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फिजूलखर्ची से दूर 2016 में देव सूर्य मंदिर में 940 जोड़े बंधे शादी के बंधन में औरंगाबाद शहर : हमारे समाज में शादियों को भव्य बनाने और भीड़ जुटाने की एक परंपरा सी चल गयी है. तिरूवंतपुरम में नोटबंदी के दौरान होटल व्यवसायी बिजू रमेश की बेटी की शादी भी फिजूलखर्ची की एक मिसाल ही […]

फिजूलखर्ची से दूर 2016 में देव सूर्य मंदिर में 940 जोड़े बंधे शादी के बंधन में
औरंगाबाद शहर : हमारे समाज में शादियों को भव्य बनाने और भीड़ जुटाने की एक परंपरा सी चल गयी है. तिरूवंतपुरम में नोटबंदी के दौरान होटल व्यवसायी बिजू रमेश की बेटी की शादी भी फिजूलखर्ची की एक मिसाल ही है.
इस मामले के बाद शादियों में होनेवाली फिजूलखर्ची को लेकर भी कई जगह चर्चाएं हुईं. औरंगाबाद का देव सूर्य मंदिर और मां सतबहिनी मंदिर फिजूलखर्ची की शादियों को आइना दिखा रहे हैं. शादी चाहे घर के मंडप में हो या मंदिर में, दूल्हा-दुल्हन अपने नये जीवन की शुरुआत ईश्वर को साक्षी मानकर ही करते हैं.
जब भगवान स्वयं सामने हों, तो मंदिर की शादी अपने आप में बेमिसाल मानी जाती है. देव सूर्य मंदिर में लाखों लोगों ने शादी कर अपने नये जीवन की शुरुआत की है. मंदिर के आंकड़ों पर गौर किये जाये, तो इन शादियों को काफी हद तक कैशलेस भी करार दे सकते हैं. वर्ष 2016 में देव सूर्य मंदिर में 940 जोड़े शादी के बंधन में बंधे. मंदिर समिति को तीन लाख 30 हजार 880 रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ. इस वर्ष यानी 2017 के पहले पांच महीनों में 670 शादियां हुईं और इन शादियों से समिति को 3 लाख 15 हजार 288 रुपये प्राप्त हुए. इसी तरह अंबा के मां सतबहिनी मंदिर में इस वर्ष अब तक 534 शादियां हुईं हैं और दो लाख 34 हजार 668 रुपये मंदिर न्याय समिति को राजस्व के रूप में प्राप्त हुए.
मंदिर में ही कराना पड़ता है रजिस्ट्रेशन
देव सूर्य मंदिर व मां सतबहिनी मंदिर अपने महत्व के लिए जाने जाते हैं. यहां होनेवाली शादी लाखों रुपये के बजाय 101 रुपये और 151 रुपये में हो जाती है. लड़की वाले शादी के लिए मंदिर का रजिस्ट्रेशन कराते हैं, तो उन्हें शुल्क के रूप में 101 रुपये और लड़केवाले कराते हैं, तो 151 रुपये देने पड़ते हैं. बाकी बैठने से लेकर मंडप तक की व्यवस्था मंदिर की होती है. हालांकि, बरातियों के नाश्ते व भोजन के लिए व्यवस्था खुद करनी होती है. इस पर लड़का व लड़कीवाले अपने सामर्थ्य के मुताबिक खर्च करते हैं.
क्या कहते हैं मंदिर समिति के सचिव
देव सूर्य मंदिर न्यास समिति के सचिव कृष्णा चौधरी कहते हैं कि पहले की तुलना में अब देव सूर्य मंदिर में कहीं अधिक शादियां हो रही हैं. शादी के महीनों पहले मंदिर में भगवान के समक्ष शादी की अर्जी देते हैं. मंदिर समिति रजिस्ट्रेशन का शुल्क लेती है. तामझाम और दिखावा नहीं होने के बाद भी ईश्वर के समक्ष विश्वास के साथ दूल्हा-दुल्हन नये जीवन की शुरुआत करते है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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