ओबरा.
प्रखंड के अधौरा गांव के समीप सोन नदी के बालू घाट से हो रहे खनन को ग्रामीणों ने बंद करा दिया है. रविवार को दर्जनों की संख्या में ग्रामीण बालू घाट पहुंचे और नियमों का हवाला देते हुए आक्रोश जताया. जानकारी मिली कि उक्त बालू घाट क्लस्टर संख्या 11 ए मां पार्वती इंटरप्राइजेज द्वारा संचालित की जा रही थी. ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि यहां तय सीमा से अधिक समय तक बालू की निकासी घाट संचालक द्वारा किया जा रहा था. मनमानी और लापरवाही पर ध्यान देना ग्रामीणों की भी जिम्मेवारी है. अंतत: उक्त घाट को बंद करा दिया गया. ग्रामीणों ने यह भी कहा कि ग्रामीण रोड पर ओवरलोड वाहनों का परिचालन किया जा रहा है, जिससे ग्रामीण सड़क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है. सड़क क्षतिग्रस्त होने से एंबुलेंस व स्कूली छात्राओं को जाने में काफी परेशानी हो रही है. सरकार की ओर से इस घाट से 25 हेक्टेयर बालू निकासी का रकबा मिला हुआ है, लेकिन यहां 50 फुट से भी ज्यादा तक खनन घाट संचालक द्वारा किया जा रहा है. घाट के नजदीक ही भारी माल की डंपिंग की जा रही है. तय सीमा से अधिक खनन होने पर नदी गहरी हो चुकी है. ग्रामीण सुरेंद्र यादव, अवधेश सिंह, गोरख चौधरी, ब्रज प्रजापति, राहुल कुमार, मुन्ना प्रजापति, ओम चौधरी ने बताया कि ज्यादा खनन होने से जान-माल का खतरा बन जाता है. कुछ दिन पूर्व ही एक बच्चा नदी के गड्ढे में चला गया और वह डूबने लगा. किसी तरह आसपास के किसानों ने उसे बचाया. अधिक खनन से उनके जमीन का कटाव बढ़ गया है. अपनी जमीन की वे मालगुजारी दे रहे हैं, लेकिन घाट द्वारा किसी तरह की मदद उन्हें नहीं की जाती है. पर्यावरण संतुलन बनाने के लिए घाट संचालक को पेड़ लगाने का निर्देश दिया गया था. इसके बाद भी पेड़ नहीं लगाये गये. घाट संचालन में सरकारी नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. अधिक बालू निकासी होने से पानी का लेयर भी गांव में नीचे चला गया है. उलटे उन्हें झूठे केस में फसाने की धमकी दी जाती है. बड़े-बड़े हाईवा व ट्रकों का परिचालन होने से उन्हें परेशानी हो रही है. ग्रामीणों ने डीएम का ध्यान आकृष्ट कराते हुए जांच कर कार्रवाई की मांग की है. इधर, घाट संचालक से पक्ष जानने का प्रयास किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

