कुर्था : आजादी के बाद लंबे अरसों तक विकास की किरण से काफी अछूता रहे अरवल जिले के गोखुलपुर गांवों में न कोई संपर्क पथ न शिक्षा के लिए विद्यालय और न ही स्वास्थ्य के लिए कोई सरकारी चिकित्सा केंद्र की व्यवस्था थी. शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था से अनभिज्ञ रह रहे लोगों का खाना एवं कमाना व बदहाली में किसी तरह जिंदगी बिताना लोगों को जीने का मकसद बन कर रह गया था, जिस कारण नब्बे के दशक में माओवादियों का केंद्र बिंदु बन गया था.
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जहां कभी गरजती थीं बंदूकें, अब वहां जग रही है शिक्षा की जोत
कुर्था : आजादी के बाद लंबे अरसों तक विकास की किरण से काफी अछूता रहे अरवल जिले के गोखुलपुर गांवों में न कोई संपर्क पथ न शिक्षा के लिए विद्यालय और न ही स्वास्थ्य के लिए कोई सरकारी चिकित्सा केंद्र की व्यवस्था थी. शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था से अनभिज्ञ रह रहे लोगों का खाना एवं […]
इस गांव के लोग आपसी द्वेष और जमीनी विवाद से जूझकर अपनों के ही खून के प्यासे हो गये थे. इस गांव में अक्सर बंदूक की गोलियों की तड़तड़ाहट सुनायी देती थी, लेकिन आज इस गांव में शिक्षा की जोत जग रही है.
यह सब हुआ है इसी गांव के 65 वर्षीय वृद्ध गणेश यादव की वजह से. स्वयं अशिक्षित, लेकिन शिक्षा की अहमियत को पहचानने वाले गणेश यादव ने बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित किया और अपनी निजी जमीन दान स्वरूप देते हुए विद्यालय का निर्माण करवाया. वर्ष 2006 में स्थापित इस विद्यालय में सैकड़ों छात्र-छात्रएं शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. आज गांव में कई पक्की सड़कों का निर्माण हो चुका है. बिजली समेत तमाम बुनियादी सुविधाएं गांव में उपलब्ध हैं.
गांव के अधिकांश युवा हो रहे जागरूक : गांव के अधिकांश युवा शिक्षा के प्रति जागरूक हो रहे हैं. वर्तमान में ही आये मैट्रिक के रिजल्ट में उक्त गांव में लगभग 30 बच्चों ने मैट्रिक की परीक्षा पास की, जबकि इंटर की परीक्षा में 10 छात्रों का परिणाम बेहतर रहा. सबसे खुशी की बात यह है कि उक्त गांव के मुनारिक यादव जो भूमिहीन हैं, बावजूद उन्होंने अपने बच्चे को किसी तरह मजदूरी कर जहानाबाद के निजी कोचिंग संस्थानों में शिक्षा ग्रहण करा रहे हैं.
इस बाबत गांव के ही वार्ड सदस्य सह पूर्व उप मुखिया रामदीप यादव ने बताया कि 90 के दशक में जब यह गांव पूरी तरह उग्रवादी गतिविधियों से झुलस रहा था, तब उक्त गांव मखदुमपुर विधानसभा में पड़ता था, जिस पर मखदुमपुर विधानसभा के निवर्तमान विधायक बागी कुमार वर्मा ने गांव में एक सामुदायिक भवन बनवाया था. उसी सामुदायिक भवन में बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी जा रही थी.
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