कुटुंबा. सरकार का स्वास्थ्य विभाग आम नागरिकों की सुविधा के लिए कई तरह की कल्याणकारी योजनाएं चला रहा है. इसके लिए नई-नई तकनीक का उपयोग किया जा रहा है. अस्पतालों में आधुनिक संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. मरीजों को मुफ्त में सभी तरह की जांच, एक्स-रे और जरूरत की दवाइयां दी जा रही हैं. एचएससी से लेकर पीएचसी और रेफरल अस्पतालों तक के आकर्षक भवन सरकारी स्तर पर बनाए जा रहे हैं. इसके बावजूद प्रशासनिक उदासीनता के कारण मरीजों को समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. इसका ज्वलंत उदाहरण कुटुंबा प्रखंड का रेफरल अस्पताल है. गौरतलब है कि मरीजों के समुचित इलाज के लिए भवन, संसाधन, चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मियों का पर्याप्त होना जरूरी है. कुटुंबा में चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी है. यहां चिकित्सक, ग्रेड ए नर्स, स्वास्थ्य प्रशिक्षक समेत विभिन्न पदों के लिए कुल 214 पद सृजित हैं. इनमें 84 कर्मी कार्यरत हैं, जबकि 130 पद अब भी रिक्त हैं. स्थानीय बुद्धिजीवियों का कहना है कि चिकित्सकों व कर्मियों की कमी से कुटुंबा पीएचसी और रेफरल अस्पताल खुद बीमार हो गया है और अब उसे इलाज की आवश्यकता है. उधर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. नवल किशोर सिंह भी चिकित्सकों की कमी पर चिंता जताते हैं.
30 चिकित्सक पद सृजित, मात्र तीन कार्यरत
कुटुंबा प्रखंड में रेफरल अस्पताल, पीएचसी और एपीएचसी मिलाकर 30 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं. इनमें चिकित्सा पदाधिकारी को छोड़ दें तो मात्र दो चिकित्सक कार्यरत हैं. कई चिकित्सक पदस्थापन के बाद से ही लापता हैं और विभाग को भी इसकी सही जानकारी नहीं है. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ नवल किशोर सिंह ओपीडी, साप्ताहिक बैठकें, जिले की विभागीय बैठकें, 20 सूत्री बैठक, बीडीसी बैठक सहित अन्य प्रशासनिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं. इसके साथ ही उन्हें एपीएचसी का भी नियमित विजिट करना पड़ता है. वरीय अधिकारियों के निर्देशानुसार रिपोर्ट और अन्य सूचनाएं भेजने का भार भी उन पर है. एक महिला चिकित्सक डॉ आकांक्षा सिंह एपीएचसी अंबा में तथा डॉ शुभम कझपा में पदस्थापित हैं, लेकिन चिकित्सकों की कमी के कारण इन्हें भी रेफरल अस्पताल में ओपीडी सेवा देनी पड़ती है. आयुष श्रेणी में दो चिकित्सक हैं जिनमें संजय कुमार तुरता में पदस्थापित हैं और उन्हें इमरजेंसी सेवा के लिए रिसियप में रखा गया है. वहीं यूनानी चिकित्सक डॉ अब्दुल रसीद उपयोगी साबित नहीं हो रहे हैं. दंत चिकित्सक के दो पदों में एक सुचित कुमार पांडेय कुटुंबा में कार्यरत हैं.
कई चिकित्सक बिना सूचना के गायब
पिछले दिनों विभाग ने कुटुंबा प्रखंड में 18 चिकित्सकों की पोस्टिंग की थी. इनमें कई चिकित्सक बिना सूचना के गायब हैं. कई उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अवकाश लेकर चले गये हैं. गायब या विरमित होने वाले चिकित्सकों में शामिल हैं : डॉ विवेकानंद, डॉ रविराज मोहित, डॉ हर्षवर्धन, डॉ रवि रंजन, डॉ जयंती कुमारी, डॉ मनीष कुमार, डॉ जोहरा इमाम, डॉ मोहम्मद सुफियान कैसर, डॉ रोहित राज, डॉ प्रद्योत रंजन, डॉ अंकिता कुमारी, व डॉ राजीव रंजन शामिल है.
ओपीडी से इनडोर तक 300 से अधिक मरीज
रेफरल अस्पताल कुटुंबा झारखंड और बिहार की सीमा पर स्थित है. यहां कुटुंबा के अलावा नवीनगर और हरिहरगंज क्षेत्र से भी मरीज उपचार कराने के लिए आते हैं. चिकित्सकों के अनुसार प्रतिदिन ओपीडी में 250 से 300 मरीज और इनडोर में 40-50 मरीज भर्ती होते हैं. इसके अलावा प्रतिदिन 7 से 10 प्रसव वाली महिलाएं भी आती हैं. चिकित्सकों की कमी के कारण मरीजों का इलाज भगवान भरोसे चल रहा है.
चिकित्सकों की कमी की सूचना विभाग के पास है
रेफरल अस्पताल कुटुंबा में चिकित्सकों की गंभीर कमी है और इसकी सूचना विभाग को पहले से है. चिकित्सक पोस्टिंग का अधिकार उन्हें प्राप्त नहीं है, लेकिन कोशिश की जासेगी कि अन्य अस्पतालों से डॉक्टरों को प्रतिनियुक्ति पर भेजा जाये.
डॉ नीलम सिन्हा, मुख्य चिकित्सा पदाधिकारीB
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

