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भीम बराज की मरम्मत की दरकार

अनदेखी़ जंग लगने से सड़ रहा नदी के डाउन साइड का गेट, बराज गाद से पटा

अनदेखी़ जंग लगने से सड़ रहा नदी के डाउन साइड का गेट, बराज गाद से पटा

धान की खेती पर संकट, दो राज्यों के बीच पीस रहे औरंगाबाद के किसान

प्रतिनिधि, औरंगाबाद/अंबा़

मगध प्रक्षेत्र की हजारों एकड़ भूमि सिंचित करने वाली उत्तर कोयल नहर का भीम बराज अपने अतीत पर आंसू बहा रहा है. प्रमुख खरीफ फसल धान की खेती लगाने का समय आ गया है. इस बार अभी तक बराज का मेंटेनेंस नहीं किया गया है. सही ढंग से रखरखाव के अभाव में बराज का सिस्टम जर्जर हो रहा है. जल संसाधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, झारखंड के मेदिनीनगर डिवीजन ने शनिवार को बिना सर्विसिंग कराये उक्त बराज को बिहार को सुपुर्द कर दिया है. इस बार धान की खेती कैसे होगी कहना मुश्किल लग रहा है. बराज की जो स्थिति है, उसके अनुसार धान की खेती पर संकट का बादल मंडरा रहा है. कृषि विशेषज्ञों की बात मानें, तो लंबी अवधि वाले धान के बिचड़े लगाने का समय धीरे-धीरे कर समाप्त हो रहा है. जून महीने के अंतिम सप्ताह में टेस्टिंग के लिए मेन कैनाल में पानी छोड़े जाने की संभावना जतायी जा रही थी. वैसे पहली जुलाई से नहर का रेगुलर संचालन करने का प्रावधान है. इस बार प्री मॉनसून की बारिश से सूखी हुई कोयल नदी में हल्का पानी दिखने लगा है. हालांकि, बराज का वाटर पौंड लेबल डेढ़ मीटर से डाउन कर नीचे चला गया है. हाल में एक मीटर पानी बचा है. ड्राइंग डिस्चार्ज करने के लिए 2.3 मीटर पानी मेकअप किया जाता है. जेठ महीने की तपिश से कोयल नदी भी सूखने लगी है.

बराज में गाद, टूटा काउंटर वेट बराज के मेनटेनेंस के प्रति झारखंड का मैकेनिकल विभाग अभी तक बिल्कुल संवेदनहीन रहा है. इस बार बराज के गेट की सर्विसिंग नहीं करायी गयी. बराज के भंडारण से पहले गेट का सारा काम कंप्लीट हो जाना चाहिए था. उक्त बराज के डाउन साइड में 40 गेट हैं. इसमें गेट नंबर 19 टर्न हैं. उसमें स्टॉप लॉग लगे हैं. किसी भी स्थिति में ऑपरेट नहीं होता है. वहीं, गेट नंबर 36 का काउंटर वेट डैमेज है. अधिकारियों की बात मानें, तो किसी क्षण टूट कर गिर सकता है. वर्ष 2016 के 16 अगस्त की रात में कोयल नदी में भयंकर बाढ़ आयी थी. उस वक्त की बाढ़ से गेट नंबर 4, 5, 19, 21 व 25 पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था. औरंगाबाद के पूर्व सांसद सुशील कुमार सिंह के प्रयास से अन्य सभी गेटों को ऐन वक्त पर ठीक करा दिया गया था. वर्तमान में बराज का 30 गेट जंग से सड़ रहा है. ऑपरेट करने के क्रम में कभी पानी के दबाव से डैमेज हो सकता है. जल संसाधन रूपांतरण प्रमंडल संख्या (2) मेदिनीनगर के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर सुजीत जोन होरो ने बताया कि गेट का गेयर बॉक्स व ड्रम बॉक्स के साथ-साथ रस्सी की सर्विसिंग की जानी है. इसके लिए अहमदाबाद की हार्डवेयर मशीन टूल्स मशीनरी प्राइवेट प्रोजेक्ट अधिकृत है. उन्होंने बताया कि ऑयलिंग ग्रिसिंग, कैडनियम कंपाउंड, गेट वेयरिंग, रबर सील आदि का काम अभी बाकी है. बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने से बड़े पेड़ों के झटके से गेट अक्सर टर्न हो जाते हैं. इसके साथ ही बेयरिंग में जंग लग जाता है. विदित हो कि कोयल नदी की गाद से पूरा बराज पटा हुआ है. इसकी सफाई की सख्त जरूरत है. 2017 से लेकर आज तक गेट की पेंटिंग नहीं हुई है. गाद की सफाई नहीं होने से बराज का जल भंडारण क्षमता घट गया है. पूर्व के दिनों में बराज में एक बार पानी का स्टाॅक होने पर 10 दिनों तक नहर का संचालन किया जाता था. अब दो से तीन दिनों में बराज का वाटर पौंड लेबल डाउन कर जाता है. बिहार विभाजन के समय दोनों राज्यों के बीच कोयल नहर के लिए एक रोस्टर तैयार किया गया था. नहर के रखरखाव में बिहार और झारखंड के 10 और 90 अनुपात की राशि खर्च करनी थी. इसी तरह से पानी की भी खपत की जानी थी. वर्तमान में झारखंड 10 प्रतिशत के बजाय 60 प्रतिशत तक पानी सिंचाई में खपत करता है, जबकि मेनटेनेंस लागत में आनाकानी करता है.

गेट टूटने से जल स्टॉक करने में दिक्कत मोहम्मदगंज के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर विनीत प्रकाश ने बताया कि कंट्रोल रूम की बिल्डिंग की खिड़की व दरवाजा टूटा है. कंट्रोल रूम में कंट्रोल पैनल के लिए फूली एसी होना चाहिए. ऐसी में पैनल नहीं रहने से किसी तरह से गेट ऑपरेट तो हो जाता है, पर प्रॉपर रीडिंग शो नहीं करता है. उन्होंने बताया कि बायी नहर गढ़वा जिले के कांडी की तरफ फसल सिंचाई करती है, उक्त नहर का गेट टूटा हुआ है. ऐसे में बराज में पानी रोककर रखने में दिक्कत हो रही है. उन्होंने बताया कि मेदिनीनगर डिवीजन इस बार झारखंड क्षेत्र में बरसात का रैन कट भी ठीक नहीं कराया है. उन्होंने बताया कि बिहार को बराज हैंड ओवर गया है, पर मेन कैनाल अभी तक वाप्कोस के जिम्मे है. बराज को ठीक कराने के लिए चीफ इंजीनियर को पत्र लिखा गया है. उन्होंने बताया कि एक नवंबर से 15 जून तक नहर झारखंड के अंदर में रहता है. 16 जून से 31 अक्तूबर तक बिहार देखरेख करता है.क्या बताते हैं चीफ इंजीनियरचीफ इंजीनियर अर्जुन प्रसाद सिंह ने बताया कि कोयल नहर अभी तक पूरी तरह से बरसाती है. झारखंड की बारिश से बराज में जल भंडारण कर नहर का संचालन किया जाता है. खरीफ मौसम में किसानों को धान की खेती करने के लिए नहर से पानी मिलते रहे, इसके लिए प्रयास जारी है. शीघ्र ही बराज के सभी गेटों की सर्विसिंग करा दी जायेगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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