आशा. भूकंप की त्रासदी व आंदोलन से उबर रहा पड़ोसी देश
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नेपाल को नव वर्ष में भारतीय सैलानियों के आने का इंतजार
आशा. भूकंप की त्रासदी व आंदोलन से उबर रहा पड़ोसी देश यूं तो िपकनिक मनाना हर िकसी को पसंद होता है. िफर बात अगर नये साल की हो, तो कहना ही क्या. नव वर्ष 2017 की िपकनिक इसलिए भी खास होगी क्योंिक सूबे में लागू िनयमों के मुताबिक अब लोगों को सादे तरीके से नव […]
यूं तो िपकनिक मनाना हर िकसी को पसंद होता है. िफर बात अगर नये साल की हो, तो कहना ही क्या. नव वर्ष 2017 की िपकनिक इसलिए भी खास होगी क्योंिक सूबे में लागू िनयमों के मुताबिक अब लोगों को सादे तरीके से नव वर्ष मनाना होगा, जबकि पड़ोसी देश नेपाल में सभी सुिवधाएं होंगी.
अररिया : कुछ ऐसा ही समय वर्ष 2016 में भी था. लेकिन कल और आज में काफी फर्क होता है. किसी ने सही कहा कि परिस्थिति का चक्र अपनी धुरी पर घूमता रहता है. नये साल के आगाज में अब कुछ दिनों का फासला बाकी है. वर्ष 2016 में इंज्वॉय मनाने के बहुत मायने थे. लेकिन नेपाल उस वक्त भूकंप व मधेशी आंदोलन से त्रस्त था. लोग नेपाल जाने से परहेज कर रहे थे. लेकिन परिस्थिति अभी नेपाल के अनुकूल है. नव वर्ष के मौके पर इंज्वॉय के कुछ मायने लोग अलग भी लगाते हैं. खुशियां मनाने के लिए लोग शराब को अच्छा विकल्प मानते हैं. परिस्थिति बदल चुकी है. शराब सेवन तो दूर शराब का नाम लेना ही अब अपराध की श्रेणी में आ चुका है.
रहें सतर्क, नहीं तो खानी पड़ सकती है जेल की हवा
यह अलग बात है कि जिले का 102 किलोमीटर का दायरा नेपाल की सीमा से सटा हुआ है. लेकिन वहां पर इंज्वाय कर घर वापसी का सपना लोगों को घरों की बजाय जेल की हवा खिला सकता है. इस लिए लोगों ने अपने इंज्वॉय के लिए बेहतर विकल्प के रूप में नेपाल का चयन तो कर रहे हैं. वहां पर रात गुजारने की भी भरपूर तैयारी चल रही है. सीमापार नेपाल में भी इन परिस्थितियों को भांपते हुए नव वर्ष को लेकर कुछ अगल ही लुक देने की तैयारी में वहां के बार व होटल व्यवसाय से जुड़े लोग लगे हुए हैं. नेपाल में नव वर्ष के सेलिब्रेसन को लेकर लोगों द्वारा होटल में कमरा बुक करने का सिलसिला भी जारी है. हालांकि नोटबंदी के कारण भी बहुत सारे लोगों की मनोभावना दबी की दबी नजर आ रही है.
होटल व बार व्यवसाय को लोगों के आगमन की आस
नेपाल के विराटनगर का बीयर बार, डासिंग बार हो या फिर अन्य होटल भी न्यू इयर के सेलीब्रेसन के लिए सज कर तैयार है. कई बियर बार तो अपने पुराने ग्राहकों से मोबाइल पर संपर्क साध कर न्यू इयर मनाने के लिए बुलावा भेज रहे हैं. जबकि होटलों में कमरा की बुकिंग भी शुरू हो चुकी है. नेपाल के एक होटल संचालक ने बताया कि पिछले वर्ष आये भूकंप व मधेशी आंदोलन के कारण लोगों की आवाजाही न के बराबर हुई. उसके बाद पिछले माह अक्तूबर माह में नोटबंदी की घोषणा के बाद उनलोगों का व्यवसाय पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है. लेकिन लोग नव वर्ष को सेलीब्रेट करने के लिए जरूर पहुंचेंगे. इसलिए तैयारी शुरू कर दी गयी है.
कई ग्राहक तो फोन कर रूम भी बुक करा रहे हैं. हालांकि भारतीय सीमा क्षेत्र पर उत्पाद विभाग व पुलिस की सतत निगरानी भी लोगों को बरबस ही नेपाल की और रुख करने को मजबूर कर रहे हैं.
कई मायनों में महत्वपूर्ण है नेपाल में नव वर्ष का सेलिब्रेसन
वैसे तो नेपाल में अंग्रैजी कलेंडर के तर्ज पर माने जाने वाले नव वर्ष को कोई खास क्रेज नहीं रहता है. लेकिन नेपाल का पर्यटन विभाग विदेशी सैलानियों के आने की बाट जरूर जोहते हैं. देखा जाये तो इन अवसरों पर नेपाल की पहाड़ से ढकी वादियां गुलजार नजर आती हैं. इसके कई कारण हैं पहला तो वहां हिंदु धर्म के लोगों के लिए मंदिरों की खासी शृंखला है. नेपाल के मुंग्लिंग में स्थित मनोकामना मंदिर हो, मुक्तिनाथ, बाबा पशुपतिनाथ, पाथीभारा, धरान की दंत काली,
पिंडेश्वर नाथ या चतरागद्दी के वादियों में स्थित वराहक्षेत्र का रमणीय स्थल बरबस ही हिंदु धर्मावलंबियों को अपनी तरफ आकर्शित करता है. नेपाल में घूमने की लोगों की चाहत इसलिए भी अधिक होती है कि वहां पर पर्यटन करना सस्ता होता है. साथ ही सभी प्रकार के अपेक्षा भी पूरी हो जाती है. हालांकि नेपाल का कोसी क्षेत्र भी भारतीय सैलानियों को अपनी और आकर्षित करता है. नेपाल के कोशी बराज पर कोशी की मछली के लजीज स्वाद का आनंद लेने भी लोग वहां पहुंचते हैं.
खास बातें
नेपाल की हरी-भरी वादियों में नव वर्ष के सेलिब्रेशन को लेकर की गयी है विशेष तैयारी
होटल व बार व्यवसाय से जुड़े लोग कर रहे हैं सैलानियों को आकर्षित करने के उपाय
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