करपी ( अरवल) : किंजर के पुनपुन नदी तट पर अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के वास्ते पिंडदानियों का समूह गुरुवार को पिंडदान के लिए उमड़ पड़ा. कुव्यवस्था के बीच पिंडदानियों ने पिंडदान कर अपने पूर्वजों को मोक्ष की कामना की. बताते चलें कि सनातन धर्म में पूर्वजो के मोक्ष के लिए लोग गया में पिंडदान करते हैं. गया में पिंडदान करने से पूर्व पुनपुन नदी तट पर पिंडदान और तर्पण करते हैं. आश्विन माह के प्रथम पक्ष में गया में पितृपक्ष मेले की शुरुआत होती है.
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कुव्यवस्था के बीच किया पिंडदान
करपी ( अरवल) : किंजर के पुनपुन नदी तट पर अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के वास्ते पिंडदानियों का समूह गुरुवार को पिंडदान के लिए उमड़ पड़ा. कुव्यवस्था के बीच पिंडदानियों ने पिंडदान कर अपने पूर्वजों को मोक्ष की कामना की. बताते चलें कि सनातन धर्म में पूर्वजो के मोक्ष के लिए लोग गया में […]
विश्व में देश-विदेश के सनातन धर्मावलंबी अपने पूर्वज के मोक्ष के लिए पिंडदान करने आते हैं. गया में पिंडदान से पहले पुनपुन नदी में स्नान कर पिंडदान करने और तर्पण करने का बड़ा महत्व है. इसको लेकर पिंडदानी पुनपुन घाट और किंजर पुनपुन घाट के तट पर पहुंचते हैं. गुरुवार को किंजर पुनपुन घाट पर पड़ोसी राज्यों हरियाणा, गुजरात और बंगाल से दर्जनों पिंडदानी यहां पहुंचे.
इन सभी ने पूर्वजों के मोक्ष के लिए ब्राह्मणों की उपस्थिति में कर्मकांड करा कर पुनपुन नदी में पहला तर्पण किया. इसको लेकर दिन भर नदी तट पर मेले जैसा दृश्य था. हालांकि प्रशासन द्वारा पिंडदानियों के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं की गयी है. ऐसे में पिंडदानियों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि नदी तट पर जगह की उपलब्धता रहने के कारण पिंडदानियों को ज्यादा असुविधा तो नहीं हुई.
पिंड अर्पित करने के उपरांत पिंडदानियों का समूह देर शाम गया के लिए रवाना हो गया. मालूम हो कि किंजर स्थित पुनपुन घाट पर प्रति वर्ष पिंडदान करने के लिए भीड़ उमड़ती है. इस बात की जानकारी रहने के बावजूद स्थानीय प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों ने कोई इंतजाम नहीं किया. घाट पर सीढ़ी का निर्माण तो करा दिया गया है, लेकिन महिलाओं को कपड़ा बदलने के लिए रूम नहीं बनाया गया.
पिंडदान करने के लिए पहुंचे हजारों सैलानी
किंजर (अरवल). पुनपुन-किंजर नदी तट स्थित सूर्य मंदिर घाट पर सैलानियों की भीड़ लगी रही. गुरुवार को सुबह से ही अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रथम पिंडदान करने कई राज्यों से श्रद्धालु किंजर-पुनपुन नदी घाट पहुंचे.
सबसे पहले पुरुष पिंडदानियों सिर, दाढ़ी का मुंडन कराने के बाद अपने साथ लाये आचार्यों के द्वारा विधिपूर्वक पिंडदान की रस्म अदा की, फिर अंत में पुनपुन नदी में तर्पण कर गयाजी धाम के लिए प्रस्थान कर गये.
पहले दिन लगभग दो हजार महिला-पुरुष श्रद्धालु पहुंचे. किंजर आनेवालों में पश्चिम बंगाल के चक्रधरपुर से अरुण कुमार अग्रवाल, हनुमान शर्मा , कोलकाता, महाराष्ट्र से आसान नाड, इंद्र मोहन नाड, बरखा अग्रवाल, कोलकाता से मधुर अग्रवाल, राजस्थान से नरेश गहलौत, मध्य प्रदेश से जितेंद्र जोशी, मुंबई से कपिल अग्रवाल आदि ने अपने पुरखों की मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रथम पिंडदान का अनुष्ठान पूरा किया.
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