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सीएमआर गबन की जांच करेगी एसआइटी

स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम को छह माह के अंदर इस मामले से जुड़े हर चेहरे को बेनकाब करते हुए जांच की रिपोर्ट हाइकोर्ट को सौंपनी है अररिया : पिछले छह वर्षों से बिहार राज्य खाद्य निगम के बकाया 12.15 करोड़ सीएमआर(चावल) गबन के आरोपी प्रमादी मीलरों पर सिकंजा कसने के लिए इस मामले की जांच की […]

स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम को छह माह के अंदर इस मामले से जुड़े हर चेहरे को बेनकाब करते हुए जांच की रिपोर्ट हाइकोर्ट को सौंपनी है

अररिया : पिछले छह वर्षों से बिहार राज्य खाद्य निगम के बकाया 12.15 करोड़ सीएमआर(चावल) गबन के आरोपी प्रमादी मीलरों पर सिकंजा कसने के लिए इस मामले की जांच की जिम्मेवारी हाइकोर्ट के आदेश पर एसआइटी को सौंपी गयी है.
जानकारी अनुसार स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम को छह माह के अंदर इस मामले से जुड़े हर चेहरे को बेनकाब करते हुए जांच की रिपोर्ट हाइकोर्ट को सौंपनी है. बताया गया है कि मामले के त्वरित निष्पादन के लिए बिहार के पांच जिलों में नये कोर्ट की भी स्थापना की जायेगी. इन पांच जिलों में पटना, गया, पूर्णिया, मुजफ्फरपुर व भागलपुर शामिल है.
पूर्णिया में स्थापित होने वाले कोर्ट के अधीन अररिया के इस बड़े गबन मामले की सुनवाई होगी. अब तक इस मामले की जांच की जिम्मेवारी स्थानीय थानों के पास थी. एक प्रमादी मिलर पूर्णिमा राइस मिल के मामले की जांच आर्थिक अपराध इकाई कर रही है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब आर्थिक अपराध इकाई के अलावा इसकी जांच एसआइटी भी करेगा.
एसआइटी को जांच का जिम्मा मिलते ही तत्कालीन अधिकारियों व कर्मियों के हाथ पांव फूलने लगे हैं. माना जा रहा है कि इस मामले में एसआइटी की जांच में सभी तथ्यों का खुलासा हो पायेगा. जिसे आज तक दबाया जाता रहा है. बताया जाता है कि पूर्णिमा राइस मिल का एग्रीमेंट एक ठेला वाले के नाम से करने वाले पदाधिकारी, कर्मी भी इस मामले की जांच की जद में आ सकते हैं.
क्या है मामला
वित्तीय वर्ष 2011-12 में दो प्रमादी मिलर महावीर फुड प्रोडक्ट व कुण्डो हुसकिंग राइस मिल पश्चिम बंगाल द्वारा 50.342 एमटी धान का लगभग 9 लाख 58 हजार 74 रुपये का गबन किया गया था. वित्तीय वर्ष 2012-13 में 08 प्रमादी मिलर गोलछा उद्योग फारबिसगंज, शिव विजय उद्योग फारबिसगंज, अशोक ट्रडिंग चकरदाहा, मां अंबे राइस मिल अररिया, जय लक्ष्मी उद्योग फारबिसगंज के अलावा पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर स्थित न्यू सरकार राईस मिल, अनिकेत मनीष राइस मिल,
बाबा विश्वकर्मा राइस मिल करणदिग्घी द्वारा 7227.739 एमटी धान का लगभग 15.65 करोड़ से अधिक का सीएमआर का गबन किया गया था. वित्तीय वर्ष 2013-14 में अकेले ही पूर्णिमा राइस मिल पूर्णिया फ्लावर मिल कृष्णापुरी निवासी प्रोपराइटर दीपक कुमार साह पिता हरिशचंद्र प्रसाद साह द्वारा 3360.287 एमटी लगभग 8.32 करोड़ से ज्यादा के सीएमआर का गबन कर लिया गया. इन तीनों वित्तीय वर्षों में लगभग 11 प्रमादी मिलरों द्वारा लगभग 24.07 करोड़ से अधिक के सीएमआर गबन का दोषी पाया गया था.
लेकिन इनमें से जय मां अम्बे अररिया, महावीर फुड प्रोडेक्ट, कुण्डों हुसकिंग राइस मिलर, जय मां अम्बे, शिव विजय उद्योग व गोलछा उद्योग फारबिसगंज के द्वारा अपने ऊपर बकाये राशि लगभग 11.91 करोड राशि जमा कर दिया गया है. लेकिन अब तक पश्चिम बंगाल के तीन मिलरों, जिले के दो मिलर व पूर्णिमा राइस मिल द्वारा बकाया राशि जमा नहीं कराया गया है.
18 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटानी होगी राशि
बिहार राज्य खाद्य निगम के उप प्रमुख दावा निगम मुख्यालय के पत्रांक 285 दिनांक 11 जनवरी 2017 के अनुसार प्रमादी मिलर अगर अपने ऊपर बकाये की राशि का भुगतान कर भी देते हैं, तो उनसे सीएमआर के राशि के एवज में ब्याज का भी भुगतान करना होगा. निगम द्वारा हाइकोर्ट में डाले गाये वाद की पैरवी में सीएमआर की वसुलनीय राशि के साथ 18 प्रतिशत ब्याज राशि की भी मांग की गयी है. यह ब्याज गबन किये गये वर्ष से लिये जाने की बात कही गयी है.
हालांकि जिन मिलरों द्वारा गबन की गयी राशि जमा की गयी है. अभी भी उनका व दोषी मिलरों का वाद हाइकोर्ट में दायर है. हाइकोर्ट के निर्णय के बाद ही यह सामने आयेगा कि निगम को कितना ब्याज प्रमादी मिलर द्वारा दिया जायेगा अथवा नहीं दिया जायेगा.
कहते हैं डीएमएसएफसी
इस संबंध में पूछे जाने पर डीएमएसएफसी बीरेंद्र नाथ गुप्ता ने बताया कि हाइकोर्ट के आदेश पर प्रमादी मिलरों की जांच की कार्रवाई एसआइटी को सौंपी गयी है. मामले के त्वरित निष्पादन के लिए नये कोर्ट की स्थापना का भी निर्णय माननीय न्यायालय द्वारा लिया गया है.

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