औरंगाबाद/अंबा. जिले के विभिन्न क्षेत्रों में इस बार व्यापक पैमाने पर तिल की खेती का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए कृषि कर्मियों द्वारा प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. सरकार के चतुर्थ कृषि रोड मैप के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 में खाद्य तेल-तेलहन कृष्णोन्नति योजना अंतर्गत तिल की खेती की अतिरिक्त क्षेत्र का विस्तार किया जाना है. इच्छुक पंजीकृत कृषक संबंधित पंचायत के कृषि समन्वयक या किसान सलाहकार से संपर्क कर बीज प्राप्त कर सकते हैं. बीज लेने के लिए उन्हें ऑनलाइन आवेदन करना होगा. इसके लिए जमीन का अद्यतन रसीद और आधार कार्ड जरूरी है. किसान के मोबाइल पर मैसेज में ओटीपी आयेगा. इसके बाद उन्हें बीज बिक्रेता के पास जाना होगा. विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक किसान एक एकड़ से लेकर दो एकड़ भूमि में तिल की खेती कर सकते है. सरकारी बीज के दुरुपयोग करने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई भी हो सकती है.
एक एकड़ के लिए दो किलोग्राम बीज है उपयुक्त
तेलहनी फसल में तिल का काफी महत्व है. तिल का तेल मनुष्य के लिए स्वास्थ्यवर्द्धक माना जाता है. खासकर ग्रीष्म कालीन में इसकी उपयोगिता बढ़ जाती है. आयुर्वेद चिकित्सक राजेश्वर पांडेय बताते हैं कि तिल दवा के रूप में काम आता है. पूजा-पाठ यज्ञादि और अन्य धार्मिक कार्यों में भी तिल का महत्व बताया गया है. सरकार किसानों के खेती से आमदनी दोगुनी करने तथा बेमौसम खेत खाली न रहे, इसके लिए तिल की खेती पर ज्यादा जोर दे रही है. बिहार सरकार कृषि विभाग के अपर सचिव द्वारा जारी पत्र के हवाला देते हुए डीएओ रामईश्वर प्रसाद ने बताया कि जिले के विभिन्न प्रखंडों में 750 एकड़ प्रत्यक्षण और 6250 एकड़ अनुदानित यानी कुल 8000 एकड़ भूमि में तिल की फसल लगाने के लक्ष्य निर्धारित किया है. जिला को तिल बीज का आवंटन प्राप्त हो गया है. डीएओ ने बताया कि अनुदानित बीज का सरकारी कीमत 240 रुपये प्रति किलोग्राम है. इसमें 80 प्रतिशत अनुदान की राशि काटकर किसानो का मात्र 20 प्रतिशत यानी 48 रुपये प्रति किलोग्राम तील का बीज दिया जाना है. एक एकड़ जमीन में फसल लगाने के लिए दो केजी बीज उपयुक्त है.इन प्रखंडों के लिए उप आवंटित की गयी बीज
जिला कृषि कार्यालय से अलग-अलग प्रखंडों के लिए तिल का बीज आवंटित कर दिया गया है. इसके साथ ही संबंधित प्रखंड के लिए अलग-अलग बीज बिक्रेता चिह्नित किये गये है. डीएओ ने बताया कि सदर प्रखंड के 16 व बारुण के 17 पंचायत के किसानों के बीच अलग-अलग 16 क्विंटल 16 केजी यानी 32.32 क्विटंल बीज वितरण किया जाना है. इसी तरह से ओबरा के 20 पंचायतों के किसानों के लिए 23.72 क्विंटल, दाउदनगर के 16 पंचायतों में 14.96 क्विंटल, हसपुरा में 19.92 क्विंटल गोह में 28.32 क्विंटल रफीगंज में 29.92 क्विंटल मदनपुर में 28.96 क्विंटल देव व कुटुंबा में 24.96-24.96 क्विंटल तथा नवीनगर प्रखंड के किसानों के बीच 21.96 क्विंटल यानी कुल मिलाकर पूरे जिले में 250 क्विंटल अनुदानित दर पर तिल का बीज किसानों को दिया जाना है. अधिकारियों ने बताया कि इसके अलावा तिल के प्रत्यक्षण कीट उपलब्ध कराई जा रही है. अगर किसान इमानदारी से तील की खेती करेंगे तो उपज से अच्छी आमदनी की उम्मीद की जा सकती है. विदित हो कि हाल की बुवाई की गयी तिल घाटे का सौदा हो सकती है. मार्च से लेकर अप्रैल तक गर्मा तिल की बुआई हो जानी चाहिए. खरीफ तिल की बुआई जून महीने में होती है. इसके लिए उस तरह की मिट्टी होनी चाहिए. अभी की बुआई की गई फसल तैयार होने मेें अगस्त महीना आ जायेगा. उक्त जमीन में धान की रोपाई नहीं की जा सकती है. हालांकि, असिंचित क्षेत्र के लिए तिल का फसल वरदान साबित होगा.क्या बताते हैं विशेषज्ञ
मौसम वैज्ञानिक डॉ अनूप कुमार चौबे ने बताया कि तिल नगदी तेलहनी फसल है. फसल लगाने से पहले खेत की तैयारी करनी जरूरी है.फबल लगाने के पश्चात समय-समय पर फसल की सिंचाई होनी चाहिए.फसल की कुड़ाई व खरपतवार नियंत्रण कर किसान कम लागत में बेहतर उत्पादन कर सकते है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है