चरपोखरी.
सरकारी योजनाओं में लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद किस तरह से लापरवाही और देख-रेख का अभाव उन्हें बर्बादी के कगार पर ला खड़ा करता है. इसका जीता-जागता उदाहरण चरपोखरी प्रखंड परिसर में देखा जा सकता है. प्रखंड मुख्यालय जिसे साफ-सुथरा और स्वच्छ होना चाहिए, वह आज खुद गंदगी और बदबू का अंबार बन चुका है. बता दें कि प्रखंड परिसर को स्वच्छ रखने के उद्देश्य से लाखों रुपये की लागत से परिसर के चारों ओर नाला, ड्रेनेज सिस्टम और पास में ही एक सार्वजनिक यूरिनल का निर्माण कराया गया था, जो आज प्रखंड परिसर में केवल वह बदबू का एक केंद्र बन कर रह गया है.नाल देखरेख के अभाव में ध्वस्त हो चुका है, जिसमे गंदगी का अंबार लगा हुआ है, जिससे यह बजबजा रहा है. आसपास के क्षेत्र में भयंकर बदबू फैल रही है. वहीं दूसरी ओर नाले के समीप ही निर्मित सार्वजनिक यूरिनल जिसे प्रशासन ने हजारों रुपये खर्च करके बनवाया था. अब टूट-फूट कर पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है. स्थानीय लोगों के अनुसार, देख-रेख न होने के कारण यह धीरे-धीरे टूटता चला गया और आज यह किसी काम का नहीं रहा. चरपोखरी निवासी पूर्व मुखिया विजय बहादुर सिंह, प्रदीप कुमार, निखिल कुमार और कृष्णा कुमार सहित अन्य का कहना है की जब सरकार के लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद प्रखंड परिसर जैसी सबसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक जगह पर निर्माण कार्य देख-रेख के अभाव में चंद दिनों में ही बदबू के पत्थर बन गये हैं, तो अन्य सुदूर या ग्रामीण सार्वजनिक जगहों की स्थिति क्या होगी. इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है. लोगों ने प्रखंड प्रशासन और उच्चाधिकारियों से तुरंत इस मामले का संज्ञान लेने, बदहाल नाले की सफाई कराने और टूट चुके सार्वजनिक यूरिनल को दोबारा दुरुस्त कराने की मांग की है. उनका मानना है कि यह स्थिति प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठने लायक है.
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