आरा.
श्री दिगंबर जैन चंद्रप्रभु मंदिर में चातुर्मास कर रहे मुनिश्री विशल्य सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में बताया कि अध्यात्म मार्ग पर चलकर ही जीवन का कल्याण संभव है. वैसे तो अध्यात्म का मार्ग सभी के लिए है. अध्यात्म के मार्ग पर कोई भी मनुष्य चल सकता है. अध्यात्म विज्ञान की प्रयोगशाला के समान है. इसलिए यह भी यह बताना जरूरी है कि बिना सही मार्ग दर्शन के अध्यात्म के मार्ग पर चलना सही नहीं है. समय के साथ अध्यात्म से जुड़ना भी बहुत जरूरी है. अध्यात्म वो शिक्षा है, जिसको पाने के बाद उसकी प्यास बढ़े न की कम हो. यह बात सच है कि समय एक ऐसी गाड़ी के समान है जिसमें रिवर्स गियर या ब्रेक नहीं होते. इसका मतलब है कि समय निरंतर आगे बढ़ता रहता है.हम उसे वापस नहीं ला सकते या उसे रोकने के लिए कोई ब्रेक नहीं लगा सकते.एक बार समय बीत गया, तो वह चला गया. इसलिए समय रहते अपने जीवन के कल्याण के लिए अध्यात्म से जुड़ना जरूरी है. मीडिया प्रभारी निलेश कुमार जैन ने बताया कि मुनिसंघ के चातुर्मास कलश स्थापना समारोह में भिण्ड (मध्य प्रदेश) से पधारे सैकड़ों की संख्या में मुनिभक्तों ने सोमवार को मुनिश्री का भावपूर्वक पूजन, भक्ति, आराधना कर अपने जीवन को धन्य किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है