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विद्यालय में नहीं हैं अंग्रेजी के शिक्षक, कैसे होगी पढ़ाई

कुव्यवस्था. हाल सरस्वती मंदिर उच्च विद्यालय खटांगी का प्रायोगिक शिक्षा की भी नहीं है कोई व्यवस्था करपी (अरवल) : गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की सरकारी स्तर कवायद की जा रही है. वादे और दावे भी किये जाते हैं कि पहले से हर एक क्षेत्र में विकास से स्थिति बेहतर हुई है लेकिन वंशी प्रखंड क्षेत्र के […]

कुव्यवस्था. हाल सरस्वती मंदिर उच्च विद्यालय खटांगी का

प्रायोगिक शिक्षा की भी नहीं है कोई व्यवस्था
करपी (अरवल) : गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की सरकारी स्तर कवायद की जा रही है. वादे और दावे भी किये जाते हैं कि पहले से हर एक क्षेत्र में विकास से स्थिति बेहतर हुई है लेकिन वंशी प्रखंड क्षेत्र के सरस्वती मंदिर उच्च विद्यालय खटांगी का हाल ठीक इसके विपरीत है. पहले जहां इस विद्यालय में छात्रावास की सुविधा उपलब्ध हुआ करती थी, वहीं अब यहां बैठने तक की भी जगह नहीं है. एक ऐसा भी दौर था कि इस विद्यालय में नामांकन होना सौभाग्य की बात समझी जाती थी. यहां पढ़ने वाले कई छात्र- छात्राओं ने अपनी प्रतिभा का लोहा राज्य में ही नहीं बल्कि देश स्तर पर मनवा चुके हैं. महान किसान नेता पंडित यदुनंदन शर्मा ने 1951 ई. में इस विद्यालय की नींव रखी थी. विद्यालय अपने स्थापना काल के बाद से उन्नत अवस्था के लिए चर्चित रहा था.
यहां शिक्षा का उत्कृष्ट मापदंड के कारण ही कई छात्र आज राज्य और राष्ट्र स्तर पर अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रहे हैं. इस सुनहरे अतीत को व्यवस्था के वर्तमान बदहाली ने विद्यालय को इस कदर बदहाल कर दिया है कि अब यह अपने वजूद के लिए संघर्ष कर रहा है. हालात ऐसे हैं कि विद्यालय में नामांकित 828 विद्यार्थियों के लिए मात्र दो कमरे ही उपलब्ध हैं.
व्यवस्था की हाईटेक सुविधा तो दूर की बात, यहां बुनियादी सुविधा तक उपलब्ध नहीं है. विद्यालय के माध्यमिक कक्षाओं में 650 छात्र- छात्राओं का नामांकन है, जिन्हें पढ़ाने के लिए 10 शिक्षक विद्यालय में पदस्थापित हैं. संस्कृत और अंग्रेजी विषय के शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं. हालांकि सामाजिक विज्ञान में 4 शिक्षक कार्यरत हैं.
विषयवार शिक्षकों की उपलब्ध नहीं रहने के कारण कई विषयों के कक्षा आयोजित होती ही नहीं है. बदहाली का इससे बड़ा प्रमाण क्या हो सकता है कि विद्यालय के टेन प्लस टू में नामांकित 178 छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक पदस्थापित नहीं है. परिणामस्वरुप यह विद्यालय सिर्फ फॉर्म और पंजीयन भरने का एक जरिया मात्र तक ही रह गया है. शिक्षा व्यवस्था के आधुनिक संसाधन कंप्यूटर शिक्षा की बात करना ही यहां पर बेमानी होगी. यहां प्रायोगिक शिक्षा की भी कोई व्यवस्था नहीं है.
हालांकि पुस्तकालय के नाम पर विद्यालय को पुस्तकें उपलब्ध कराई गई है लेकिन कमरे की कमी और पुस्तकालय अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने के कारण इसका कोई लाभ छात्र-छात्राओं को नहीं मिल पा रहा है. हालात यह है कि गांव में बिजली रहने के बावजूद भी विद्यालय में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है. इसे विडंबना ही कहेंगे कि जिस विद्यालय का इतिहास इतना गौरवशाली रहा है कि उसकी चर्चा आज भी लोग करते हुए गौरव महसूस करते हैं. उसका वर्तमान इस इस कदर बदहाल है
कि यहां पठन-पाठन के नाम पर महज खानापूर्ति के अलावा कुछ भी संभव नहीं है. विद्यालय में पढ़कर बाहर निकले छात्र-छात्राएं शिक्षा, पत्रकारिता और अन्य सामाजिक गतिविधियों में अपने उत्कृष्ट प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं वर्तमान समय में इस विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र- छात्राएं यहां सिर्फ पंजीयन और फॉर्म भरने तक ही नाता रखते हैं. पठन- पाठन के लिए वे लोग कोचिंग और ट्यूशन पर निर्भर रहने को विवश हैं.

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