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सरकट डैम की नहर अधूरी, किसान निराश

विभागीय उदासीनता का शिकार बना सरकट डैम बांका : फुल्लीडुमर, बांका व कटोरिया प्रखंड सीमा पर स्थित सरकट डैम बने एक दशक से अधिक हो गया है. लेकिन वर्तमान में डैम की स्थिति यह है कि इस डैम से न तो सरकार को मछली पालन से राजस्व की प्राप्ति हो रही है और न ही […]

विभागीय उदासीनता का शिकार बना सरकट डैम

बांका : फुल्लीडुमर, बांका व कटोरिया प्रखंड सीमा पर स्थित सरकट डैम बने एक दशक से अधिक हो गया है. लेकिन वर्तमान में डैम की स्थिति यह है कि इस डैम से न तो सरकार को मछली पालन से राजस्व की प्राप्ति हो रही है और न ही इस क्षेत्र के किसानों को सिंचाई का लाभ मिल पा रहा है. ज्ञात हो इस डैम व नहर का निर्माण चौवटिया कंस्ट्रक्शन द्वारा कराया गया था, जो फिलहाल विभागीय उदासीनता का शिकार बना हुआ है. कुछ वर्ष पहले इस डैम का डाक हुआ करता था.
इससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती थी. वर्तमान में दो वर्षों से डैम का डाक नहीं हुआ है. लोग यूं ही मछली मार कर बंदरबांट कर रहे हैं. वहीं इस डैम से दो केनाल निकाला गया है. इसमें एक चालू है, जिसका पानी ओल्हानी गांव की ओर जाता है. इस गांव के लोग इससे लाभान्वित भी हैं. जबकि दूसरी नहर(केनाल) का कार्य आधा अधूरा है. जो नाढ़ा पहाड़, इनारावरण गांव की ओर जाता है. इस इलाके लिए यह नहर चिढ़ाने का काम कर रही है. सिंचाई तो दूर नहर का कार्य भी पूरा नहीं किया गया है.
कहते हैं ग्रामीण
इस संबंध में ग्रामीण नंददेव यादव, गणेश यादव, रंजीत यादव नाढ़ा पहाड़ निवासियों ने बताया कि नहर का कार्य अधूरा है. यदि यह नहर पूरा हो जाता, तो हमलोगों को सिंचाई की समस्या से निजात मिल सकती थी. वही केड़िया, गोड़ा निवासी विवेक कुमार, दीनबन्धु राय का कहना था कि स्थानीय जनप्रतिनिधि के उदासीन रवैये से यह क्षेत्र उपेक्षित है. जबकि इनारावरण निवासी मणिकांत साह ने बताया कि सरकट डैम का नहर यदि पूरा हो जाता तो इस क्षेत्र के हजारों किसानों के लिए खुशी की बात होगी. टूघरों निवासी पप्पू व कामेश्वर यादव का कहना था कि फिलहाल इस डैम से न तो सरकार को फायदा मिल पा रहा है और न ही आम जन इससे लाभान्वित हो पा रहे हैं.
कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में मत्स्य पदाधिकारी संजय कुमार किस्कू ने बताया कि डैम का डाक लेने के लिए फिलहाल कोई तैयार नहीं है. ऐसे में कुछ दिनों बाद संभव है डैम का डाक हो.

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