दाउदनगर. दाउदनगर महाविद्यालय के प्रेमचंद सभागार में राष्ट्रीय सेवा योजना एवं इतिहास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं वर्षगांठ पर भारत के प्रशासनिक एवं सामाजिक सुधार में अहिल्याबाई होल्कर के योगदान विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया. अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो डॉ एमएस इस्लाम ने कहा कि अहिल्याबाई होल्कर का जन्म 300 साल पहले हुआ था, परंतु उनके द्वारा किये गये कार्य एवं उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं. लोगों की सुविधाओं के लिए सड़कबनाना, कुएं व जलाशय खुदवाना, महिलाओं की शिक्षा की बात करना, मंदिरों का जीर्णोद्धार व धर्मशालाओं आदि का निर्माण करना अहिल्याबाई के द्वारा किये गये ऐसे कार्य हैं, जो उन्हें एक कुशल प्रशासक की श्रेणी में खड़ा करता है. वर्तमान समय में भी सरकारों एवं उच्च संस्थानों के प्रशासनिक अधिकारियों में अहिल्याबाई के कुशल प्रशासनिक क्षमता को सीखने की जरूरत है तथा अपने अपने कार्य क्षेत्र में बेहतर नीति बनाकर नागरिक सुविधाओं को विकसित करना चाहिए. इतिहास विभाग के सहायक प्राचार्य डॉ इन्दु भूषण प्रसाद ने कहा कि अहिल्याबाई का जीवन बहुत ही संघर्षपूर्ण रहा है. अहिल्याबाई एक क्रांतिकारी महिला प्रशासक थी, जिन्होंने तत्कालीन भारतीय समाज में फैली सती प्रथा का न केवल विरोध किया, अपितु अपने साम्राज्य में बंद भी करवाया. उन्होंने अपने शासन क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए बड़े पैमाने पर कुटीर एवं लघु उद्योग खुलवाए जिसमें माहेश्वरी का रेशमी वस्त्र उद्योग बहुत प्रसिद्ध हुआ. वे न्यायप्रिय शासिका थी, जिसने अपने बेटे के छोटे से किये गये अपराध पर भी उसे मृत्युदंड की सजा सुनायी थी. उनके द्वारा किये गये प्रशासनिक एवं सामाजिक सुधार वर्तमान समय में भी अनुकरणीय है. व्याख्यान का संचालन दर्शनशास्त्र के सहायक प्राचार्य डॉ बरुण कुमार चौबे ने किया व धन्यवाद ज्ञापन वनस्पति शास्त्र के सहायक प्राचार्य डॉ सुमित कुमार मिश्रा ने किया. मौके पर कॉलेज के पीआरओ डॉ देव प्रकाश समेत अन्य शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मी एवं बड़ी संख्या में छात्र एवं छात्राएं मौजूद थे. कॉलेज के सफाईकर्मी कमला देवी के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गयी.
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