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आहर व पोखर के अस्तित्व पर खतरा

अरवल : जल संरक्षण के सहायक और प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ लाइफ लाइन के रूप में पहचान बनाने वाले जिला क्षेत्र के तमाम आहर व पोखर के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. आहर व पोखर की भूमि पर लोगों के शोषण की बुरी निगाहें पड़ने लगी है, जिस कारण जिले क्षेत्र के कई आहर […]

अरवल : जल संरक्षण के सहायक और प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ लाइफ लाइन के रूप में पहचान बनाने वाले जिला क्षेत्र के तमाम आहर व पोखर के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. आहर व पोखर की भूमि पर लोगों के शोषण की बुरी निगाहें पड़ने लगी है, जिस कारण जिले क्षेत्र के कई आहर व तालाब की भूमि पर अतिक्रमण करने का सिलसिला जारी है.

अतिक्रमण के कारण कई तालाब व पोखर का अस्तित्व समाप्त हो गया है. वहीं अन्य स्थानों पर अस्तित्व समाप्ति के कगार पर पहुंच गया है, जिस कारण भूमि जल संरक्षण पर खतरा मंडरा रहा है. पशु-पक्षियों का अाभ्यारण पर भी संकट के बादल मंडराने लगा है फिर भी स्थानीय प्रशासन व जनप्रतिनिधि द्वारा कोई कारगर कदम नहीं उठाया जा रहा है, जबकि सरकार द्वारा भू-जल संरक्षण के लिए कई प्रकार की योजनाएं चलायी जाने की घोषणाएं की गयी है.

मालूम हो कि पुराने समय में जिले क्षेत्र के अनेक गांवों में तालाब पोखर का निर्माण तत्कालीन प्रशासक व ग्रामीणों के सहयोग से दर्जनों तालाब, पोखर का निर्माण कराया गया था. इसका मुख्य उद्देश्य भू-जल संरक्षा के साथ-साथ पशु-पक्षियों एवं अन्य प्रकार के जीव-जंतुओं के साथ-साथ मानव जीवन के उपयोग के लिए किया गया था और एक समय में ग्रामीण इलाकों का तालाब व पोखर जीव-जंतुओं के साथ-साथ मानव जीवन के लिए लाइफ लाइन के रूप में कार्य करता था. एक समय में जिले क्षेत्र के तालाबों में जहां विदेशी पक्षियों को अभ्यारण स्थल हुआ करता था वहीं स्थानीय जीव-जंतुओं के मुख्य जल श्रोत के रूप में उपयोगी साबित होता था, लेकिन लोग इसकी महत्ता को नहीं समझकर इसी भूमि पर कब्जा जमाने का सिलसिला जारी कर दिया. जिसके कारण इन तालाबों का अस्तित्व समाप्त होने लगा और अब न अभ्यारण स्थल रहा और न भू-जल का सहयोगी भी नहीं रह सका. सदर प्रखंड के हसनपुर गांव, हैबतपुर, जलपुरा सहित अन्य गांवों में अवस्थित आहर पोखर व तालाब की स्थिति दयनीय बनी हुई है. वहीं हैबतपुर गांव अवस्थित अंग्रेजी हुकूमत के समय 14 एकड़ भूमि पर पोखर का निर्माण कराया गया था. वर्तमान समय में उक्त पोखर अतिक्रमण का शिकार हो गया है, जिस कारण पोखर का अस्तित्व समाप्ति की ओर है. अगर इस दिशा में स्थानीय प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया तो इन तमाम आहर व पोखर का अस्तित्व शीघ्र ही समाप्त हो जायेगा. जबकि भूमि जल संरक्षण के लिए विभाग द्वारा पोखर के निर्माण घोषणाएं की गयी है.
क्या कहते हैं गांव के लोग
इस प्रकृति संपदा को बचाने के लिए व्यापक स्तर से प्रचार-प्रसार करने की जरूरत है, ताकि लोग इसके हानि व लाभ को अच्छी तरह से समझ सके व इसके प्रति लोग सचेत होकर कार्य कर सके.
दिलीप कुमार
जिला प्रशासन को इस प्राकृतिक धरोहर को बचाने के लिए आगे आकर कार्य करना चाहिए ताकि भू-संरक्षण के उत्पन्न होने वाले खतरा को रोका जा सके. पोखरों के अस्तित्व को बचाना होगा.
सुनील पंडित
भू-संरक्षण के लिए आहर व पोखर का अहम भूमिका होता है. अगर इस प्राकृतिक संसाधनों को बचा कर रखा जाये तो आने वाले समय में भू-संरक्षण पर खतरा नहीं मंडरायेगा. जिले क्षेत्र के अनेक गांवों में तालाब पोखर का निर्माण तत्कालीन प्रशासक व ग्रामीणों के सहयोग से दर्जनों तालाब, पोखर का निर्माण कराया गया था.
श्याम बाबू
बोले पदाधिकारी
आहर-पोखर के निगरानी के लिए तीन विभागों को जिम्मेदारी सौंपी गयी है जिसके द्वारा आवश्यकता अनुकूल योजनाएं लायी जा रही हैं.
विंदेश्वरी प्रसाद, डीडीसी

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