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कुटुंबा में स्वास्थ्य व्यवस्था ध्वस्त, 30 में सिर्फ तीन डॉक्टर कार्यरतचिकित्सको के सृजित 30 पद के विरूद्ध रेफरल अस्पताल में मात्र एक व एपीएचसी में दो डॉक्टर हैं पदस्थापित योगदान करने के बाद यहां पुनः ड्यूटी करने नहीं आते हैं चिकित्सक आयुष चिकित्सको की भी है भारी कमी फोटो नंबर-15-रेफरल अस्पताल कुटुंबा का नजारा विश्वनाथ पांडेयकुटुंबासरकार के स्वास्थ्य विभाग आम नागरिको की सुविधा के लिए कई तरह की कल्याणकारी योजनाएं चला रही है.इसके लिए नित्य नए-नए टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जा रहा है.अस्पतालों में आधुनिक संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं.मुफ्त में मरीजों के सभी तरह की जांच व एक्सरे तो जरूरत की दवाईयां दी जा रही है.यहां तक कि सरकारी स्तर पर एचएससी से लेकर पीएचसी और रेफरल अस्पतालो के आकर्षक भवन बनाए जा रहें है.इसके बावजूद भी प्रशासनिक उदासीनता की वजह से मरीजो को समुचित स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही है.इसका ज्वलंत उदाहरण कुटंबा प्रखंड का रेफरल अस्पताल है.गौरतलब है कि मरीजो के समुचित इलाज के लिए भवन एवं संसाधन के साथ-साथ चिकित्सक तथा स्वास्थ्य कर्मियों का होना जरूरी है.कुटुंबा में चिकित्सको व स्वास्थ्य कर्मियो की भारी कमी है.यहां चिकित्सक,ग्रेड ए नर्स,स्वास्थ्य प्रशिक्षक समेत विभिन्न पदों के लिए सृजित पद 214 है. इसमें 84 कर्मी कार्यरत्त हैं व 130 पद अभी भी रिक्त है.स्थानीय बुद्धिजीवियो की बात माने तो चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों की कमी से कुटुंबा का पीएचसी व रेफरल अस्पताल अपने आप में खुद को बीमार महसूस कर रहा है.अब उसकी इलाज की जरूरत पड़ गई है.इधर प्रभारी प्रखंड चिकित्सका पदाधिकारी डॉ नवल किशोर सिंह भी चिकित्सको कीं कमी का रोना रोते है. चिकित्सक के सृजित पद 30 के विरुद्ध में मात्र तीन हैं कार्यरतकुटुंबा प्रखंड में रेफरल अस्पताल व पीएचसी तथा एपीएचसी मिलाकर चिकित्सक के कुल 30 पद सृजित है.इनमें चिकित्सा पदाधिकारी को छोड़ दें तो मात्र दो चिकित्सक कार्यरत है.कई चिकित्सक तो पदस्थापन के बाद से गायब हैं.इसकी जानकारी विभाग को भी नहीं है. डॉ नवल किशोर सिंह प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के पद पर कार्यरत है.जिन्हें ओपीडी के अलावे कर्मियो के साथ साप्ताहिक बैठक, जिला में विभागीय बैठक,बीस सूत्री क्रियान्वयन समिति की बैठक, बीडीसी की बैठक में शामिल होना पड़ता है.इसके अलावे एपीएचसी का भी विजीट करना पड़ता है.यहीं नहीं वरीय अधिकारियों के निर्देश के आलोक में रिपोर्ट एवं अन्य सूचनाएं भी उपलब्ध करानी पड़ती है. एक महिला चिकित्सक डॉ आकांक्षा सिंह एपीएचसी अंबा में तथा डॉ शुभम कझपा में पदस्थापित है.चिकित्सको की कमी होने से इन चिकित्सको को रेफरल अस्पताल कुटुंबा में ओपीडी में सेवा देना पड़ती है.आयुष दो चिकित्सको में एक संजय कुमार तुरता में पदस्थापित हैं,जिन्हे इमर्जेंसी सेवा के लिए रिसियप में रखा गया है.दूसरा डॉ अब्दुल रसीद यूनानी चिकित्सक जो कोई काम के नहीं हैं.दंत चिकित्सक दो स्वीकृत पद के विरुद्ध एक सुचित कुमार पांडेय कुटुंबा में कार्यरत्त है. कुटुंबा से कई चिकित्सक हैं गायब पूर्व के दिनो में विभाग द्वारा कुटुंबा प्रखंड मे 18 चिकित्सको की पोस्टिंग की गई थी.इसमें कई चिकित्सक बगैर सूचना के गायब हैं,तो कई उच्च शिक्षा प्राप्त करने छुट्टी लेकर चले गए है.डॉ विवेकानंद व डॉ रविराज मोहित भाई सुरेंद्र योगदान के बाद बिना सूचना के गायब है.इधर डॉ हर्षवर्धन,डॉ रवि रंजन,डा जयंती कुमारी,डॉ मनीष कुमार, डॉ जोहरा इमाम, डॉ मोहम्मद सुफियान कैसर, डॉ रोहित राज, डॉ रवि राज मोहित,डॉ प्रदयोत रंजन व डॉ अंकिता कुमारी डॉ राजीव रंजन उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए विरमित होकर चले गए है. ओपीडी से लेकर इनडोर में 300 से उपर मरीज आते है उपचार कराने रेफरल अस्पताल कुटुंबा झारखंड बिहार का बॉर्डर है.यहां कुटुंबा प्रखंड के अलावे नवीनगर व हरिहरगंज से भी मरीज उपचार कराने के लिए पहुंचते है.चिकित्सकों से मिली जानकारी के अनुसार प्रतिदिन ओपीडी में 250से लेकर 300 तक तथा इनडोर में 40-50 इसके अलावा सात से लेकर 10 प्रसव वाली महिला मरीज उपचार कराने आती है.रेफरल अस्पताल में चिकित्सक नहीं होने से मरीजो का उपचार भगवान भरोसे है. क्या बताते हैं मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ नीलम सिन्हा ने बताया कि रेफरल अस्पताल कुटुंबा में चिकित्सको की कमी है.इसकी जानकारी विभाग को है.चिकित्सक पोस्टिंग करने का मुझे अधिकार प्राप्त नहीं है.दूसरे हॉस्पिटल से डॉक्टर को डिप्टेशन करने का प्रयास किया जाएगा.

