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तीन किलोमीटर की सड़क पूरी तरह जाम, कराहते रहे वाहन व लोग

Aurangabad news. औरंगाबाद शहर की यातायात स्थिति भयावह हो गयी है. जाम नाम का कोढ़ अब भय का रूप ले चुका है. सच कहें, तो न कोई देखने वाला है और न सुनने वाला. इस मर्ज का इलाज आखिर कब होगा, यह बताने वाला कोई नहीं है.

अनेदखी. कोई प्लान नहीं होने से शहर में जाम का मर्ज बनता जा रहा विकराल

ओवरब्रिज से रमेश चौक और फिर रमेश चौक से धरनीधर मोड़ तक रेंगते हैं वान

जनप्रतिनिधियों से लेकर जिम्मेदार अधिकारियों तक सब बने तमाशबीन

फोटो नंबर-8,8ए- ओवरब्रिज के समीप महाजाम में फंसे वाहन व लोग.

प्रतिनिधि, औरंगाबाद कार्यालय.

औरंगाबाद शहर की यातायात स्थिति भयावह हो गयी है. जाम नाम का कोढ़ अब भय का रूप ले चुका है. सच कहें, तो न कोई देखने वाला है और न सुनने वाला. इस मर्ज का इलाज आखिर कब होगा, यह बताने वाला कोई नहीं है. पहले औरंगाबाद के लोग पुराने जीटी रोड के जाम से त्रस्त थे. समाधान के लिए गुहार लगाते थे. अब महाराजगंज रोड की वही हालत हो गयी है. ऐसे में किस-किस सड़क के जाम से समाधान की गुहार लोग लगाये. हर दिन के जाम के समाधान के लिए न यहां के जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहे हैं और न ही जिला प्रशासन के अधिकारी. पूरे शहर की स्थिति भयावह हो गयी है. कब कौन जाम में फंस कर कराह उठे, कहा नहीं जा सकता. ओवरब्रिज से रमेश चौक और फिर रमेश चौक से धरनीधर मोड़ तक यानी लगभग तीन किलोमीटर की सड़क पूरी तरह जाम के हवाले है. शाम के वक्त तो व्यस्त सड़कों पर वाहन के पहिये सिसकते और रेंगते हुए नजर आते हैं. शनिवार की सुबह से लेकर दोपहर तक ओवरब्रिज की सड़क महाजाम में तब्दील हुई नजर आयी.

अतिक्रमणकारियों से अधिक ऑटो चालक जाम के लिए जिम्मेदार

शहर में हर दिन लगने वाले जाम के लिए अतिक्रमणकारियों से अधिक ऑटो चालक जिम्मेदार हैं. शहर में ऑटो की संख्या तीन हजार से अधिक है. एक तरह से यह लाइफलाइन है, लेकिन ऑटो चालकों को न नियम की परवाह है और न कानून की. एक ही लेन में तीन-तीन ऑटो एक साथ घुसने से जाम की स्थिति बन जाती है. अक्सर ऑटो चालकों से आम लोगों की कहासुनी होती है. जिला प्रशासन को इस पर ध्यान रखने की आवश्यकता है.

रूट निर्धारण की आवश्यकता

शहर को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए रूट निर्धारण पर वर्षों से चर्चा होती रही है, लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं है. वर्षों पहले एक अधिकारी ने जाम से मुक्ति दिलाने के लिए ऑटो चालकों के साथ बैठक की थी और रूट निर्धारण करने पर जोर दिया था. उनके जाते ही रूट निर्धारण का मामला ठंडे बस्ते में चला गया. जब तक ऑटो का रूट निर्धारण नहीं होगा, तब तक जाम की समस्या बनी रहेगी.

व्यवसायियों का व्यवसाय हो रहा प्रभावित

औरंगाबाद शहर के जाम से सिर्फ आम लोग ही नहीं, बल्कि बहुत से व्यवसायियों का व्यवसाय भी प्रभावित हो रहा है. व्यवसायियों की दुकानों के आगे बेतरतीब वाहन खड़े कर दिये जाते हैं. शहर में वाहन स्टैंड का अभाव होने की वजह से खासकर बाइक चालकों की मजबूरी है. शहर में जाम की वजह से बहुत से लोग खरीदारी करने मुख्य बाजार तक नहीं पहुंच पाते हैं. जाम में फंसने का भय अक्सर बना रहता है. जिन अधिकारियों के ऊपर समस्या के समाधान की जिम्मेदारी है, वे सिर्फ आश्वासन देते रहे हैं. आखिर आश्वासन कब धरातल पर उतरेगा.

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