अंबा. भारतमाला परियोजना के तहत एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य किसानों के विरोध के बाद मंगलवार को बंद हो गया. किसानों के साथ बहस और विरोध के बाद पुलिस देर शाम लौट गयी. मामला कुटुंबा थाना क्षेत्र के रामपुर देवरिया गांव का है. जानकारी के अनुसार, प्रशासन द्वारा दिन से ही निर्माण शुरू कराने को लेकर प्रयास किया जा रहा था. शुरू में पोकलेन द्वारा निर्माण स्थल पर हल्की समतलीकरण किया गय. इसके बाद वहां किसान जुटने लगे और इसका पुरजोर विरोध शुरू कर दिया. किसानों के विरोध की सूचना पाकर पहुंचे सीओ चंद्र प्रकाश व कुटुंबा थानाध्यक्ष अक्षयवर सिंह ने ग्रामीणों को समझने का प्रयास किया. लेकिन किसान उनकी नहीं सुने. पता चला है कि पुलिस और किसानों के बीच हल्की नोक-झोंक भी हुई, जिसके बाद किसान उग्र हो गये. मामला बिगड़ता देख प्रशासन ने अपना कदम पीछे हटा लिया. ग्रामीणों ने मांग की है कि जब तक उन्हें मुआवजा नहीं मिलेगा, तब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं होने देंगे. किसान व ग्रामीण जमीन समतल करने में लगे पोकलेन के आगे सो गये. पुलिस ने जबरन हटाने का प्रयास किया और पोकलेन स्टार्ट करवा कर आगे बढ़ाने तक की बात कह दी. फिर भी किसान नहीं माने और डटे रहे. मौके पर भारतीय किसान यूनियन संघ के नेता भी उक्त गांव में पहुंच गये. यूनियन के संयोजक वशिष्ठ प्रसाद सिंह ने आरोप लगाया कि अंचलाधिकारी और कुटुंबा पुलिस द्वारा जबरदस्ती काम किया गया. इसके बाद किसान इकट्ठा हो गये और कार्य को रुकवा दिया. जब तक किसानों को उचित मुआवजा नहीं दिया जाता है, तब तक किसी भी हाल में निर्माण कार्य नहीं होने दिया जायेगा. इस मौके पर रामाकांत पांडेय, चंद्रशेखर पांडेय, छोटू पांडेय, ओमप्रकाश पांडेय, विपिन बिहारी पांडेय, वीरेंद्र यादव, नागेंद्र यादव, राजू रंजन पांडेय, ब्रजेश पांडेय, जितेंद्र यादव, नरेंद्र राय, पप्पू तिवारी, चंदन तिवारी आदि ग्रामीण मौजूद थे. इधर, सीओ ने कहा कि हर हाल में निर्माण कार्य होगा. फिलहाल देर शाम होने की वजह से पुलिस बल और मशीन को वहां से हटा लिया गया है. उन्होंने कहा कि यह जमीन अब किसानों की नहीं है. यह जमीन अधिग्रहण कर ली गयी है. किसान बेवजह महत्वाकांक्षी योजना में बाधा डाल रहे हैं. जिन किसानों की जमीन उक्त परियोजना में जा रहा है, वे कागजी प्रक्रिया कर अपना मुआवजा ले सकते हैं. जो किसान निर्माण में बाधा डाल रहे हैं वह गलत है. ज्ञात है कि उक्त सड़क निर्माण का कार्य पहले भी किसानों ने रोका है. पिछली बार प्रखंड क्षेत्र के बलिया और सोनबरसा गांव में भी किसानों का विरोध प्रशासन को झेलना पड़ा था.
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