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हेलहा गांव में है बुनियादी सुविधाओं की कमी, परेशानी

अनदेखी. सड़क के अभाव में छात्रों को होती है परेशानी वंशी (अरवल) : आजादी के कई वर्ष गुजरने के बाद भी हेलहा गांव बुनियादी सुविधाएं से आज भी वंचित है. सूबे में राजग सरकार के सत्ता रूढ़ होने के बाद ग्रामीणों की आशा जगी थी कि अब हमें सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं मिलेगी, […]

अनदेखी. सड़क के अभाव में छात्रों को होती है परेशानी

वंशी (अरवल) : आजादी के कई वर्ष गुजरने के बाद भी हेलहा गांव बुनियादी सुविधाएं से आज भी वंचित है. सूबे में राजग सरकार के सत्ता रूढ़ होने के बाद ग्रामीणों की आशा जगी थी कि अब हमें सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं मिलेगी, लेकिन अभी भी ग्रामीणों को आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कोई पहल नहीं हुई है. सड़क के अभाव में ग्रामीणों को किंजर बाजार आने में पैदल लंबी दूरी तय करने को विवश हैं. बरसात के दिनों में पुनपुन नदी जब उफान पर होती है तो हेलहा गांव की स्थिति टापू जैसी हो जाती है.
सड़क निर्माण के लिए ग्रामीणों कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधि तथा आला अधिकारी के समक्ष लिखित आवेदन कर गुहार लगाया लेकिन गांव में सड़क जैसे सुविधा नहीं पहुंची. आवागमन के अभाव में गांव की स्थिति काफी दयनीय बनी हुई है. आज भी गांव के लोग पगडंडी के सहारे आने जाने को विवश हैं, जबकि यह गांव अरवल-जहानाबाद मुख्य सड़क एनएच 110 से तीन किलोमीटर की दूरी पर बसा है.
जहां की आबादी 500 से ऊपर है. संसाधनों के अभाव के कारण इसका असर युवा वर्ग पर काफी पड़ रहा है. सड़क के अभाव में गांव के विकास कार्यों का कार्यान्वयन गर्मी के दिनों में होता है. हल्की बारिश होने पर पैदल चलने को ग्रामीण विवश है. ग्रामीण कहते हैं कि सड़क के अभाव में स्कूली छात्रों पर भी असर पड़ा है. गांव में प्राथमिक विद्यालय है लेकिन उच्च शिक्षा के लिए किंजर , मिर्जापुर जाने को विवश हैं. अरवल तथा पटना जिले की सीमा पर दहिया पंचायत अंतर्गत हेलहा गांव बसा है जहां के आज भी ग्रामीण सड़क,
स्वास्थ्य, शिक्षा समेत अन्य विकास की बाट जोह रही है. शंभु शरण सिंह ने बताया कि सड़क निर्माण के लिए ग्रामीण जन -प्रतिनिधि तथा आला अधिकारी के समक्ष लिखित गुहार लगायी. बराबर आश्वासन ही मिला, लेकिन आजादी के वर्षों बीतने के बाद भी गांव को सड़क मार्ग से नहीं जोड़ा गया.
ग्रामीण एनएच 110 से सड़क निर्माण की मांग की है. स्वास्थ्य सुविधा के लिए ग्रामीणों को लंबी दूरी पैदल तय कर अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र किंजर या 15 किलोमीटर की दूरी पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पालीगंज जाना पड़ता है. गांव में चिकित्सा व्यवस्था के लिए भी सरकार की ओर से कोई पहल नहीं हुई है. शिक्षा के नाम पर गांव में काफी प्रयास के बाद प्राथमिक विद्यालय बना है, लेकिन विद्यालय में शिक्षकों की कमी के कारण बराबर बच्चों की पढ़ाई पर ग्रहण लगा रहता है. शिक्षा में सुधार करने की मांग ग्रामीणों ने कई बार विभागीय पदाधिकरी से की है, लेकिन आज तक शिक्षा में सुधार नहीं हुआ. ग्रामीण दिलीप सिंह, अशोक सिंह, संतोष सिंह ने बताया कि चुनाव के समय गांव में प्रतिनिधि वोट के लिए आते हैं तथा बड़े-बड़े आश्वासन देकर गांव के विकास की बात करते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही जनप्रतिनिधि भी हमलोगों की समस्या से मुंह मोड़ लेते हैं. आवागमन के अभाव में गांव के विकास पर ग्रहण लगा है. ग्रामीणों को मुख्य पेशा खेती पर निर्भर है. गांव में कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ के दंश झेलने को मजबूर हैं. गांव के आवागमन को लेकर सड़क निर्माण की मांग पियरपुरा पंचायत के पूर्व युवा मुखिया चंदन कुमार कुशवाहा ने जिला प्रशासन से की है. ग्रामीणों ने बताया कि सड़क निर्माण को लेकर ग्रामीण आंदोलन करेंगे.

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