ओबरा. ओबरा स्थित पंजाब नेशनल बैंक से एक मृत महिला मानमती देवी के नाम पर फर्जी तरीके से किसान क्रेडिट लोन पास कराये जाने का मामला प्रकाश में आया है. बड़ी बात यह है कि अंचल से एलपीसी व रसीद भी अवैध तरीके से बनाया गया और फिर उसे लोन के लिए बैंक को उपलब्ध कराया गया. बैंक से एक लाख 80 हजार रुपये का ऋण भी निर्गत कर दिया गया और फिर पैसों की निकासी भी हो गयी. बड़ी बात यह है कि बैंक से 8.12.2015 को ऋण स्वीकृत की गयी, जबकि उक्त महिला का निधन 28 अक्टूबर 2002 को ही हो गयी थी. यानी कि महिला की मृत्यु के 12 साल बाद फर्जी एलपीसी के माध्यम से ऋण स्वीकृत की गयी. इस मामले का खुलासा तब हुआ,जब राष्ट्रीय लोक अदालत में 13 सितंबर को समझौता के लिए पत्र निर्गत किया गया. वैसे उक्त खाता दो मई 2018 को ही एनपीए हो गया. एक लाख 80 हजार रुपये एनपीए की तिथि से ब्याज सहित चार लाख दो हजार 987 रुपये हो गये.अब सवाल यह उठता है कि जिस महिला की 12 साल पहले ही मौत हो गयी, उस महिला के नाम पर ऋण कैसे निर्गत कर दिया गया. वह भी बिना जांच पड़ताल के. इस मामले से संबंधित जो साक्ष्य प्राप्त हुए है. उसमें राष्ट्रीय लोक अदालत सिविल कोर्ट से संबंधित नोटिस और महिला का मृत्यु प्रमाण पत्र. सही क्या है और गलत क्या है यह जांच पड़ताल के बाद ही स्पष्ट होगा. मानमती कुंवर के नाम से जो मृत्यु प्रमाण पत्र बना है उसमें मृत्यु की तिथि 28 अक्तूबर 2002 दर्शायी गयी है. लोन की तिथि आठ दिसंबर 2015 है. ऐसे में अंचल कार्यालय में उस वक्त पदस्थापित रहे राजस्व कर्मचारी, सीओ और बैंक के अधिकारी भी सवालों के घेरे में है. आश्चर्य की बात है कि महिला के पति महेंद्र सिंह के नाम पर भी एलपीसी निर्गत की गयी है. इधर इस संबंध में पंजाब नेशनल बैंक ओबरा के शाखा प्रबंधक संतोष कुमार से पक्ष जाना गया, तो उन्होंने बताया कि इस मामले से संबंधित लिखित रूप में उन्हें शिकायत अब तक प्राप्त नहीं हुई है. जैसे ही शिकायत प्राप्त होगी निश्चित रूप से निर्गत किये गये एलपीसी से संबंधित रजिस्टर पंजी को वरीय पदाधिकारी से मार्गदर्शन लेते हुए कार्रवाई के लिए अनुशंसा की जायेगी.
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