आरा. वर्ष 2018 में ही काफी तामझाम के साथ नगर निगम द्वारा गीले कचरे से खाद बनाने की योजना बनायी गयी थी. इससे नगर निगम के साथ किसानों को भी लाभ होने की बात कही गयी थी. पर दो वर्ष बीत जाने के बाद भी इस पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गयी. इससे एक तरफ किसानों को काफी हानि हुई. वहीं दूसरी तरफ नगर निगम को राजस्व के क्षेत्र में कोई लाभ नहीं मिल पाया. इस प्रक्रिया से नगर की गंदगी से लोगों को निजात मिल जाती. पर यह संभव नहीं हो पाया.
रोजगार देने की भी थी योजना : घरों के गीले कचरों से खाद बनाने की प्रक्रिया में कई लोगों को रोजगार मुहैया कराने की योजना थी. प्रक्रिया में कई लोगों को काम मिलता. पर धरातल पर इसका अमल नहीं होने के कारण लोग रोजगार से वंचित रह गये. इस योजना से गांव व शहर दोनों को लाभ होता. पर निगम की लालफीताशाही व कार्यशैली से किसी को कोई लाभ नहीं हो सका. इस प्रोजेक्ट को एक भी वार्ड में अभी तक शुरू नहीं किया गया है.
नाम बड़े और दर्शन छोटे वाली है स्थिति : विगत कुछ वर्षों से सरकारी महकमों में यह प्रचलन जड़ पकड़ चुका है कि तामझाम वाली योजना का लोगों को सब्जबाग दिखाया जाये और वाह-वाही लुटा जाये. लोगों में उम्मीद जगाकर छवि बनायी जाये. पर योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं होने से लोगों में निराशा होती है और लोग परेशान होते हैं.
कौन-कौन से होने थे काम : जैविक कचरा को सिटी कंपोस्ट में परिवर्तित करने का ढांचा तैयार करना व संचालन करना. पुनर्चक्रित योग्य कचरा का वर्गीकरण व बिक्री. कचरे को घर के स्तर पर वर्गीकृत करने के लिए गृहस्वामियों व व्यावसायिक संस्थानों में जागरूकता कार्यक्रम चलाना. कचरा संग्रहित करनेवाले व कचरे को प्रोसेस करनेवाले कर्मियों को प्रशिक्षित करना.
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