Bihar News: औरंगाबाद में शुक्रवार को सैकड़ों महिला रसोइयों ने अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर समाहरणालय का घेराव किया. यह घेराव राष्ट्रीय मध्याह्न भोजन रसोइया मोर्चा के बैनर तले किया गया. इस दौरान सभी रसोइयों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर जिला प्रशासन और बिहार सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
बहुत कम मानदेय पर काम कर रहे रसोइया
प्रदर्शनकारी रसोइयों ने बताया कि राज्य में लाखों की संख्या में रसोइया हैं, जो प्रधानमंत्री पोषण योजना के तहत बहुत कम मानदेय पर काम कर रहे हैं. अपनी समस्याओं को लेकर राष्ट्रीय मध्याह्न भोजन रसोइया मोर्चा ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया था और संगठन की ओर से उच्च न्यायालय पटना में याचिका भी दायर की गई थी. समस्याओं को लेकर कई बार ज्ञापन भी सौंपा गया. इसके बावजूद सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है, जिससे सभी रसोइयों में काफी निराशा है.
स्कूल में ही बनवाया जाए खाना
राष्ट्रीय मध्याह्न भोजन रसोइया फ्रंट के राज्य कार्यकारिणी सदस्य सह प्रभारी राजू कुमार राणा ने कहा कि उच्च न्यायालय पटना के आदेशानुसार रसोइयों को न्यूनतम मजदूरी दी जाए. साल के बारह महीने का मानदेय भुगतान समय पर किया जाए. प्रधानमंत्री पोषण योजना का ठेका एनजीओ से लेना बंद किया जाए तथा विद्यालय परिसर में ही गर्म भोजन बनाकर बच्चों को परोसा जाए, ताकि बच्चों को पौष्टिक भोजन मिल सके.
हर महीने की 7 तारीख को मिले वेतन
राजू कुमार राणा ने कहा कि सभी रसोइयों को भविष्य निधि योजना का लाभ दिया जाए. काम के दौरान चोट लगने या चोट लगने पर सभी रसोइयों के इलाज के लिए सरकार की ओर से पैसे दिए जाएं. रसोइयों का मानदेय हर महीने की 7 तारीख तक भुगतान किया जाए. सभी कार्यरत रसोइयों को मातृत्व अवकाश और विशेष अवकाश लागू कर लाभ दिया जाए. बिहार सरकार सभी महिला रसोइयों को साल में दो सुट्टी साड़ी और पुरुष रसोइयों को पैंट-शर्ट देने की घोषणा करे.
रसोइयों को मिले छुट्टी
राजू कुमार राणा ने कहा कि बिहार सरकार रसोइया और सहायिकाओं को ईएसआई योजना से जोड़कर लाभ प्रदान करे. जितने भी रसोइया नियुक्त हों, उनकी नियुक्ति अधीनस्थ जिला पदाधिकारी या जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा की जाए. रसोइया के अस्वस्थ होने या कोई जरूरी काम होने पर छुट्टी दी जाए. अक्सर देखा गया है कि काम के अभाव में रसोइया कहीं जा नहीं पाती. समय पर वेतन नहीं मिलने और मानदेय कम होने के कारण परिवार का खर्च चलाने में असमर्थ हैं.
डीएम को सौंपा ज्ञापन
कलेक्ट्रेट घेराव के दौरान टीम के पांच सदस्यों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर मांगों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया. रसोइयों ने कहा कि यदि इन सभी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे.
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रसोइयों की 12 सूत्री मांग
- रसोइयों को उच्च न्यायालय पटना के आदेशानुसार न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाए.
- वर्ष के बारहों माह के वेतन का मानदेय भुगतान समय पर किया जाए.
- प्रधानमंत्री पोषण योजना को ठेकेदारी करण एनजीओ से रोका जाए तथा विद्यालय परिसर में ही गर्म भोजन बनवाकर बच्चों को परोसा जाए, जिससे बच्चों को पौष्टिक भोजन मिल सके.
- सभी रसोइयों को भविष्य निधि योजना का लाभ दिया जाना चाहिए.
- कार्य के दौरान चोट लगने या घायल होने पर सभी रसोइयों के इलाज की राशि सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जानी चाहिए.
- रसोइयों के मानदेय का भुगतान प्रत्येक माह सात तारीख तक हो जाना चाहिए.
- सभी कार्यरत रसोइयों को मातृत्व अवकाश व विशेष अवकाश लागू कर लाभ दिया जाए.
- सभी महिला रसोइयों को वर्ष में दो सुती साड़ी और पुरुष रसोइयों को पैंट-शर्ट देने की घोषणा बिहार सरकार द्वारा किया जाए.
- रसोइयों व सह-सहायकों को ईएसआई स्कीम से जोड़कर बिहार सरकार लाभ दे.
- जितनी भी रसोइयों की नियुक्ति होती है इसका अधीनस्थ जिला पदाधिकारी या जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा कराया जाए.
- रसोइयों को विद्यालय में मानसिक उत्पीड़न करने से रोका जाए.
- रसोइयों की तबीयत खराब होने या आकस्मिक कोई जरूरी कार्य होने पर अवकाश की स्वीकृति दिया जाए.
(औरंगाबाद से मनीष राज सिंघम की रिपोर्ट)
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