पंकज झा, अररिया : फसल सिंचाई की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिये सरकार ने अहम फैसला लेते हुए सरकारी नलकूपों के संचालन व रखरखाव का जिम्मा पंचायतों को सौंपने का निर्णय लिया है. इससे पहले फसल सिंचाई के लिये नलकूपों के निर्माण इसके संरक्षण व देखरेख का जिम्मा पूरी तरह पीएचईडी के जिम्मे था.
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नलकूपों का संचालन व रखरखाव करेंगी ग्राम पंचायतें
पंकज झा, अररिया : फसल सिंचाई की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिये सरकार ने अहम फैसला लेते हुए सरकारी नलकूपों के संचालन व रखरखाव का जिम्मा पंचायतों को सौंपने का निर्णय लिया है. इससे पहले फसल सिंचाई के लिये नलकूपों के निर्माण इसके संरक्षण व देखरेख का जिम्मा पूरी तरह पीएचईडी के जिम्मे था. […]
पीएचईडी द्वारा लगाये गये अधिकांश नलकूप समुचित देखरेख के अभाव में बंद पड़े रहने की शिकायत को देखते हुए सरकार ने इसके समुचित संचालन का जिम्मा पंचायतों को सौंपने का निर्णय लिया है. पूर्व में राजकीय नलकूपों को किसी निजी संस्था व व्यक्ति को रखरखाव का जिम्मा सौंपा गया था.
उनसे यह जिम्मेदारी हस्तानांतरित कर पंचायत को सौंप दिया जायेगा. खराब पड़े नलकूपों की मरम्मति का जिम्मा संबंधित विभाग पर होगा. पहले चरण में बंद पड़े नलकूपों को पंचायत का हस्तानांतरित किया जाना है. दूसरे चरण में चालू नलकूप भी हस्तानांतरित कर दिये जायेंगे.
पंचायत का कार्य असंतोष जनक पाये नलकूप वापस ले सकेगा विभाग . पंचायतों पर इन नलकूपों के मरम्मति, संचालन व रखरखाव करना है. नलकूप पूरी तरह से राज्य सरकार की संपत्ति बनी रहेगी. पंचायत का कार्य असंतोष जनक पाये जाने पर विभाग कभी भी उनसे नलकूप वापस ले सकेंगे.
खराब पड़े नलकूप की मरम्मति पर अगर खर्च होने वाली राशि 15 लाख से अधिक होती है. तो इसका निविदा का प्रकाशन संबंधित विभाग द्वारा कराया जाना अनिवार्य होगा. सबसे पहले मरम्मति पर आने वाले खर्च का डीपीआर तैयार किया जायेगा.
इसकी तकनीकी स्वीकृति विभाग द्वारा दिया जायेगा. डीपीआर की प्रति पंचायतों को उपलब्ध कराया जायेगा. पंचायत स्वयं, किसी दूसरे संवेदक या विभाग द्वारा बनाये गये संवेदकों के पैनल में से किसी भी संवेदक को यह काम दे सकती है. विभागीय अभियंता तकनीकी पर्यवेक्षण तक सीमित रहेगा. मरम्मति पर आने वाला खर्च पंचायतों को कार्य प्रगति के आधार पर तीन किस्तों में अदा की जायेगी.
पंचायत को होगा पटवन की दर निर्धारित करने व इसे वसूलने का अधिकार . नलकूप के माध्यम से सिंचाई का पटवन शुल्क निर्धारित करने का अधिकार पंचायतों के पास रहेगा. पंचायत इसकी वसूली के लिये पूरी तरह जिम्मेदार होगा. वसूली गयी राशि मोटर पंप या चैनल के रख-रखाव पर खर्च किया जा सकेगा.
पटवन शुल्क के रूप में प्राप्त आय से ही पंप चालक का मानदेय का भुगतान करना होगा. पंचायत अगर जरूरी समझे तो नलकूप के चैनल निर्माण के लिये मनरेगा या किसी अन्य योजना से राशि प्राप्त कर सकेगा. ताकि नलकूप का लाभ पंचायत के ज्यादा से ज्यादा किसानों को उपलब्ध कराया जा सके.
पंचायत के मुखिया होंगे नलकूप संचालन के सर्वेसर्वा: डीडीसी
नलकूपों के सफल संचालन को लेकर गुरुवार को डीडीसी इनामुल हक अंसारी की अध्यक्षता में एक बैठक बुलाई गयी. इसमें जिले के विभिन्न पंचायत के मुखिया ने भाग लिया. डीडीसी ने बैठक में कहा कि पंचायत के मुखिया नलकूप संचालन के सर्वेसर्वा होंगे. उन्हें पटवन की दर इसकी वसूली सहित अन्य कई विशेषाधिकार प्राप्त होगा. सरकार ज्यादा से ज्यादा किसानों तक सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिये संकल्पित है.
इसमें पंचायत के मुखिया को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है. बैठक में मौजूद अररिया प्रखंड मुखिया संघ के अध्यक्ष आसिफुर्रहमान ने कहा कि देरी से ही सही सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला बिल्कूल सही है. पंचायत राज कानून में भी इसका उल्लेख है. सरकार के इस फैसले से सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में बसे किसानों की पटवन से जुड़ी समस्या खत्म हो जायेगा.
जिला स्तर पर गठित समन्वय समिति करेगा पूरी प्रक्रिया की मोनेटरिंग
नलकूपों के संचालन इसके रख-रखाव सहित अन्य प्रक्रिया की मोनेटरिंग का जिम्मा जिला स्तर पर गठित समन्वय समिति पर होगा. इसके लिये पांच सदस्यीय जिला स्तरीय समन्वय समिति का गठन किया जायेगा.
समन्वय समिति में डीडीसी पदेन अध्यक्ष होंगे. इसके अलावा लघु जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता इस समिति के सदस्य सचिव होंगे. जिला पंचायती राज पदाधिकारी, संबंधित विभाग के सहायक व कनीय अभियंता सहित प्रखंड विकास पदाधिकारी इस समिति के सदस्य होंगे.
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