औरंगाबाद/मदनपुर : पुलिस और नक्सलियों के बीच मंगलवार की शाम हुए मुठभेड़ और एक कोबरा जवान के शहीद होने के बाद सीआरपीएफ और कोबरा के जवानों के द्वारा नक्सलियों की टोह में लंगूराही और पचरुखीया के जंगलों में सघन सर्च अभियान चलाया गया. कुछ महीनों से दक्षिणी क्षेत्र में शांति का माहौल कायम हो गया था.
मंगलवार की नक्सली गतिविधि से एक बार फिर माहौल गरमा गया है. अभी कोबरा के जवान के शहीद होने का जख्म हरा ही है और खबर है कि आने वाले दिनों में नक्सली सुरक्षाबलों के लिये और परेशानी खड़ी कर सकते हैं. आये दिन मुठभेड़, जगह-जगह सुरक्षाबलों द्वारा आईईडी को निष्क्रिय किया जाना व सर्च ऑपरेशन के दौरान पकड़े जाने का डर. सूत्र बताते हैं कि फरवरी से मई माह तक नक्सली जिस रणनीति के अनुसार कार्य करते हैं उसका अनुपालन करने की पूरी कोशिश हो रही है. रणनीति का मुख्य उद्देश्य पुलिस फोर्स को कमजोर करना होता है. नक्सली बैठक कर पहले तय करते हैं
कि फोर्स और स्थानीय पुलिस कहां कमजोर है. इसके बाद प्लाटून के साथ एरिया में भ्रमण करते हैं और इस रास्ते में जो भी आता है उसके साथ गुरिल्ला युद्ध कर हमला करते हैं. इस दौरान वे विकास कार्यों में भी बांधा पहुंचाते हैं. इसी का नतीजा है कि नावाडीह व तिलैया में नक्सलियों ने सड़क निर्माण व तालाब निर्माण में लगे वाहनों को क्षति पहुंचायी.
जनवरी का महीना नक्सलियाें के लिए क्लोजिंग का महीना कहा जाता है. फरवरी से मई महीने तक टीसी-ओसी चलता है. बताया जा रहा है कि इस माह नक्सली आर-पार के मूड में हैं. मदनपुर के जंगली इलाके में नक्सलियों और जवानों के बीच मंगलवार के पहले भी मुठभेड़ हो चुका है. इसके अलावा बच्चों से लेकर जवानों को क्षति पहुंचाने की नीयत से नक्सलियों ने कई जगहों पर बम भी प्लांट किए थे. हालांकि जवानों की तत्परता से नक्सलियों को सफलता नहीं मिली.
जंगली इलाकों में भी इस समय बढ़ गयी हलचल
क्षेत्र के जंगली इलाकों में भी इस समय हलचल बढ़ गयी है. प्रमोशन का लालच अौर इस क्लोजिंग महीना को देखते हुये नक्सली आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं आैर जिले में इस माह कोई बड़ी घटना को अंजाम देने के फिराक में लग गये हैं. पुलिस द्वारा की जा रही नियमित घेराबंदी के बीच यह भी संभव है कि पुलिस और नक्सलियों के बीच जबरदस्त मुठभेड़ हो. गौरतलब है कि कि फरवरी माह में नक्सलियों का हर डिवीजन एक बैठक बुलाता है. इसमें एरिया कमेटी और एलओएस को टारगेट दिया जाता है. रणनीति हाेती है कि इस महीना में नक्सली लोगों के बीच बैठक कर उन्हें अपनी विचारधारा से जोड़ने के लिए प्रयास करें. साथ ही विस्फोटक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भी लक्ष्य दिया जाता है. यदि अपने लक्ष्य को मई माह तक पूरा करने में एरिया कमेटी या एलओएस सफल होता है तो उसे ईनाम दिया जाता है. इसके साथ ही उस पदाधिकारी का प्रमोशन भी कर दिया जाता है. किसी माइंस में आगजनी की घटना से लेकर बारूदी सुरंग के माध्यम से सुरक्षाबलों को बड़ी क्षति पहुंचाने की फिराक में माओवादी लगे हुए हैं. संभव है कि मुठभेड़ के दौरान नक्सलियों को भी काफी नुकसान उठाना पड़े क्योंकि अपने साथी कोबरा जवान की शहादत का बदला लेने को कमर कसे सुरक्षाकर्मी भी शांत बैठने वाले नहीं हैं.