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जनादेश के बाद अगली जंग : औरंगाबाद को मिलेगा मंत्री? तीन नाम सबसे आगे

विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद अब औरंगाबाद जिले की निगाहें एक नई उम्मीद पर टिकी हैं

फोटो नंबर-100- चेतन आनंद

101-प्रकाश चंद्र102- त्रिविक्रम नारायण सिंहसुधीर कुमार सिन्हा, औरंगाबाद शहर

विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद अब औरंगाबाद जिले की निगाहें एक नई उम्मीद पर टिकी हैं. क्या इस बार जिले को मंत्री पद का ताज मिलेगा? जीत का जश्न मना चुके समर्थक अब नई चर्चा में डूबे हैं. चाय की दुकानों से लेकर राजनीतिक गलियारों तक, हर जगह एक ही सवाल गूंज रहा है, किसे मंत्री बनाया जायेगा? लोग अपने-अपने तर्क सामने रख रहे हैं और तीन नाम लगातार चर्चा के केंद्र में हैं.ओबरा के लोजपा विधायक प्रकाश चंद्र, नवीनगर के जदयू विधायक चेतन आनंद और औरंगाबाद सदर के विधायक त्रिविक्रम नारायण सिंह.

ओबरा के प्रकाश चंद्र-अनुभव और संगठन में पकड़ के कारण नाम चर्चा में

ओबरा सीट से विजयी रहे लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रकाश चंद्र का नाम इसलिए तेजी से उभर रहा है, क्योंकि वे लंबे समय से संगठन के मजबूत चेहरे के रूप में पहचान रखते हैं. पार्टी के भीतर उनकी पकड़, कार्यकर्ताओं के साथ उनकी गहरी नजदीकी और क्षेत्र में उनके विकासाभियान को लेकर मिली स्वीकार्यता उन्हें मंत्री पद की दौड़ में स्वाभाविक दावेदार बनाती है. लोगों का कहना है कि प्रकाश चंद्र को मंत्री बनाये जाने से ओबरा सहित पूरे औरंगाबाद के विकास कार्यों को गति मिल सकती है. साथ ही, उनकी साफ-सुथरी छवि और जमीन से जुड़े रहने की आदत नेताओं की भी चर्चा में है. दूसरी बात यह है कि वैश्य समाज के एक बड़े धड़े का प्रतिनिधित्व करने के लिए उन्हें वैश्य समाज के कोटे से मंत्री बनाया जा सकता है. एक और बात चर्चा में यह है कि लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान के खास व्यक्तियों में वे शुमार हैं.

नवीनगर के चेतन आनंद : राजनीतिक पहुंच का मिल सकता है फायदा

बिहार विधानसभा चुनाव में औरंगाबाद के हॉट सीट माने जाने वाले नवीनगर विधानसभा सीट से जीतने वाले जनता दल यू के चेतन आनंद का नाम तेजी से चर्चा बटोर रहा है. चेतन आनंद को लेकर सबसे बड़ा तर्क यह सामने आ रहा है कि पार्टी को युवा चेहरों को आगे बढ़ाने की जरूरत है और चेतन की जीत ने यह संदेश दिया है कि नई पीढ़ी का नेतृत्व जनता स्वीकार कर रही है. चुनावी मैदान में उन्होंने मजबूती से मुकाबला किया और अपने क्षेत्र में विकास को गति देने का जो वादा किया वह लोगों को आकर्षित करता है. समर्थकों का कहना है कि चेतन आनंद को मंत्री बनाने से औरंगाबाद ,रोहतास और जहानाबाद का एक नया राजनीतिक संतुलन भी बनेगा. चेतन आनंद शिवहर की सांसद लवली आनंद और पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन के पुत्र है. ज्ञात हो कि वर्ष 2020 में चेतन राजद के टिकट पर शिवहर से विधायक बने थे. शक्ति परीक्षण के दौरान चेतन विधानसभा में एनडीए के पक्ष में चले गये थे. इसके बाद से वे एनडीए के होकर रह गये. कहा जाता है कि जदयू के कई बड़े नेताओं के वे संपर्क में है. शायद इस बार मुख्यमंत्री की नजर भी उनपर पड़ जाये.

औरंगाबाद से त्रिविक्रम नारायण सिंह-शांति, संयम व परिपक्व राजनीति का चेहरा

औरंगाबाद सदर सीट से विजयी भारतीय जनता पार्टी के त्रिविक्रम नारायण सिंह का नाम भी मंत्री पद के लिए तेजी से उभर रहा है. अन्य नेताओं की तरह उन्हें भी गंभीरता से लिया जा रहा है. त्रिविक्रम अपनी शांत, संयमित और परिपक्व राजनीतिक शैली के लिए पहचाने जाते हैं. स्थानीय बुद्धिजीवी वर्ग का तर्क है कि सदर विधानसभा जिला मुख्यालय का प्रतिनिधित्व करता है और मंत्री पद के लिए एक स्वाभाविक दावा रखता है.अगर सदर को मंत्री मिलता है तो जिला मुख्यालय के विकास को अभूतपूर्व गति मिल सकती है.वहीं, पार्टी के भीतर भी त्रिविक्रम नारायण सिंह की छवि एक सरल और मजबूत प्रशासक की मानी जाती है, जो उन्हें मंत्री पद का मजबूत दावेदार बनाती है.वैसे त्रिविक्रम नारायण सिंह भारतीय जनता पार्टी के पूर्व बिहार प्रदेश अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद गोपाल नारायण सिंह के पुत्र है. राजनीतिक रसूख होने की वजह से मंत्री पद के लिए भी दावेदारों में शामिल है.

पार्टी की रणनीति पर भी टिकी नजर

जिले के लोग सिर्फ दावेदारी नहीं देख रहे, बल्कि प्रदेश की राजनीतिक समीकरणों पर भी निगाह रखे हुए हैं. यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी क्षेत्रीय संतुलन, जातीय समीकरण और प्रशासनिक क्षमता जैसे कारकों को ध्यान में रखकर निर्णय ले सकती है. तीनों विधायकों के समर्थक अपने-अपने नेता के गुण गिना रहे हैं और जिला इस उम्मीद में बैठा है कि इस बार औरंगाबाद उपेक्षित नहीं रहे.

अंतिम फैसला क्या होगा-इंतजार जारी

फिलहाल सबकी निगाहें मंत्रिमंडल विस्तार पर टिक गई हैं. औरंगाबाद जिले को क्या मिलेगा? कौन मंत्री बनेगा? इन सवालों का जवाब समय देगा, लेकिन इतना तय है कि चुनाव के बाद भी राजनीतिक हलचल और उत्सुकता चरम पर है. औरंगाबाद का हर कोना एक ही उम्मीद को दोहरा रहा है कि इस बार जिले को मंत्री मिलना ही चाहिए.

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