प्रभात पड़ताल
एकमात्र डॉक्टर का प्रमोशन होने से चरमरायी आंख रोग की व्यवस्थाऔरंगाबाद ग्रामीण. सदर अस्पताल औरंगाबाद में करीब एक महीने से नेत्र रोग के विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं. इससे मरीजों को भारी समस्या हो रही है. इसका मुख्य कारण नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ सुभद्रा का प्रमोशन होना बताया जा रहा है. उनके जाने के बाद से सदर अस्पताल में आंख के डॉक्टर का पद रिक्त है. अभी सिर्फ ऑप्थेल्मिक असिस्टेंट के भरोसे अस्पताल चल रहा है, लेकिन वे दिव्यांगता सर्टिफिकेट और मेडिकल जांच नहीं कर सकते. वे केवल आंख देखकर मरीजों का इलाज करेंगे. डॉक्टर के न होने से आंखों की जांच, इलाज और मेडिकल प्रक्रिया पूरी तरह ठप हो गई है, जिससे दूर-दराज से आने वाले मरीज निराश होकर लौटने को मजबूर हैं. सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्गों, बच्चों और छात्रों को हो रही है, जिनके लिए आंखों से संबंधित प्रमाणपत्र और इलाज बेहद जरूरी है. गरीब और मध्यम वर्ग के मरीज, जो सरकारी अस्पताल पर निर्भर रहते हैं, सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं. छात्रों को भी इस समस्या का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं, छात्रवृत्ति, शैक्षणिक प्रमाणपत्र और ड्राइविंग लाइसेंस के लिए जरूरी आंखों की जांच नहीं हो पा रही है. कई छात्र केवल नेत्र प्रमाण पत्र के अभाव में आवेदन प्रक्रिया पूरी नहीं कर पा रहे हैं. इसके साथ ही विकलांग (दिव्यांग) प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया भी बाधित है. आंखों से संबंधित दिव्यांगता प्रमाणित न होने के कारण पात्र लोगों को सरकारी योजनाओं, पेंशन और आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है. मंगलवार को मेडिकल टीम बैठती है, उस समय कुछ मरीजों का दिव्यांग प्रमाण पत्र बनता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को इस समस्या से अवगत कराया, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है.
मरीजों की परेशानी और अस्पताल की स्थिति
मरीजों का आरोप है कि जिला अस्पताल जैसे महत्वपूर्ण संस्थान में इस तरह की लापरवाही स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है. मरीज आस लेकर सदर अस्पताल आते हैं, लेकिन इलाज न होने के कारण घर लौट जाते हैं. सिर्फ ऑप्थेल्मिक असिस्टेंट के भरोसे आंख विभाग चल रहा है. इसके कारण छात्र भी अधिक प्रभावित हैं. आंख से संबंधित मरीजों की हल्की जांच ऑप्थेल्मिक असिस्टेंट द्वारा की जाती है और उन्हें रेफर कर दिया जाता है. रेफर के बाद मरीजों को मगध मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल जाना पड़ता है, जो औरंगाबाद से लगभग 90 किलोमीटर दूर है. एक दिन में आना-जाना मरीजों के लिए भारी समस्या बन जाता है.
अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया
सदर अस्पताल प्रबंधक प्रफुल्ल कांत निराला ने बताया कि डॉ सुभद्रा बहाल थीं, लेकिन उनके प्रमोशन होने के कारण वे पटना चली गयीं. अभी सिर्फ ऑप्थेल्मिक असिस्टेंट इलाज कर रहे हैं, लेकिन वे पुष्टि नहीं कर सकते. डॉ सुभद्रा ओपीडी और मेडिकल विभाग देखती थीं, जिससे मरीजों को कोई समस्या नहीं थी, लेकिन उनके जाने के बाद हालात खराब हो गये हैं.विभाग द्वारा एचआर एसेसमेंट मांगा गया था और भेज भी दिया गया है, लेकिन अभी तक डॉक्टर की बहाली नहीं हुई है.
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