फारबिसगंज. फारबिसगंज में भैया दूज पर गोधन कुटाई का पर्व मनाया गया. इस पर्व को भैया दूज के नाम से भी कई स्थान पर मनाया जाता है. इस पर्व में गोधन कुटाई के दौरान महिलाएं अपने भाइयों के नाम से बद्दुआ देती हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से भाइयों की आयु बढ़ जाती है. भाई दूज का त्योहार बड़े हीं धूमधाम के साथ मनाया गया. हर साल कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज का पर्व बहनें अपने भाईयों की लंबी उम्र के लिए मना रहीं हैं. इस साल दो दिन भाई दूज पर्व मनाया गया. बहनें भाई दूज के दिन व्रत व पूजा कर भाई के माथे पर तिलक लगा उसके कुशल जीवन की कामना कर रहीं हैं. नगर परिषद की मुख्य पार्षद वीणा देवी ने बताया कि अनुराधा नक्षत्र व सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जा रहा है. इस दिन जहां बहनें भाई की लंबी आयु के लिए प्रार्थना कर रहीं हैं, वहीं भाई उसकी रक्षा का संकल्प लेते हुए उपहार दे रहे हैं. गुरुवार को महिलाओं द्वारा भगवान गोवर्धन की पूजा-अर्चना भी किया गया. ऐसी मान्यता है कि भाई दूज के दिन बहन के घर भोजन करना व उन्हें उपहार देना अत्यंत शुभ माना गया हैं. ऐसा करने से यम का दुष्प्रभाव कम होता है. भाई दूज के दिन बहन सायंकाल अर्थात गोधूलि बेला में यमराज के नाम से चौमुख दीपक जला कर घर के बाहर रखेंगी. दीपक का मुख दक्षिण दिशा की ओर होगा. दीपक जलाने की पीछे मान्यता है कि दैहिक, दैविक व भौतिक संतापों से भाई की सुरक्षा होती है. यमराज व यमुना नदी का होता है, इस अवसर पर बहने-भाइयों को आंगन में बिठा कर चावल, दूब, पान आदि से चुमाती है व भाईयों की लंबी उम्र की कामना करतीं हैं. बताया कि महिलाएं गोबर से पहले भगवान गोधन की आकृति तैयार करती हैं. उसके साथ हीं छाप, बिच्छू आदि जानवर की आकृति भी बनाती हैं. उसके बाद जुबान पर अलग-अलग वस्तुओं को रखकर भाई के नाम लेकर बद्दुआ देती हैं. जिनमें चना, कटीली झाड़ी ,कंकड़ आदि भी शामिल रहती हैं. इस पर्व को ज्यादातर लोग भाई दूज के नाम से मनाते हैं. गोधन कुटाई के पर्व के तौर पर भी जाना जाता है. इस मौके पर फारबिसगंज नगर परिषद की मुख्य पार्षद वीणा देवी ने बताया कि यह दीपावली के अगले दिन हीं मनाया जाने वाला पर्व है. हालांकि इस वर्ष दीपावली के एक दिन बाद इस पर्व को मनाया गया.
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