औरंगाबाद/अंबा. उत्तर कोयल मुख्य नहर का लाईनिंग कार्य काफी धीमी गति से चल रहा है. ऐसी स्थिति में नहर का रिमॉडलिंग कार्य ससमय कैसे पूरा होगा, इसके बारे में कुछ भी अनुमान लगाना असहज प्रतीत हो रहा है. मगध प्रक्षेत्र के खेतिहरों के सिंचाई के लिए जीवनदायिनी साबित होने वाली उत्तर कोयल मुख्य नहर लाइनिंग कार्य वाप्कोस के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. बिहार में 28 नंबर 2023 से और झारखंड में वर्ष 2021 के अप्रैल महीने ने लाइनिंग कार्य शुरू है. अब तक 20 प्रतिशत भी काम पूरा नहीं हुआ है. हालांकि, नहर के लाइनिंग व सभी तरह के संरचनाओं के कार्य को पूरा करने के लिए वाप्कोस द्वारा कई तरह के आधुनिक मशीनरी प्रयोग किये जा रहे हैं. पुराने टाइल्स को हटाने के लिए पोकलेन, गाद की सफाई के लिए जेसीबी सीएनएस के लिए कंपेक्टर व रौलर, लाईनिंग के लिए रेल व पेवर मशीन का प्रयोग किया जा रहा है. वैसे तो वर्ष 1972 में उत्तर कोयल सिंचाई परियोजना का सृजन हुआ था. इसके 21 वर्षो के बाद बिहार सरकार के वन विभाग की आपत्ति पर सभी तरह के सरंचनाओं के कार्य पर रोक लगा दी गयी थी. इसका मुख्य वजह था कि कुटकू डैम का डूब क्षेत्र में आने वाली भूमि टाइगर प्रोजेक्ट का भू-भाग था. इस बीच केंद्र सरकार की उदासीनता के वजह से 2007 से लेकर 2013 तक उक्त सिंचाई परियोजना मृतप्राय हो गयी थी. वर्ष 2009 में औरंगाबाद के सांसद सुशील कुमार सिंह ने कोयल नहर के अधूरे कार्यो को पूरा करने का संकल्प लिया. 2014 में जब केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी, इसके बाद तत्कालीन सांसद श्री सिंह के प्रयास से सभी तरह की अड़चने एक-एक कर दूर होने लगी. कुछ हीं महीनों के बाद केंद्र सरकार द्वारा झारखंड हिस्से में कोयल नहर के लाइनिंग के रास्ते व पुल-पुलिया के सरंचनाओं के लिए 1622.27 करोड़ राशि आवंटित कर दी गयी थी. इसी कड़ी में बिहार वाले हिस्से में भी नहर के सभी ढांचे पर काम शुरू किया गया. ऐसा माना जा रहा कि नहर के रिमॉडलिंग होने से वाटर ड्राइंग डिस्चार्ज प्रभावित नहीं होगा. औरंगाबाद के साथ गया जिले के आमस, गुरूआ, गुरारू, कोंच व टिकारी प्रखंड क्षेत्र में खरीफ फसल की अनवरत सिंचाई होगी.
क्या है रिमॉडलिंग का प्रावधान
कोयल नहर के रिमॉडलिंग के दौरान नहर के बेड से लेकर दोनो साइड तटबंधों के किनारे लाइनिंग किया जाना है. इसके साथ जल प्रवाह के अवरोध समाप्त करने के लिए संकीर्ण पुलिया हटाये जाने है. झारखंड हिस्से में बराज के 0 आरडी के बाद से लेकर नहर के अंतिम छोर 358 आरडी तक 109.09 किलोमीटर की दूरी में लाईनिंग कार्य किया जाना है. इसमें 0 से लेकर 103 आरडी यानी 31.40 किलोमीटर झारखंड इलाके में है और 77.69 किमी दूरी में बिहार के मेन कैनाल में लाइनिंग कार्य किया जाना है. लाईनिंग के दौरान पुराने जमाने के टाइल्स व गाद को हटा कर साफ कर दिया जाना है. इसके बाद सीएनएस कार्य किया जाना है. विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार क्षेत्र अभियंताओं द्वारा नित्य दिन, अधीक्षण अभियंता व मुख्य अभियंता द्वारा साप्ताहिक तथा गुण नियंत्रक, सीडब्ल्यूसी और शोध प्रमंडल द्वारा नहर के कार्यों का पाक्षिक मॉनीटरिंग किया जाता है.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता अर्जुन प्रसाद सिंह ने बताया कि 15 जून तक कोयल नहर में लाइनिंग कार्य जारी रहेगा. इसके बाद से मशीनरी व डायवर्सन हटाये जाने लगेंगे़ 25 जून से टेस्टिंग के लिए नहर का संचालन किया जाना है. बिहार पोरसन में 77.69 किलोमीटर की दूरी में लाइनिंग की जानी है, जिसमें वाप्कोस ने 21.80 किलोमीटर की दूरी में लाइनिंग कार्य पूरा कर लिया है. वहीं, बिहार पोरसन में 177 एचआर व सीआर आदि सरंचनाओं को रिमॉडलिंग किया जाना है. अब तक 21 संचरनाओं का कार्य पूरा हो गया है. वहीं 35 संरचना का कार्य प्रगति पर है. अंबा डिवीजन क्षेत्र में बतरे नदी के समीप जल प्रवाह रफ्तार बढ़ाने के दो और वेंट बनाया गया है. पहले से तीन वेंट था अब पांच हो गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

