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औरंगाबाद-हरिहरगंज एनएच 139 : खूनी सड़क बनी यातायात के लिए खतरा

राष्ट्रीय राज्य मार्ग कब बनेगा फोरलेन बनेगा लोग कर रहे इंतजार, सड़क के दोनों किनारों पर खतरनाक खाई

राष्ट्रीय राज्य मार्ग कब बनेगा फोरलेन बनेगा लोग कर रहे इंतजार, सड़क के दोनों किनारों पर खतरनाक खाई

औरंगाबाद/कुटुंबा. औरंगाबाद-हरिहरगंज एनएच 139 पथ अब पूरी तरह से डेथ सड़क बन चुका है. आये दिन इस मार्ग पर दुर्घटनाएं होती रहती हैं और गुजरने वाले यात्रियों की जान जोखिम में रहती है. कहा जा सकता है कि जिला मुख्यालय से झारखंड को जोड़ने वाली यह सड़क अब खूनी सड़क बन चुकी है. स्थानीय लोगों का कहना है कि वन-वे सड़क पर प्रतिदिन हजारों वाहनों का परिचालन होता है. वाहन चालक अधिक से अधिक ट्रिप लगाकर स्टोन और क्लिकर की ढुलाई से मोटी कमाई करने में लगे रहते हैं. अनियंत्रित और लापरवाही से वाहन चलाने के कारण सड़क दुर्घटनाएं स्वाभाविक हैं. वर्तमान स्थिति यह है कि सूर्यास्त के बाद बाइक चालक एनएच पथ से होकर गुजरने की हिम्मत नहीं करते.

केंद्रीय मंत्री की घोषणा बनी छलावा

गया से चुनावी मंच पर पूर्व केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एनएच 139 सड़क को फोरलेन बनाने की घोषणा की थी और इसके लिए राशि जारी करने का आश्वासन भी दिया था. लोगों को उम्मीद थी कि अब तक सड़क को फोरलेन बना दिया जायेगा. कुछ महीनों बाद केंद्रीय मंत्री ने नई घोषणा की, जिसमें सड़क को दाउदनगर से काटकर सासाराम की ओर जोड़ने की बात कही गई. इससे जिले के दक्षिण क्षेत्र के लोग मायूस हैं. लोगों का कहना है कि एनएच 139 अब तक फोरलेन क्यों नहीं हुआ और फोरलेन लेन के बावजूद जाम की समस्या बनी रहती है.

मौत से ज्यादा महत्वपूर्ण मुआवजा?

खूनी सड़क पर यात्रा करने वाले की मौत पर मुआवजा देकर सरकार चुप रहती है. इससे लोग समझ नहीं पाते कि किसी की जान से ज्यादा महत्वपूर्ण मुआवजा कैसे हो सकता है. एनएच सड़क से यात्रा के दौरान हर साल दर्जनों लोगों की जिंदगी समाप्त हो रही है. न जाने कितने लोगों की खुशियों का चिराग बुझ गया और कितने सौभाग्यशाली लोगों का सुहाग उजड़ गया. एनएच 139 से स्थानीय सहित बिहार, झारखंड, यूपी, एमपी, बंगाल, ओड़िशा और दिल्ली जाने वाली गाड़ियां प्रतिदिन गुजरती हैं.

सड़क पर सिल्ट का जमाव और उभरे खतरनाक गड्ढे

एनएच 139 सड़क के दोनों किनारे बालू, गिट्टी और मिट्टी का सिल्ट जम गया है. इसके कारण प्रतिदिन बाइक चालक फिसलकर गिर रहे हैं. सबसे अधिक परेशानी रात में होती है, जब सामने से गुजरने वाले वाहनों की रोशनी से नजरें चकाचौंध हो जाती हैं. इस स्थिति में बाइक चालक उभरे खतरनाक गड्ढे में गिरकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं, कभी-कभी मौत भी हो जाती है. जानकारी के अनुसार, लगभग 10 वर्ष पहले एनएच पथ का निर्माण हुआ था, जो अब गड्ढों में तब्दील हो गया है. सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे दोपहिया वाहन चालकों के लिए मौत का आमंत्रण दे रहे हैं. आंशिक मरम्मत का भी अभाव रहा है. स्थानीय बुद्धिजीवी अशोक कुमार सिंह, राजीव पांडेय, भगवान सोनी और अरुण कुमार पांडेय ने जिला प्रशासन और संबंधित विभाग का ध्यान आकृष्ट कराते हुए सड़क को तुरंत सुदृढ़ बनाने की मांग की है.

एग्जीक्यूटिव इंजीनियर की प्रतिक्रिया

राष्ट्रीय उच्च पथ के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, औरंगाबाद ने बताया कि निकट भविष्य में एनएच 139 को फोरलेन बनाने की कोई योजना नहीं है. उन्होंने कहा कि सड़क पर सिल्ट का जमाव शीघ्र हटाकर आवागमन सुगम बनाया जायेगा. सड़क पर उभरे गड्ढों को भरने की कार्रवाई जारी है और जल्द ही सड़क को पाटकर सुगम पथ बनाया जायेगा.

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