कलेर (अरवल) : प्रखंड के बेलसार में स्थित सूर्य मंदिर का इतिहास काफी गौरवपूर्ण है. यहां लोगों की मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से भगवान सूर्यदेव की अाराधना कर मन्नत मांगते हैं, उनकी मन्नतें हर हाल में पूरी होती हैं. आस्था और विश्वास का अनूठा उदाहरण बना बेलसार सूर्य मंदिर न सिर्फ जिले के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना है, बल्कि यहां छठ पर्व के मौके पर प्रदेश के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान भास्कर को अर्घ देने पहुंचते हैं.
मंदिर का प्रभाव ऐसा है कि यहां हर भेदभाव मिट जाता है और सभी मिलकर भगवान भास्कर की भक्ति में रमे रहते हैं. कलेर प्रखंड मुख्यालय से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित बेलसार सूर्यमं दिर सोन नहर के तट पर स्थित है. एनएच 98 के किनारे स्थित रहने के कारण यहां आने-जाने में भी श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती है. यह मंदिर दिन-प्रतिदिन लोगों की आस्था का केंद्र बनता जा रहा है. यही कारण है कि अपने स्थापना काल से लेकर आज तक के समय में जिले के एक बेहतर सूर्य मंदिर होने का गौरव प्राप्त कर लिया है. आज से करीब 20 वर्ष पूर्व बना यह मंदिर नौलखा मंदिर के रूप में चर्चित है.
शुरुआत से लेकर आज तक इस मंदिर की चर्चा लोग मनोकामना मंदिर के रूप में करते हैं. यही कारण है कि प्रत्येक रविवार को दूर-दराज के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग दूध चढ़ाने आते हैं. इसके अलावा चैत्र एवं कार्तिक में होने वाले छठ पर्व में मधुश्रवां जैसा जन सैलाब उमड़ता है. लेकिन दुखद बात यह है कि लोगों की आस्था का केंद्र होने के बाद भी प्रशासनिक उदासीनता का शिकार होता जा रहा है. नहर किनारे मंदिर होने के कारण अक्सर घटनाएं घटने की आशंका बनी रहती है. पूर्व में एक-दो बार घटनाएं भी घट चुकी हैं. लोगों की मांग तटबंधों की घेराबंदी करने की है.