ठाकुर, सिविल कोर्ट के नाजिर अरविंद कुमार आदि मौजूद थे. स्कूल के चहारदिवारी व शौचालय पर बुलडोजर चलने की कार्रवाई के दौरान सैकड़ों की संख्या में स्थानीय अभिभावक व ग्रामीण मौजूद थे. विदित हो कि वर्ष 1969ई में रैयत रामप्रवेश सिंह के पूर्वज गोविंद सिंह ने सुईया में स्कूल खोलने के लिए दो एकड 69 डिसमल जमीन राज्यपाल के नाम रजिस्ट्री की थी. दान की जमीन पर भी परिवार के कई सदस्यों ने अतिक्रमण कर इसका व्यवसायिक इस्तेमाल भी किया. इधर रैयत रामप्रवेश सिंह ने कहा कि उन्होंने स्कूल भवन वाली जमीन को छोड़कर ही टाइटल शूट दायर किया था. ताकि विद्यालय में पठन-पाठन का कार्य संचालित होता रहे.
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