गोह. आधा रोहणी नक्षत्र बीतने के बावजूद कोचहासा एवं माली रजवाहा नहर में अबतक पानी नहीं पहुंचा है, जिससे क्षेत्र के हजारों किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है. इस समय तक धान का बिचड़ा (नर्सरी) डालने की तैयारी जोरों पर होनी चाहिए थी, लेकिन नहर में पानी न रहने से खेत सूखे पड़े हैं. किसान आसमान की ओर टकटकी लगाये वर्षा की प्रतीक्षा कर रहे हैं. गौरतलब है कि कोचहासा और माली रजवाहा नहर प्रणाली से औरंगाबाद और अरवल जिले के दर्जनों गांव के सैकड़ों एकड़ खेतों की सिंचाई का प्रमुख साधन है. प्रत्येक वर्ष रोहिणी नक्षत्र शुरू होते ही इन नहरों में पानी छोड़ा जाता था ताकि किसान धान की बिचड़ा तैयार कर सकें, लेकिन इस बार आधा रोहिणी बीतने के बाद भी नहरों में पानी का अता-पता नहीं है.किसानों का कहना है कि विभागीय उदासीनता और सिंचाई विभाग की लापरवाही का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है. समय पर पानी नहीं आने के कारण धान की फसल पिछड़ने का डर है. कुछ किसानों ने निजी बोरिंग से खेतों में पानी देने की कोशिश की, लेकिन डीजल की महंगाई और गहराते जलस्तर ने यह रास्ता भी कठिन बना दिया है. स्थानीय किसान शिव मंगल पांडेय, संतोष शर्मा, मुन्ना शर्मा, अजय शर्मा, चितरंजन सिंह, राजेश कुमार, रंजीत यादव, मुकेश साव आदि ने बताया कि अब यदि जल्द बारिश नहीं हुई या नहरों में पानी नहीं छोड़ा गया, तो इस साल धान की खेती संकट में पड़ सकता है. उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि तत्काल नहरों की सफाई कर उसमें पानी छोड़ा जाये.
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