औरंगाबाद ग्रामीण. औरंगाबाद-पटना मुख्य एनएच 139 पर जम्होर थाना क्षेत्र के चित्रगोपी गांव के समीप काम कर घर लौट रहे बाइक सवार बिजली मिस्त्री को तेज रफ्तार ट्रक ने रौंद दिया. घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गयी. घटना शुक्रवार की देर रात की है. मृतक की पहचान दाउदनगर शहर स्थित वार्ड नंबर आठ निवासी मो शमीम अहमद के पुत्र आरिफ हुसैन के रूप में हुई है. जानकारी मिली कि आरिफ बिजली मिस्त्री था और वह सोलर पैनल लगाने वाली कंपनी के साथ औरंगाबाद में काम कर रहा था. शुक्रवार की रात वह औरंगाबाद से काम कर घर दाउदनगर लौट रहा था. इस दौरान वह जैसे ही जम्होर थाना क्षेत्र के चित्रगोपी गांव समीप स्थित बीएड कॉलेज के पास पहुंचा, तभी पीछे से आ रहे ट्रक ने उसकी बाइक में टक्कर मार दिया. टक्कर लगने के बाद बाइक ट्रक में फंस गयी. इसके बाद भी चालक ट्रक को भागाते हुए लगभग एक किलोमीटर तक बाइक को घसीटता चला गया. किसी तरह से ट्रक में फंसी बाइक अलग हुई, तो चालक ट्रक लेकर फरार हो गया. स्थानीय लोगों द्वारा घटना की जानकारी जम्होर थाने की पुलिस को दी गयी. घटना की सूचना मिलते ही जम्होर थानाध्यक्ष नितिन कुमार मिश्रा दलबल के साथ मौके पर पहुंचे और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया. शव की पहचान होने के बाद घटना की जानकारी मृतक के परिजनों को दी गयी. परिजन सदर अस्पताल पहुंचे व शव से लिपटकर चीत्कार उठे. परिजनों ने बताया कि आरिफ के एक पुत्र व एक पुत्री है. घटना की सूचना पर पूर्व उप मुख्य पार्षद कौशलेंद्र सिंह सहित कई लोग घटनास्थल पर पहुंचे और परिजनों को ढांढस बंधाया. स्थानीय लोगों ने प्रशासन से पीड़ित परिवार को मुआवजा देने और दोषी वाहन चालक पर सख्त कार्रवाई की मांग की. मृतक आरिफ मोहम्मद मेहनती और मिलनसार स्वभाव का व्यक्ति था. बिजली मिस्त्री के रूप में कार्य करते हुए वह अपने परिवार की जिम्मेदारी ईमानदारी से निभा रहा था.
पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल में भटकते रहे परिजन
पोस्टमार्टम कराने सदर अस्पताल पहुंचे परिजनों को काफी देर तक इंतजार करना पड़ा. जब शव पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल पहुंचा तो वहां मौजूद डॉक्टरों ने यह कहकर प्रक्रिया टालने की कोशिश कर दी कि पोस्टमार्टम अब सुबह ही होगा. घटना की सूचना पर सदर अस्पताल पहुंचे समाजसेवी रवि मिश्रा ने तत्काल सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार चौधरी से फोन पर संपर्क किया. सिविल सर्जन ने जिम्मेदारी डिप्टी सुपरिंटेंडेंट पर डाल दी और कहा कि उन्हीं से बात कर लीजिए. समाजसेवी और परिजनों द्वारा अस्पताल उपाधीक्षक को तीन बार कॉल किया गया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया. आरोप है कि कुछ देर बाद उन्होंने अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया. जब यह बात सिविल सर्जन को बताई गई और मौके पर भीड़ की गंभीरता से अवगत कराया गया, तो उन्होंने मौजूद डॉक्टर से बात कराने को कहा. इसके बाद वहां मौजूद लोगों ने अस्पताल में ड्यूटी पर रहे डॉक्टर से संपर्क स्थापित कराया, जिसके बाद सिविल सर्जन ने निर्देश दिया कि किसी भी तरह से मैनेज कर पोस्टमार्टम की प्रक्रिया को रात में ही पूरा किया जाये. अंततः प्रशासन की अनिच्छा के बावजूद लोगों की सक्रियता और दबाव के चलते पोस्टमार्टम की प्रक्रिया रात में ही संपन्न हो सकी. लोगों ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गहरा असंतोष जताया है. जानकारी मिली कि कुछ लोगों ने अस्पताल में हंगामा भी किया. कुछ लोगों का कहना है कि जब सैकड़ों लोग वहां मौजूद थे और मृतक के परिजन सदमे में थे, तब अधिकारियों की यह बेरुखी बेहद निंदनीय है. डीएस डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह ने आरोप को निराधार बताया है. कहा कि सूचना पर तुरंत पोस्टमार्टम कराया गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

