अरवल जिले में एक साल में बिना हेलमेट 76 बाइकचालकों की हुई मौत
अरवल : आये दिन सड़क दुर्घटनाएं होती है, जिसमें दो पहिया वाहन चालकों की मौत हो जाती है. अधिकतर मौत का कारण हेलमेट नहीं पहनना सामने आता है. जिले में एक साल में सड़क दुर्घटनाओं में 76 लोगों की मौत हो चुकी है. जिले में लगातार हो रहे हादसों के बावजूद लोग सबक लेने के लिए तैयार नहीं हैं.
बिना हेलमेट वाहन चलाने वालों से पुलिस हर वर्ष लाखों रुपये जुर्माना वसूलती है. इसके बाद भी हेलमेट पहनने वालों की संख्या नहीं बढ़ रही है. लोग अपनी आदत में सुधार नहीं ला रहे.
पुलिस जब चेकिंग अभियान चलाती है तब लोग या तो जुर्माना भरते है या फिर पैरवी के लिए दौड़ लगाते है, लेकिन हेलमेट पहनना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं. बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए जिला-प्रशासन गंभीर है. आये दिन अभियान चलाकर पुलिस हेलमेट न पहनने वाले वाहन चालकों के चालान काटती है, लेकिन धरातल पर इसका कुछ असर नजर नहीं दिख रहा है.
जिले की सड़कों पर चालक बिना हेलमेट पहने धड़ल्ले से दो पहिया वाहन दौड़ाते नजर आते हैं. प्रमुख चौराहे हो या गलियां वाहन पर तीन या चार सवारियां बैठाकर घूमने से परहेज नहीं करते.
पुलिस से बचने के लिए कई वाहन चालक हेलमेट साथ लेकर जरूर चलते हैं, लेकिन सिर पर नहीं पहनते. जिले में एक साल में अब तक बिना हेलमेट 76 लोगों की मौत हो चुकी है. लगातार सड़क हादसे हो रहे हैं. ऐसे में हमें भी जागरूक होने की आवश्यकता है.
सड़क दुर्घटना में ज्यादातर मौत हेड इंजुरी से हो रही हैं, क्योंकि सड़क दुर्घटना में सिर पर गंभीर चोट लगने की वजह से बचने की संभावना कम रहती है. हेलमेट न पहनने पर यदि दुर्घटना होती है तब सिर पर गहरी चोट की आशंका रहती है. हादसे के बाद ठीक होने में ज्यादा समय लगता है. घायल व्यक्ति की जान जाने का खतरा रहता है.
यह है कानून
मोटर वाहन अधिनियम 1988 के सेक्शन 129 के तहत दो पहिया चालक को आइसआइ प्रमाणित हेलमेट पहनना अनिवार्य है. ऐसा न करने पर जुर्माना अदा करना पड़ सकता है. यदि आप अपने परिवार से प्यार करते हैं तो दो पहिया वाहन चलाते समय हर हाल में हेलमेट पहनें. चालक की जरा सी लापरवाही का खामियाजा परिजनों को भुगतना पड़ सकता है.
हेलमेट पहनने के फायदे
सिर पर चोट का खतरा 80 फीसदी टल जाता है.
जान जाने का खतरा 30 फीसदी कम हो जाता है.
अस्पताल में इलाज पर काफी कम खर्च आता है.
सर्दी, बरसात और गर्मी में सिर की सुरक्षा होती है.
नहीं पहने के घाटे
सड़क दुर्घटना होने पर सिर को क्षति पहुंचती है, साथ ही कई बार चोट इतनी गंभीर होती है कि जान भी चली जाती है. वहीं जांच अभियान के दौरान जुर्माना भरना पड़ता है.
अभियान चलाने के बाद भी जागरूक नहीं हो रहे लोग
हेलमेट पहनने के लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाया जाता है. इसके बाद भी लोग जागरूक नहीं हो रहे हैं. वाहन चेकिंग भी होती है, फिर भी लोग हेलमेट पहनकर गाड़ी चलाना दिनचर्या में शामिल नहीं कर पा रहे. जुर्माना देना ज्यादा पसंद करते हैं.
धीरेंद्र कुमार, डीटीओ, अरवल