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एपीएचसी में अस्पताल में ताला जड़कर हंगामा

अक्सर बंद रहता है सुंदरगंज का अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, ग्रामीणों ने चिकित्सा व्यवस्था पर उठाया सवाल, मरीजों को लौटना पड़ता है खाली हाथ

अक्सर बंद रहता है सुंदरगंज का अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

ग्रामीणों ने चिकित्सा व्यवस्था पर उठाया सवाल, मरीजों को लौटना पड़ता है खाली हाथ

औरंगाबाद/ अंबा. जिला मुख्यालय से कुछ किलोमीटर दूर सुंदरगंज बाजार स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति बेहद बदहाल है. अस्पताल कब खुलता है और कब बंद हो जाता है, इसकी जानकारी न तो मरीजों को होती है और न ही आसपास के लोगों को. सोमवार को जब सुबह 11 बजे तक अस्पताल नहीं खोला गया, तो इलाज कराने आए मरीज वापस लौटने लगे. इससे ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा और उन्होंने अस्पताल के गेट में ताला जड़कर हंगामा किया. इस दौरान ग्रामीणों ने चिकित्सा व्यवस्था के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की. स्थानीय ग्रामीण बबलू कुमार सिंह, मोनू गुप्ता आदि ने बताया कि यहां स्वास्थ्य व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है. चिकित्सक की अनुपस्थिति में स्वास्थ्य कर्मी अपनी सुविधा के अनुसार जब चाहते हैं, तब अस्पताल खोलते हैं और तुरंत बंद कर चले जाते हैं. अस्पताल के खुलने और बंद होने की कोई निश्चित समय-सारिणी नहीं है. ग्रामीणों के अनुसार यहां चिकित्सक कभी दिखाई ही नहीं देते. मरीजों की जांच का पूरा जिम्मा एएनएम और अन्य कर्मियों पर है, जिससे बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की उम्मीद करना बेमानी है. इधर, आंदोलन की सूचना मिलते ही स्वास्थ्य प्रबंधक मनीष कुमार मौके पर पहुंचे और लोगों को समझा-बुझाकर शांत कराया. हालांकि ग्रामीणों ने उन्हें भी जमकर फटकार लगायी और संबंधित चिकित्सक व लापरवाह कर्मियों पर कार्रवाई की मांग की. ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो वे बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.

छोटी बीमारी में भी जाना पड़ता है 10 किलोमीटर दूर

ग्रामीणों का कहना है कि चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों की अनुपस्थिति के कारण छोटी-छोटी बीमारियों में भी उन्हें 8 से 10 किलोमीटर दूर सदर अस्पताल औरंगाबाद या निजी क्लिनिक का रुख करना पड़ता है. आर्थिक तंगी की वजह से कई बार लोग समय पर इलाज नहीं करा पाते, जिससे समस्या और गंभीर हो जाती है. यह स्वास्थ्य केंद्र पांच से छह पंचायतों के दर्जनों गांवों का एकमात्र सहारा है, मगर यहां सुविधाओं का घोर अभाव है.

देर से आने पर कर्मियों को झेलना पड़ा आक्रोश

सोमवार को जब स्वास्थ्य कर्मी अमिताभ रंजन करीब 11 बजे अस्पताल पहुंचे, तो ग्रामीणों ने उनके सामने कई गंभीर आरोप लगाए. इसके थोड़ी देर बाद क्लर्क निर्मला कुमारी सहित अन्य कर्मी पहुंचे. स्वास्थ्य प्रबंधक के मुताबिक यहां डॉ. प्रकाश रावत की पोस्टिंग है. डॉक्टरों की कमी के कारण उन्हें अन्य स्थानों पर भी सेवाएं देनी पड़ती हैं. वर्तमान में अस्पताल में स्टाफ नर्स अमिताभ रंजन, क्लर्क निर्मला कुमारी, एएनएम ललिता कुमारी और दो चतुर्थ वर्गीय कर्मी तैनात हैं, फिर भी अस्पताल का संचालन नियमित नहीं हो पा रहा है. निरीक्षण के दौरान एएनएम ललिता कुमारी बिना सूचना के अनुपस्थित मिलीं, जबकि अन्य सभी कर्मचारी निर्धारित समय से देर से पहुंचे. पूरे मामले की जानकारी वरीय अधिकारियों को दे दी गई है और दोषी कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी.

अस्पताल खुद बीमार, कचरे का अंबार और उगी झाड़ियां

ग्रामीणों ने बताया कि अस्पताल परिसर कचरे के ढेर से भरा पड़ा है. कैंपस में घास-फूस व झाड़ियां उगी हुई हैं. स्थिति यह है कि अस्पताल खुद ही बीमार नजर आ रहा है. स्वास्थ्य प्रबंधक ने सफाई और सेवा सुधार का आश्वासन दिया है.

जिले के अन्य अस्पतालों की भी वही हालत

ग्रामीणों ने बताया कि केवल सुंदरगंज स्वास्थ्य केंद्र में ही अव्यवस्था नहीं है, बल्कि जिले के कई अन्य स्वास्थ्य केंद्र भी इसी हाल में हैं. कुटुंबा प्रखंड अंतर्गत कझपा स्वास्थ्य केंद्र का हाल भी काफी दयनीय है. न डॉक्टर आते हैं, न कर्मी. कई शिकायतों के बाद भी सुधार नहीं हुआ है. दो दिन पूर्व निरीक्षण में कझपा अस्पताल बंद पाया गया था. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने कर्मियों का वेतन तक काटा, फिर भी स्थिति जस की तस बनी है. ग्रामीण सवाल उठा रहे हैं कि जब स्थानांतरण के दो महीने बाद भी नवीनगर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा डॉ. प्रदीप कुमार पाठक को विरमित नहीं किया गया है, तो इससे साफ होता है कि स्वास्थ्य विभाग में मनमानी किस स्तर पर चल रही है.

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