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भतीजी की चौठारी के दिन चाचा की हुई मौत, गांव में मातम

घटना प्रखंड क्षेत्र के दुधमी गांव की है घटना

कुटुंबा.

विधि का विधान अजीब है, जो टालने से भी नहीं टल सकता. जिसे लोग अनहोनी कहते हैं, वह होकर हीं रहती है. कभी-कभी असामायिक घटनाएं मनुष्य को झंकझोर कर रख देती है. वैसे तो मृत्यु प्रकृति का शाश्वत सत्य है, पर स्वस्थ व्यक्ति की असमय मौत से उसके परिवार पर दुःख का पहाड़ टूट जाता है. यहीं नहीं गांव घर के साथ पूरा समाज भी दुःखी होता है. इसी तरह की घटना प्रखंड क्षेत्र के दुधमी गांव में हुई है. उक्त गांव निवासी 53 वर्षीय विजय सिंह की शनिवार की सुबह अचानक मौत हो गयी. उनके वंशज मूल रूप से इसी प्रखंड के ढीबर गांव के रहने वाले हैं. विगत्त कई दशक दुधमी रहा करते है. हांलाकि, उक्त दोनों गांवों में घर-मकान है और खेती होती है. स्व सिंह की असममायिक मौत से उनके घर कोहराम मचा हुआ है.

शादी के बाद भतीजी की विदाई कर लौटे थे विजय:

ढीबर गांव में मृतक के चचेरे भाई दिलीप सिंह की बेटी यानी उनकी भतीजी की शादी थी. वे पूरा परिवार शादी समारोह में शामिल होने गये थे. गुरुवार को उनके घर बारात आयी हुई थी. उसी दिन शादी रात में शादी का रस्म पूरा हुआ. दूसरे दिन शुक्रवार को बारात की विदाई हुई. इसके बाद वे कुछ देर के लिए पुनः दुधमी लौट आये. इसी क्रम में उनकी तबीयत खराब हो गयी. गांव वाले उन्हे उपचार के लिए रेफरल अस्पताल कुटुंबा ले गये. चिकित्सको ने ब्रेन हेमरेज की आशंका व्यक्त करते हुए बेहतर इलाज के लिए रेफर कर दिया. औरंगाबाद जाने के क्रम में रास्ते में उनकी मौत हो गयी. उनके घर चौठारी की तैयारी चल रही थी. समाजसेवी की मौत से मातम पसरा है. मृतक के तीन बेटी व दो बेटे है. एक छोटे बेटे की अभी शादी नही हुई है.

स्पष्टवादी व निर्भीक समाजसेवी थे विजय :

मृतक विजय सिंह स्पष्टवादी निर्भीक समाजसेवी थे. सभी तरह के सामाजिक कार्यों में वे बढ़-चढ़ कर भाग लेते थे. व्यक्ति के दुख-सुख में बढ़ चढ़कर हाथ बंटाना वे अपना कर्तव्य समझते थे. इस घटना से दुधमी व ढीबर सहित दर्जनो गांव में शोक व्याप्त है. मृतक के घर के सांत्वना देने पहुंचे लोग उनके परिजनो की चित्कार से भावुक हो जा रहे है. इधर पूर्व सांसद सुशील कुमार सिंह, विधायक राजेश कुमार, प्रमुख धर्मेंद्र कुमार, पूर्व प्रमुख सुदेश्वर कुमार, रिटायर्ड अधिकारी सूर्यपत सिंह, पंसस गोपाल सिंह, पूर्व पंसस नीकू देवी, अजीत कुमार, सुदर्शन पांडेय आदि ने संवेदना व्यक्त करते हुए परिजनो को दुख की घड़ी में धैर्य से काम लेने की बात कही. उनके बड़े भाई गोपाल शरण सिंह व नंद किशोर सिंह का कहना है कि उनके परिवार में अब इस तरह के साहस वाला कोई व्यक्ति नहीं रह गया है.

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