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झरना पहाड़ पर नहीं है पेयजल की व्यवस्था

झरना पहाड़ पर नहीं है पेयजल की व्यवस्था फोटो 2 बांका 6 झरना तालाब की तसवीर प्रतिनिधि, बांका जिले के पर्यटन स्थलों का यदि नाम लिया जाय तो जिला मुख्यालय से महज 11 किलो मीटर की दूरी पर अमरपुर प्रखंड क्षेत्र के अंतर्गत झरना पहाड़ अवस्थित है, जो कि मनोरम वादियों के बीच है. यूं […]

झरना पहाड़ पर नहीं है पेयजल की व्यवस्था फोटो 2 बांका 6 झरना तालाब की तसवीर प्रतिनिधि, बांका जिले के पर्यटन स्थलों का यदि नाम लिया जाय तो जिला मुख्यालय से महज 11 किलो मीटर की दूरी पर अमरपुर प्रखंड क्षेत्र के अंतर्गत झरना पहाड़ अवस्थित है, जो कि मनोरम वादियों के बीच है. यूं तो यहां पर लोगों का आना-जाना सालों भर लगा रहता है, लेकिन साल के प्रथम दिन नववर्ष के अवसर पर सैलानियों का जमावड़ा होता है, जो यहां पिकनिक मनाने पहुंचते हैं. इसके बाद 14 जनवरी को मकर संक्रांत के अवसर पर यहां मेला लगता है और उस दिन वर्ष के प्रथम दिन से ज्यादा मकर सक्रांति पर लोगों की भीड़ उमड़ती है.—पर्यटन के दृष्टिकोण से नहीं है विकसित. जिला मुख्यालय से महज 11 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित झरना पहाड़ जो प्रकृति के गोद में बसा है, जहां चारों ओर हरियाली छटा फैली है. पर्यटन के दृष्टिकोण से यह जगह विकसित नहीं है. जिला बने 25 वर्ष बीत जाने के बाद भी जिले के एक मात्र पर्यटन क्षेत्र मंदर पर ही जिला प्रशासन व राज्य के पर्यटन विभाग का नजर है, लेकिन मंदार पर लगने वाले रोपवे कार्य योजना आज भी कटाई में है. वर्ष 2015 में राज्य के तात्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी व पर्यटन मंत्री डाॅ जावेद इकबाल अंसारी के द्वारा रोपवे निर्माण का आधारशिला रखा गया था, लेकिन राज्य में सरकार बदलने के बाद रोपवे निर्माण का कार्य शिथिल पड़ा हुआ है. वही इसके अलावा जिले के अन्य पर्यटन क्षेत्र झरना पहाड़, चांदन प्रखंड के झजवा पहाड़, बौंसी प्रखंड के चांदन डैम, बांका प्रखंड के ओढ़नी डैम, बेलहर प्रखंड के हनुमना डैम, फुल्लीडुमर के कोझी डैम, सरकटा डैम, नाडा पहाड, बेलहरना डैम सहित दर्जन भर ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर पर्यटन का विकास किया जा सकता है. जो कि अब तक जिला प्रशासन व राज्य सरकार का ध्यान इस ओर नहीं है. सैलानी सिर्फ यहां पर कुछ खास दिनों में ही पहुंचते हैं. —झरना पहाड़ पर क्या है समस्या: यूं देखा जाय तो मंदार पर्वत उमड़ने वाली भीड़ के बाद दूसरा स्थान झरना पहाड़ पर लगने वाले मेले में उमड़ी भीड़ का ही होता है, जो प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को मनाया जाता है, लेकिन इतना बड़ा मेला और इतनी भीड़ होने के बावजूद जिला प्रशासन के द्वारा उक्त स्थल पर पेयजल के लिए एक भी चापानल नहीं लगाया गया है. यहां पर आने वाले सैलानी पेयजल के लिए तरस जाते हैं और पेयजल की खोज में इधर-उधर भकटते नजर आते हैं. झरना पहाड़ से निकलने वाले पानी ही मात्र पीने का साधन है, लेकिन वर्तमान में पहाड़ से निलकने वाले पानी का रास्ता जमीन के अंदर ही बदल गया है. इस कारण से लोगों को पानी की घोर समस्या झरना पहाड़ के आसपास है. — कहते हैं अधिकारी: पर्यटन क्षेत्र होने के नाते उन जगहों पर पर्यटन विभाग द्वारा ही पेयजल की व्यवस्था की जाती है. पर्यटन विभाग यदि हमारे विभाग को राशि उपलब्ध कराते हैं तो चापानल लगवा दिया जायेगा. साथ ही मैं अपने स्तर से प्रयास करता हूं कि मेरे विभाग से भी चापाकल लगाने की व्यवस्था हो सके. मनोज कुमार चौधरी, कार्यपालक अभियंता पीएचइडी, बांका

Prabhat Khabar Digital Desk
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