कुटुंबा रेफरल अस्पताल में संसाधनों की कमी, प्रतिदिन 300 मरीज बेहाल, 214 में 130 पद खाली, मरीज भगवान भरोसे, रेफरल अस्पताल की बदहाली उजागर, डॉक्टरों की अनुपस्थिति बनी समस्या

कुटुंबा. सरकार का स्वास्थ्य विभाग आम नागरिकों की सुविधा के लिए कई तरह की कल्याणकारी योजनाएं चला रहा है. इसके लिए नई-नई तकनीक का उपयोग किया जा रहा है. अस्पतालों में आधुनिक संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. मरीजों को मुफ्त में सभी तरह की जांच, एक्स-रे और जरूरत की दवाइयां दी जा रही हैं. एचएससी से लेकर पीएचसी और रेफरल अस्पतालों तक के आकर्षक भवन सरकारी स्तर पर बनाए जा रहे हैं. इसके बावजूद प्रशासनिक उदासीनता के कारण मरीजों को समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. इसका ज्वलंत उदाहरण कुटुंबा प्रखंड का रेफरल अस्पताल है. गौरतलब है कि मरीजों के समुचित इलाज के लिए भवन, संसाधन, चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मियों का पर्याप्त होना जरूरी है. कुटुंबा में चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी है. यहां चिकित्सक, ग्रेड ए नर्स, स्वास्थ्य प्रशिक्षक समेत विभिन्न पदों के लिए कुल 214 पद सृजित हैं. इनमें 84 कर्मी कार्यरत हैं, जबकि 130 पद अब भी रिक्त हैं. स्थानीय बुद्धिजीवियों का कहना है कि चिकित्सकों व कर्मियों की कमी से कुटुंबा पीएचसी और रेफरल अस्पताल खुद बीमार हो गया है और अब उसे इलाज की आवश्यकता है. उधर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. नवल किशोर सिंह भी चिकित्सकों की कमी पर चिंता जताते हैं.

