फसलों के उत्पादन के साथ मृदा स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए मिट्टी जांच जरूरी
नयी तकनीक के सहारे कृषि यंत्र से फसल अवशेष का प्रबंधन करने की जरूरतविश्व मृदा दिवस पर किसानों के स्वायल हेल्थ कार्ड किया गया वितरण
औरंगाबाद/कुटुंबा. धरती मनुष्य के लिए सबसे बड़ी धरोहर है. इसमें सभी तरह की प्राकृतिक संरचनाएँ निहित हैं. यह बातें डीएचओ डॉ श्रीकांत ने कहीं. वे शुक्रवार को संयुक्त कृषि भवन औरंगाबाद में आयोजित विश्व मृदा दिवस के अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि कृषक वर्ग यदि आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ हवा, निर्मल जल और हरी-भरी धरती के साथ सुखमय जीवन चाहता है, तो उन्हें धरती को सुरक्षित रखने का प्रयास करना होगा. असंतुलित मात्रा में रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी बंजर होती जा रही है, इसलिए किसानों को अभी से सचेत होने की आवश्यकता है. किसान अन्नदाता हैं और उनके कठिन परिश्रम से अनेक तरह के जीव-जंतुओं को आहार मिलता है. कार्यक्रम का उद्घाटन डीएचओ डॉ. श्रीकांत, सहायक निदेशक रसायन दीपक कुमार, एएसओ राकेश कुमार, एपीडी आत्मा राजेश रंजन, बीज विश्लेषण प्रयोगशाला के उप निदेशक दीपक कुमार और मौसम वैज्ञानिक डॉ अनूप कुमार चौबे ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया. कार्यक्रम का संचालन संत कुमार ने किया.बेहतर उत्पादन के लिए मिट्टी जांच अत्यंत आवश्यक
सहायक निदेशक दीपक कुमार ने कहा कि बेहतर उत्पादन और मृदा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए मिट्टी जांच आवश्यक है. फसल की कटाई के बाद किसानों को मिट्टी की जांच जरूर करानी चाहिए, ताकि उसमें उपलब्ध पोषक तत्वों की जानकारी मिल सके. इसके बाद किसान संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों का उपयोग कर फसलों का उत्पादन और गुणवत्ता दोनों बढ़ा सकते हैं. इस दौरान किसानों के बीच मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण किया गया. उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा जैविक खादों का उपयोग करना चाहिए, ताकि मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहे. मिट्टी की सेहत बिगड़ने पर फसलों में कीट-व्याधि और रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है, साथ ही खरपतवार भी अधिक उगने लगते हैं.कृषि यंत्रीकरण से मिट्टी की उर्वराशक्ति बढ़ेगी
उप निदेशक कृषि अभियंत्रण ने कहा कि कृषि यंत्रीकरण से किसान फसल अवशेष का प्रबंधन कर मिट्टी की उर्वराशक्ति बढ़ा सकते हैं. अनुमंडल कृषि पदाधिकारी ने भी मिट्टी जांच कराने के लाभ बताते हुए संतुलित उर्वरक उपयोग पर जोर दिया.उर्वरकों के दुरुपयोग से बिगड़ रहा है प्राकृतिक संतुलन
मौसम वैज्ञानिक डॉ. अनूप चौबे ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी का दोहन और क्षरण हो रहा है. पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. मानवजनित गतिविधियाँ भी प्रकृति को क्षति पहुुंचा रही हैं. उन्होंने कहा कि किसान कम जुताई, फसल चक्र, जैविक उर्वरक का उपयोग और गर्मी में खेतों में कवर फसल जैसी संधारणीय मृदा प्रबंधन पद्धतियाँ अपनाकर मिट्टी की सेहत सुधार सकते हैं. ये पद्धतियां मिट्टी की जैव विविधता और उर्वरता दोनों को बढ़ाती हैं तथा कार्बन संरक्षण में भी मददगार है. कार्यक्रम में मिट्टी जांच प्रयोगशाला कार्यालय की मेघा बधानी, कुमारी मृदुला कृष्णा, चंद्र प्रताप सिंह, धर्मेंद्र कुमार सहित दर्जनों किसान उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

