मृतक एसएसबी जवान बागनगर थाना महलगांव का रहने वाला प्रतिनिधि, अररिया. न्यायमंडल अररिया के चतुर्थ जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश रवि कुमार की अदालत ने सोमवार को भरी अदालत में ग्रामीण रंजिश में षडयंत्र कर ग्रामीण सह एसएसबी जवान की निर्मम हत्या करने का मामला प्रमाणित होने पर जिले के महलगांव थाना क्षेत्र के बागनगर गांव के लालटू उर्फ अरविंद यादव, पिता भोला नाथ यादव, अशोक यादव पिता स्व तुलसी प्रसाद यादव, अशोक साह पिता परमानंद साह, नरेंद्र कुमार यादव पिता जितन लाल यादव व मलहरिया गांव के बीरेंद्र मंडल पिता स्व मोहन लाल मंडल को आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. सभी आरोपितों को विभिन्न धाराओं में 60-60 हजार रुपये जमा करने का आदेश दिया है. राशि अदा नहीं करने पर आरोपितों को 01-01 वर्ष का सश्रम कारावास की सजा भुगतने का भी आदेश जारी किया गया है. सरकार की ओर से पीपी लक्ष्मीनारायण यादव व एपीपी प्रभा कुमारी मंडल ने बताया कि यह सजा एसटी 633/2016 अररिया थाना कांड संख्या 585/2016 में दिया गया है. घटना के संबंध में बताया कि 06 सितंबर 2016 के अपराह्न 04 बजे के बाद बागनगर चौरा खोल शिवमंदिर के निकट एबीसी नहर के साथ घात लगाये पांचों अभियुक्तों ने एसएसबी जवान मुरली यादव की हत्या गला मरोड़कर कर दिया. साक्ष्य छुपाने के लिए शव को एबीसी नहर के पानी में छुपा दिया था. मामले में ग्राम महलगांव के मृतक के भाई कन्हैया यादव ने अभियुक्तों के विरुद्ध अररिया थाना कांड संख्या 585/2016 दर्ज करवाया था. पीपी लक्ष्मीनारायण यादव ने बताया कि एफआइआर 07 सितंबर 2016 में दर्ज हुआ, जबकि आरोप पत्र 30 सितंबर 2016 को न्यायालय में समर्पित किया गया. जहां न्यायालय के न्यायाधीश ने आरोपितों के विरुद्ध 09 नवंबर 2016 को ही संज्ञान ले लिया. इस मामले में आरोप गठन 04 फरवरी 2017 को हुआ. इसमें आरोपितों ने अपने आप को निर्दोष बताया था. आरोप गठन (चार्जफ्रेम) के बाद न्यायालय में 27 फरवरी 2017 से साक्ष्य प्रारंभ किया गया. जिसके तहत 14 साक्षियों ने न्यायालय में अपना साक्ष्य प्रस्तुत किया. सभी साक्षियों ने घटना का पूर्ण समर्थन किया. साक्षियों के बयान से संतुष्ट होकर न्यायालय के न्यायाधीश ने सभी पांचों आरोपितों को दोषी पाया. सजा के बिंदु पर पीपी लक्ष्मीनारायण यादव व एपीपी प्रभा कुमारी मंडल ने फांसी की सजा देने की अपील की, जबकि बचाव पक्ष से वरीय अधिवक्ता कृष्णमोहन सिंह, देवनारायण सेन उर्फ देबूसेन व मो जब्बार हुसैन ने अपने-अपने मुवक्किल के लिए कम से कम सजा देने की गुहार लगायी. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय के न्यायाधीश रवि कुमार ने आरोपितों को भादवि की धारा 302 व 120 बी के तहत आजीवन कारावास व प्रत्येक आरोपितों को 50 हजार रुपये का जुर्माना साथ ही भादवि की धारा 201 के तहत प्रत्येक आरोपितों को 05 साल की सजा व 10 हजार रुपये जुर्माना देने का आदेश दिया. बताया गया कि सभी सजा साथ-साथ चलेंगी.
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