30 चिकित्सक पद सृजित, मात्र तीन कार्यरत

कुटुंबा प्रखंड में रेफरल अस्पताल, पीएचसी और एपीएचसी मिलाकर 30 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं. इनमें चिकित्सा पदाधिकारी को छोड़ दें तो मात्र दो चिकित्सक कार्यरत हैं. कई चिकित्सक पदस्थापन के बाद से ही लापता हैं और विभाग को भी इसकी सही जानकारी नहीं है. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ नवल किशोर सिंह ओपीडी, साप्ताहिक बैठकें, जिले की विभागीय बैठकें, 20 सूत्री बैठक, बीडीसी बैठक सहित अन्य प्रशासनिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं. इसके साथ ही उन्हें एपीएचसी का भी नियमित विजिट करना पड़ता है. वरीय अधिकारियों के निर्देशानुसार रिपोर्ट और अन्य सूचनाएं भेजने का भार भी उन पर है. एक महिला चिकित्सक डॉ आकांक्षा सिंह एपीएचसी अंबा में तथा डॉ शुभम कझपा में पदस्थापित हैं, लेकिन चिकित्सकों की कमी के कारण इन्हें भी रेफरल अस्पताल में ओपीडी सेवा देनी पड़ती है. आयुष श्रेणी में दो चिकित्सक हैं जिनमें संजय कुमार तुरता में पदस्थापित हैं और उन्हें इमरजेंसी सेवा के लिए रिसियप में रखा गया है. वहीं यूनानी चिकित्सक डॉ अब्दुल रसीद उपयोगी साबित नहीं हो रहे हैं. दंत चिकित्सक के दो पदों में एक सुचित कुमार पांडेय कुटुंबा में कार्यरत हैं.

कई चिकित्सक बिना सूचना के गायब

पिछले दिनों विभाग ने कुटुंबा प्रखंड में 18 चिकित्सकों की पोस्टिंग की थी. इनमें कई चिकित्सक बिना सूचना के गायब हैं. कई उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अवकाश लेकर चले गये हैं. गायब या विरमित होने वाले चिकित्सकों में शामिल हैं : डॉ विवेकानंद, डॉ रविराज मोहित, डॉ हर्षवर्धन, डॉ रवि रंजन, डॉ जयंती कुमारी, डॉ मनीष कुमार, डॉ जोहरा इमाम, डॉ मोहम्मद सुफियान कैसर, डॉ रोहित राज, डॉ प्रद्योत रंजन, डॉ अंकिता कुमारी, व डॉ राजीव रंजन शामिल है.

ओपीडी से इनडोर तक 300 से अधिक मरीज

रेफरल अस्पताल कुटुंबा झारखंड और बिहार की सीमा पर स्थित है. यहां कुटुंबा के अलावा नवीनगर और हरिहरगंज क्षेत्र से भी मरीज उपचार कराने के लिए आते हैं. चिकित्सकों के अनुसार प्रतिदिन ओपीडी में 250 से 300 मरीज और इनडोर में 40-50 मरीज भर्ती होते हैं. इसके अलावा प्रतिदिन 7 से 10 प्रसव वाली महिलाएं भी आती हैं. चिकित्सकों की कमी के कारण मरीजों का इलाज भगवान भरोसे चल रहा है.

चिकित्सकों की कमी की सूचना विभाग के पास है

रेफरल अस्पताल कुटुंबा में चिकित्सकों की गंभीर कमी है और इसकी सूचना विभाग को पहले से है. चिकित्सक पोस्टिंग का अधिकार उन्हें प्राप्त नहीं है, लेकिन कोशिश की जासेगी कि अन्य अस्पतालों से डॉक्टरों को प्रतिनियुक्ति पर भेजा जाये.

डॉ नीलम सिन्हा, मुख्य चिकित्सा पदाधिकारीB

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