डीएम की अध्यक्षता में हुई जिला समन्वय समिति की बैठक रोग नियंत्रण संबंधी उपायों की मजबूती के लिये डीएम ने अधिकारियों को दिये निर्देश प्रतिनिधि, अररिया जिले में एईएस व जेई के संभावित खतरों को देखते हुए जिला प्रशासन रोग नियंत्रण संबंधी उपायों की मजबूती में जुट गया है. एईएस व जेई के खतरों से निबटने के लिये डीएम अनिल कुमार की अध्यक्षता में जिला समन्वय समिति की बैठक सोमवार को आयोजित की गयी. समाहरणालय स्थित आत्मा सभागार में आयोजित बैठक में स्वास्थ्य, शिक्षा, पशुपालन, जीविका, आईसीडीएस, जिला परिवहन विभाग सहित संबंधित अन्य विभाग के अधिकारी व कर्मी मौजूद थे. डीएम ने अधिकारियों को एईएस व जेई के संभावित खतरों के प्रति सतर्क व सावधान करते हुए विभिन्न स्तरों पर रोग नियंत्रण संबंधी उपायों की मजबूती के लिये जरूरी दिशा निर्देश दिये. डीएम अनिल कुमार ने बताया कि गर्मी के मौसम में एईएस व जेई के प्रसार की आशंका हमेशा बनी रहती है. ऐसे में संबंधित सभी विभाग आपसी समन्वय को बेहतर बनाते हुए पहले से ही जरूरी एहतियाती कदम उठायें. ताकि किसी भी स्थिति से निपटा जा सके. उन्होंने कहा कि रोग नियंत्रण संबंधी उपायों की मजबूती सामूहिक जिम्मेदारी है. इसमें किसी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी. उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को एईएस व जेई को लेकर स्कूलों में विशेष जागरूकता अभियान संचालित करने का निर्देश दिया. पशुपालन विभाग को सुअर पालन वाले इलाकों में विशेष सतर्कता बरतने के लिये डीएम ने निर्देशित किया. सूअर के बाड़ों के आसपास साफ-सफाई व दवा के छिड़काव को उन्होंने जरूरी बताया. नगर निकाय व पंचायती राज विभाग को साफ-सफाई व जल-जमाव की समस्या से निपटने के लिये बेहतर इंतजाम सुनिश्चित कराने के लिये निर्देशित किया. जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा एईएस व जेई नियंत्रण को लेकर किये गये इंतजाम की जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डॉ केके कश्यप ने बताया कि जिले के सभी पीएचसी में एईएस व जेई के मरीजों के लिये दो बेड आरक्षित रखे गये हैं. वहीं सदर अस्पताल में 10 बेड व अनुमंडल अस्पताल फारबिसगंज में 05 बेड क्षमता वाला विशेष वार्ड संचालित है. रोग प्रबंधन के उद्देश्य से सभी संस्थानों को एईएस इमरजेंसी ड्रग किट उपलब्धता कराया गया है. रोग संबंधी गंभीर मामले सामने आने पर उच्च चिकित्सा संस्थान रेफर करने के लिये नि:शुल्क एंबुलेंस सेवा उपलब्ध होने की जानकारी उन्होंने दी. जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ अजय कुमार ने बताया कि यह रोग खासतौर पर 01 से 15 साल तक के बच्चों को प्रभावित करता है. कुपोषित बच्चे, वैसे बच्चे जो बिना भरपेट भोजन किये रात में सो जाते हों, खाली पेट कड़ी धूप में लंबे समय तक खेलने, कच्चे व अधपके लीची का सेवन करने वाले बच्चों को ये रोग आसानी से अपनी चपेट में ले सकता है. बेहोशी, शरीर में चमकी, हाथ व पांव में थरथराहट, रोग ग्रस्त बच्चों का शारीरिक व मानसिक संतुलन बिगड़ना एईएस व जेई के सामान्य लक्षण हैं. इस तरह का कोई लक्षण दिखने पर तत्काल नजदीकी अस्पताल में जरूरी जांच व इलाज कराने की अपील उन्होंने लोगों से की. मौके पर डीवीबीडीओ राम कुमार, डीपीएम संतोष कुमार सहित अन्य स्वास्थ्य अधिकारी मौजूद थे.
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