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पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के आगरा बॉर्डर आउट पोस्ट पर तैनात भोजपुर के लाल कपिलदेव सिंह तस्करों से लोहा लेते हुए शहीद हो गये. सोमवार को उनका शव पैतृक गांव गजराजगंज ओपी के मसाढ़ गांव पहुंचा, जहां अंतिम दर्शन को लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. जैसे ही एंबुलेंस गांव में दाखिल हुई, हर ओर से “कपिलदेव सिंह अमर रहें”, “जब तक सूरज चांद रहेगा, कपिलदेव सिंह तेरा नाम रहेगा” के नारे गूंजने लगे. महिलाएं, बुजुर्ग और युवा सभी की आंखें नम थीं. वहीं शव के घर आते ही चीत्कार मच गया. पत्नी-बेटी रो-रोकर बेसुध होने लगीं. बेटी एक ही रट लगाये हुए थी कि “अब हम पापा केकरा के कहम. पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए जनप्रतिनिधियों, पुलिस प्रशासन और बीएसएफ के जवानों का हुजूम लग गया. संदेश विधानसभा के विधायक किरण देवी के पुत्र दीपू राणावत, एमएलसी राधा चरण साह, मुखिया प्रिया सिंह, प्रतिनिधि राकेश सिंह समेत कई लोग पहुंचकर कपिलदेव सिंह के तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और परिजनों को सांत्वना दी. बता दें कि उदवंतनगर प्रखंड के मसाढ़ गांव निवासी शिव पूजन सिंह के 58 वर्षीय पुत्र कपिलदेव सिंह 31 अक्टूबर 1984 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे. उनकी शादी सुनीता देवी से हुई है. उन्हें एक बेटी कंचन सिंह एवं एक बेटा रितिक रौशन है. बेटा स्नातक की पढ़ाई कर रहा है. कपिलदेव सिंह दो साल पहले 88 बटालियन मालदा में ज्वाइन किये थे. छह माह पूर्व इंस्पेक्टर पद पर प्रमोशन हुआ था. वर्तमान में पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के नारायणपुर कैंप में इंस्पेक्टर पद पर पदस्थापित थे. इधर, शहीद जवान के दामाद लव कुमार सिंह ने बताया कि वो हर रोज की तरह शुक्रवार को भी ड्यूटी के लिए आगरा बोर्डर आउट पोस्ट पर कंपनी कमांडेंट के तौर ड्यूटी पर तैनात थे. इसी बीच तस्कर बॉर्डर क्रॉस करने की कोशिश कर रहा था. कपिलदेव सिंह के द्वारा तस्कर को पीछे हटने की बात बोली गयी, लेकिन तस्कर उनकी एक बात भी नहीं मानी और बॉर्डर पार करने लगा, तभी कपिलदेव सिंह के द्वारा एक राउंड फायरिंग की गयी. उसके बाद तस्कर को पकड़ने के लिए खुद दौड़ पड़े. कुछ दूर आगे दौड़ने के बाद जमीन पर गिर पड़े और अस्पताल ले जाने के दौरान उनकी मौत हो गयी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

