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पहले 60, अब मात्र छह कर्मचारी
पुरानी बात. आबादी बढ़ी, पर नगर पर्षद में नहीं दिखा बदलाव शुरुआत में करीब 14 हजार 154 लोगों के लिए तैनात थे पर्याप्त कर्मचारी अब करीब एक लाख पांच हजार की आबादी पर संसाधन रह गये नाममात्र औरंगाबाद सदर : नगर पर्षद इन दिनों कर्मचारियों की कमी का दंश झेल रही है. काम के एवज […]
पुरानी बात. आबादी बढ़ी, पर नगर पर्षद में नहीं दिखा बदलाव
शुरुआत में करीब 14 हजार 154 लोगों के लिए तैनात थे पर्याप्त कर्मचारी
अब करीब एक लाख पांच हजार की आबादी पर संसाधन रह गये नाममात्र
औरंगाबाद सदर : नगर पर्षद इन दिनों कर्मचारियों की कमी का दंश झेल रही है. काम के एवज में कर्मचारी कम हैं. पहले शहर की आबादी कम थी, तो नगर पर्षद में मकानों की संख्या भी कम थी. समय बीतता गया और शहर की अाबादी बढ़ती गयी. धीरे-धीरे शहर की आबादी बढ़ती गयी.
वहीं, नगर पर्षद के कर्मचारियों की संख्या घटती गयी. शहर के रख-रखाव सहित विभागीय कार्यों का बोझ झेल रहे कर्मचारियों ने बताया कि नगर पर्षद अपने स्थापना काल से आज बहुत बुरी स्थिति में है. पहले स्वीकृत पद पर सारे कर्मचारी कार्यरत थे. लेकिन, आज स्वीकृत पद से महज 10 प्रतिशत कर्मचारी ही विभाग में कार्यरत हैं. जब शहर की आबादी 30 से 40 हजार के बीच थी तो यहां मकानों की संख्या कम थी. वक्त के साथ शहर फैलता गया और नगर पर्षद कार्यालय में कर्मचारियों की संख्या कम होती गयी.
काम निबटाने में हो रही परेशानी : नगर पर्षद कार्यालय में कर्मचारियों की कुल स्वीकृत पद 60 है. लेकिन, वर्तमान में मात्र छह ही कर्मचारी कार्यरत हैं. विभाग में बड़ा बाबू एक, कैशियर एक, लिपिक एक, सहायक एक, चपरासी एक, जमादार एक, इस्पेक्टर एक और 11 स्वीपर कार्यरत हैं. कर्मचारियों की संख्या कम रहने के कारण विभाग को बहुत परेशानी हो रही है.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
नगर आवास विकास विभाग की बैठक में अक्सर कर्मचारियों की कमी को वरीय पदाधिकारियों के समक्ष बताया जाता है. विभाग में कई कार्य कर्मचारियों के अभाव में लेट से पूरा होता है. कर्मचारियों की कमी एक जटिल समस्या है. लेकिन, औरंगाबाद नगर पर्षद कार्यालय स्थानीय स्तर पर किसी तरह मैनेज कर चलाया जा रहा है. स्वीकृत पद से कर्मचारियों की संख्या काफी कम है. विभाग को प्राय: इसकी लिखित जानकारी दी जाती है.
विमल कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी नगर परिषद
20 फरवरी 1960 में हुई थी स्थापना
औरंगाबाद नगर पर्षद राज्य के पुराने नगरपालिका में एक है. विभाग के अनुसार नगर पर्षद अधिसूचित क्षेत्र समिति की स्थापना 20 फरवरी 1960 को हुई थी, तब विभाग में स्वीकृत पद 60 थे और 60 कर्मचारी भी कार्यरत थे. उस वक्त शहर की आबादी 14 हजार 154 थी और मकानों की संख्या भी कम थी. लेकिन धीरे-धीरे शहर की आबादी बढ़ती गयी और नगर पर्षद के पुराने कर्मचारी रिटायर होकर पद से विमुक्त होते चले गये.
आज स्थिति यह है कि मात्र छह कर्मियों के भरोसे पूरा नगर पर्षद का कार्य चल रहा है. नगर पर्षद में कार्यरत शशिभूषण प्रसाद ने बताया कि आज नगर पर्षद की आबादी करीब एक लाख पांच हजार है और राजस्व वसूले जानेवाले भवनों की संख्या 10 हजार 43 है. कर्मियों के अभाव में राजस्व वसूली से लेकर शहर के सफाई व्यवस्था की जिम्मेवारी बड़ी जवाबदेही के साथ निभानी पड़ती है.
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