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Aurangabad News : औरंगाबाद जिले में उष्ण लहर का अलर्ट, पेयजल के लिए मचा हाहाकार

Aurangabad News : बोतल बंद पानी बना लोगो का सहारा, नदियां व सरोवर के वजूद पर संकट

औरंगाबाद/कुटुंबा. प्रकृति में बरसात का प्रथम चरण आषाढ़ महीना प्रवेश करने वाला है. बुधवार को ज्येष्ठ समाप्त हो रहा है. सूर्य मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश कर रहे हैं. मौसम का तापमान परवान पर है. सूर्य की तीखी किरणें वायुमंडल को तपा रही है. प्रायः आठ बजे सुबह के बाद घर से बाहर निकलने में बदन जल रहा है. प्रकृति की निगाहें क्रूर हो गयी है. हाल के जेठ की दोपहरी में हर कोई बेचैन दिख रहा है. उमस भरी गर्मी से जीव जंतु बेहाल है. वन्य प्राणी पानी की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं. ऐसे मौसम में जैव विविधता के जीवन चक्र पर खतरा मंडरा रहा है. पंखे व कूलर काम नहीं आ रहे. जिले कमी सभी नदियां पानी के लिए तरस रही है. मनरेगा का अमृत सरोवर बेकार हो रहा है. जल जीवन हरियाली योजना धरातल पर गुमनाम साबित हो रही है. पेड़ों की कमी होने से धरती वीरान लग रही है. ऐसे में जल संकट की समस्या दिन-प्रतिदिन गहराता जा रहा है. बोतल बंद का पानी ही लोगों का सहारा बना है.

भूजल स्तर रोकने का काम करते थे जलस्रोत

आज से तकरीबन 30 वर्ष पहले नदियों व सरोवरों का जल श्रोत अपने मूल स्वरूप में थे. कुआं, तालाब, बांध, आहर, पोखर व नदियां पानी संचय का मुख्य श्रोत माना जाता था. आधुनिक जमाने में चापाकल लगाकर कुएं को पाटने लगे. अतिक्रमण व शहरीकरण के कारण नदियां सिकुड़ने लगी. अब सरकार चापाकल के बाद सबमर्सिबल व नल जल लगाने लगी है. आये दिन लोग एक-दो लोटा पानी की जगह 10 बाल्टी पानी को धरती से निकाल रहे हैं.

सुख रहे जल स्राेत को करना होगा सुरक्षित

भीषण गर्मी, घटते जल स्रोत, सूखती नदियां, विलुप्त होते आहर पोखर इसका दोषी कौन है. यह चिंता का विषय बन गया गया है. रिटायर्ड अधिकारी रामचंद्र सिंह बताते हैं कि युवा वर्ग को जटिल समस्या की ओर जोरदार क्रांतिकारी आंदोलन के रूप में इसे स्वीकार करना होगा. इसके लिए अपने-अपने गांव के आहर पोखर को सुरक्षित करना होगा, नदियों को अतिक्रमण मुक्त करना होगा. आये दिन नदियां प्लास्टिक के कचरे से पट गयी है. ऐसे में पर्यावरण प्रदूषण बढ़ गया है. इसके लिए बरगद, पीपल, गुलर, पाकड़, बीजू आम जैसे पौधे लगाना होगा. अवकाशप्राप्त प्रधानाध्यापक जयप्रकाश नारायण शर्मा, बुद्धजीवि शिवनाथ पांडेय, कपिलदेव पांडेय आदि बताते हैं कि अब वो दिन दूर नही, जब बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष होगा.

क्या बताते हैं मौसम वैज्ञानिक

मौसम वैज्ञानिक डॉ अनूप कुमार चौबे ने बताया कि औरंगाबाद सहित बिहार के 31 जिलों में 10 जून तक गरम एवं उष्ण लहर का अलर्ट है. बिहार में गर्मी बढ़ने का मुख्य कारण दक्षिण-पश्चिम मॉनसून का कमजोर होना व शुष्क पश्चिमी हवाओं का प्रभाव माना जा रहा है. जून के दूसरे सप्ताह तक राज्य में मॉनसून की पहली बारिश हो जाती है, पर इस बार मॉनसून की गति धीमी है. इसके वजह से वातावरण में नमी की कमी और अधिकतम तथा न्यूनतम तापमान में वृद्ध हो रही है. उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन का असर औरंगाबाद जिला में भी पड़ा है. ये सब पर्यावरण प्रदूषण के कारण दर्शाता है. अगामी भविष्य के लिए यह शुभ संकेत नहीं है. अभी तीन दिनो तक मौसम में बदलाव नहीं होगा.

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