9.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

साढ़े तीन महीने से नहीं हुई फॉगिंग धीरे-धीरे बढ़ रहा मच्छरों का प्रकोप

लाखों रुपये खर्च कर खरीदी गयी मशीनों का कोई लाभ नहीं 2017 के नवंबर-दिसंबर माह में किया गया था मशीन का उपयोग शहर के कुछ वार्डों में ही ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव लोगों की शिकायत-कहीं भी फाॅगिंग वक्त पर नहीं होती औरंगाबाद सदर : मौसम में आयी तब्दीली के बाद तापमान चढ़ने लगा है.तापमान के […]

लाखों रुपये खर्च कर खरीदी गयी मशीनों का कोई लाभ नहीं

2017 के नवंबर-दिसंबर माह में किया गया था मशीन का उपयोग
शहर के कुछ वार्डों में ही ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव
लोगों की शिकायत-कहीं भी फाॅगिंग वक्त पर नहीं होती
औरंगाबाद सदर : मौसम में आयी तब्दीली के बाद तापमान चढ़ने लगा है.तापमान के बढ़ने के कारण धीरे-धीरे मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ रहा है.शहर में मच्छरों का आतंक बढ़ने के कारण अब दिन में भी ये डंक मार रहे है.दिन में भी घरों में लोग मच्छर भगाने वाली दवाएं व दूसरे उपाय कर रहे हैं. इसके बाद भी मच्छर कम होने का नाम नहीं ले रहे. मच्छरों के आतंक को कम करने के लिए नगर पर्षद द्वारा कोई उपाय नहीं किया जा रहा .मच्छरों के प्रकोप को कम करने के लिए नगर पर्षद द्वारा लाखों रुपये खर्च कर खरीदी गयी मशीनों का उपयोग 2017 के नवंबर-दिसंबर माह में किया गया था. तब ठंड का समय था.
लगभग साढ़े तीन महीने बीतने के बाद भी अब नगर पर्षद द्वारा शहर में फॉगिंग नहीं करायी जा रही. यहां-वहां फैली गंदगी भी मच्छरों को पनपने का मौका दे रही है.
वीआईपी इलाकों के लोगों के दबाव पर होती है फॉगिंग : विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, शहर के कुछ वार्डों में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया गया है व समय-समय पर फाॅगिंग भी करायी जाती है, जबकि हकीकत में शहर में कहीं भी फाॅगिंग वक्त पर नहीं होती. लोगों की शिकायत है कि नगर पर्षद पर अधिकारियों व वीआईपी इलाकों में रहने वाले लोगों का दबाव पड़ने पर ही फाॅगिंग करायी जाती है.
मामूली खर्च से बचती है नगर पर्षद : नगर पर्षद औरंगाबाद के पास दो फागिंग मशीनें हैं. दोनों मशीनों के खर्च अलग-अलग हैं. नगर पर्षद के अनुसार बड़े फागिंग मशीन से छिड़काव के दौरान प्रति घंटे 60 लीटर डीजल की खपत होती है. छिड़काव से पहले मशीन को स्टार्ट करने के लिए दो से तीन लीटर पेट्रोल की आवश्यकता होती है. इसके साथ 750 रुपये प्रति लीटर मिलने वाले एक केमिकल का इस्तेमाल प्रति 10 लीटर डीजल में मिला कर छिड़काव किया जाता है. छोटे मशीन को स्टार्ट करने में दो लीटर पेट्रोल की आवश्यकता पड़ती है. इस मशीन में प्रति घंटे 18 से 20 लीटर डीजल की खपत होती है. इस मशीन में भी वहीं 10 लीटर डीजल में 750 रुपये प्रति लीटर वाला केमिकल मिलाया जाता है, उसके बाद इसका छिड़काव होता है. इसके अनुसार बड़े फांगिंग मशीन में डीजल पर 4 हजार 620 रुपये ,पेट्रोल पर 230 रुपये व केमिकल पर 750 रुपये खर्च होते हैं . छोटी मशीन से छिड़काव पर पेट्रोल पर 154 रुपये,डीजल पर 1520 रुपये व केमिकल पर 750 रुपये खर्च होते हैं. शहर के नागरिकों के स्वास्थ्य को देखते हुए नगर पर्षद के लिए देखा जाये तो यह रकम बहुत मामूली है,जिससे शहर के लोगों का स्वास्थ्य ठीक रह सकता है और वे मच्छरों के प्रकोप से बच सकते हैं,पर यह होता नहीं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें