आरा. महान समाज सुधारक एवं विचारक महात्मा ज्योतिराव फुले की जयंती कोईलवर प्रखंड के उच्च माध्यमिक विद्यालय चंदा काजीचक में मनायी गयी. सर्वप्रथम, विद्यालय के शिक्षक/शिक्षिका एवं छात्र-छात्राओं के द्वारा ज्योतिबा फुले के तैलचित्र पर माल्यार्पण करते हुए पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया गया. महात्मा ज्योतिबा फुले की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए विद्यालय के प्रधानाध्यापक, डॉ दयाशंकर प्रसाद ने कहा कि ज्योतिबा फुले 19वीं सदी में महाराष्ट्र के समाज सुधार आंदोलन के प्रमुख एवं अग्रणी व्यक्ति थे. उन्होंने महिलाओं और निम्न वंचित जातियों के लोगों की शिक्षा के महत्व पर जोर दिया एवं अस्पृश्यता और जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ी. विद्यालय के शिक्षक रोहित कुमार राहुल ने बच्चों को संबोधित करते हुए और जानकारी साझा करते हुए बताया कि ज्योतिबा फुले अपनी पत्नी साबित्रिबाई फुले के साथ मिलकर भारत का पहला बालिका विद्यालय खोलने का काम किये. दलितों और अन्य वंचित समूहों को शिक्षित करने के लिए प्रयत्न किये. उन्होंने सत्यशोधक समाज की स्थापना जो एक सामाजिक सुधारक संगठन था. इस संगठन के माध्यम से जाति व्यवस्था और अन्याय के खिलाफ जीवन भर संघर्ष करते रहे जिसका परिणाम है कि पूरा भारत ज्योतिबाफुले, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की विचारधारा को अपनाकर सामाजिक उत्थान में अग्रसर है. हमें भी ऐसे महापुरुष के आदर्शों को अपनाकर समाज के वंचित वर्ग को विकास की मुख्यधारा में लाने की जरूरत है. मौके पर, विद्यालय के शिक्षक/शिक्षिका अर्चना कुमारी, शालिनी, आंचल गोस्वामी, उषा कुमारी, रजिया खातून, विनीता कुमारी, सुषमा गुप्ता, सीमा कुमारी, गोपाल जी, प्रदीप कुमार, सुमन कुमार संजय कुमार राम, इमरान अहमद, इंद्रजीत चौधरी, चंदन कुमार, सुनील कुमार, छात्रा संजना कुमारी, सपना कुमारी, राखी कुमारी, दिव्या कुमारी, छात्र सुधांशु शेखर कुणाल, अमित, राहुल सहित सैकड़ों छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रही.
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