उदवंतनगर
. भगवान कृष्ण ने गीता में संपूर्ण समर्पण का संदेश दिया है. उन्होंने कहा कि मैं ही सब हूं. सर्वेश्वर हूं. मुझसे ही सृष्टि का सृजन व लय होता है. मनुष्य को पूरे मनोयोग व निष्ठा से अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए. कर्म के अनुसार फल देने वाला भी मैं ही हूं. उक्त बातें तपोमूर्ति संत योगीराज सुन्दराज (यतिराज )महाराज ने कोहड़ा गांव में आयोजित श्रीलक्ष्मीनारायण सह श्रीमद्भागवत महायज्ञ को संबोधित करते हुए कहा. उन्होंने श्रीमद्भागवत महापुराण के द्वितीय अध्याय की चर्चा करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि मनुष्य जन्म से मृत्यु तक जाने अनजाने जो भी पाप करता है वह एक बार नारायण का नाम लेने से निष्क्रिय हो जाता है. हमें पूरे मनोयोग से सृष्टि के संचालक श्रीहरि नारायण का नाम जाप करना चाहिए. नाम का बड़ा प्रभाव है. मनुष्य को दैहिक दैविक व भौतिक तापों से मुक्ति मिलती है. स्वामी जी ने धर्मार्थ कार्य करने तथा सनातन संस्कृति की रक्षा का आह्वान किया. कहा कि इन दिनों सनातन धर्म पर चतुर्दिक प्रहार हो रहा है. आज धर्म के अनुरूप आचरण करने की जरूरत आन पड़ी है. सतयुग त्रेता , द्वापर व कलियुग सहित हर युग में मनुष्य का कल्याण भगवंत व संत से ही हो सकता है. वहीं शिवेश तिवारी ने कृष्ण के बाल लीला के प्रसंग को सुनाया.पद्मनाभ स्वामी के सौजन्य से आयोजित श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ में दूर-दूर से श्रद्धालु आए. आयोजन कमिटी ने बताया कि 23 अप्रैल को यज्ञ की पूर्णाहुति भंडारे के साथ होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है