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पारंपरिक के साथ ही व्यावसायिक खेती पर जोर
करपी (अरवल) : जिले के किसानों का सोच अब बदल रहा है. यहां के किसानों ने अब पारंपरिक खेती के साथ-साथ व्यावसायिक खेती करनी शुरू कर दी है. किसान तरक्की व आर्थिक समृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं. वहीं किसानों की माली हालत ठीक होने के साथ ही उनके घरों में खुशहाली लौट आयी है. […]
करपी (अरवल) : जिले के किसानों का सोच अब बदल रहा है. यहां के किसानों ने अब पारंपरिक खेती के साथ-साथ व्यावसायिक खेती करनी शुरू कर दी है. किसान तरक्की व आर्थिक समृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं. वहीं किसानों की माली हालत ठीक होने के साथ ही उनके घरों में खुशहाली लौट आयी है.
इन्हीं किसानों में से एक किसान हैं करपी प्रखंड के केयाल गांव निवासी गजेंद्र कुमार. इन्होंने अपनी मेहनत से अपनी जिंदगी ही बदल डाली है. इन्होंने व्यावसायिक खेती कर अपने एक बेटे को इंजीनियर बनाया. वहीं दूसरे बेटे को भी इंजीनियरिंग करा रहे हैं और एक भतीजे को भी इंजीनियरिंग की शिक्षा दिला रहे हैं.
सबसे पहले इन्होंने मकदुमा मथुरा उत्तर प्रदेश से जुड़ कर बकरीपालन से अपना सफर शुरू किया. इसके लिए प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत उन्होंने 25 बकरी से अपना छोटा-सा कारोबार शुरू किया. आज इनके पास हाईब्रिड नस्ल जमुना पारी, शिरोही व ब्लैक बंगाल आदि की लगभग सैकड़ों बकरियां हैं. वे बड़े ध्यान से सभी बकरियों की देखभाल करते हैं और उससे अच्छी-खासी आमदनी भी कर रहे हैं.
वे अपनी बीमार बकरियों का इलाज खुद करते हैं. बकरीपालन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए बिहार सरकार द्वारा एक लाख रुपये का चेक भी इन्हें मिल चुका है. इसके बाद वे मछली पालन का प्रशिक्षण दीप नारायण सेवा प्रतिष्ठान आईसीआर पटना से प्राप्त कर एक एकड़ में तालाब खोदवा कर रेहु मछली पालन कर उससे भी अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं.
इसके साथ-साथ डेढ़ बिगहे में फलदार वृक्ष आम की कई प्रजाति जैसे गुलाब खास, रानी खास, जवाहर, अल्फासो, चौंसा समेत अमरूद, अनार, लीची, जामुन, नीबू लगाये हुए हैं तथा खाली जगहों में अदरक की खेती भी करते हैं. ये न केवल अपने क्षेत्र के लिए बल्कि पूरे जिले के लिए रोल मॉडल बन चुके हैं.
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