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बनीं 35, आवंटित हुईंं 20, कहां गयीं 15 दुकानें

अनियमितता : सवाल जो कर रहे हैं गड़बड़ी की तरफ इशारा शुरू हुआ 105 दुकानों का निर्माण 24 अक्तूबर 2010 को हुई थी 32 दुकानों की लॉटरी, तीन दुकानों की क्यों नहीं करायी गयी थी लॉटरी अररिया : सात वर्ष पूर्व नप ने राजस्व के मुनाफा के उद्देश्य से तीन स्थानों पर मार्केटिंग कॉम्पलेक्स के […]

अनियमितता : सवाल जो कर रहे हैं गड़बड़ी की तरफ इशारा

शुरू हुआ 105 दुकानों का निर्माण
24 अक्तूबर 2010 को हुई थी 32 दुकानों की लॉटरी, तीन दुकानों की क्यों नहीं करायी गयी थी लॉटरी
अररिया : सात वर्ष पूर्व नप ने राजस्व के मुनाफा के उद्देश्य से तीन स्थानों पर मार्केटिंग कॉम्पलेक्स के निर्माण में करोड़ों की राशि तो खर्च की लेकिन वह उद्देश्य आज भी पूरा होता नहीं दिख रहा है. सदर अस्पताल के पास निर्माणाधीन कॉम्पलेक्स का 70 कमरा जमीन संबंधी विवाद में कोर्ट का चक्कर लगा रहा है तो मीरा टॉकिज के पास बने 23 में से तीन अवैध कब्जा धारियों के कब्जे में है, जबकि अररिया आरएस में निर्मित 12 दुकान बगैर एकारनामा का ही नप को राजस्व चुकाये बिना अवैध कब्जा का शिकार बना हुआ है.
दिलचस्प बात तो यह है कि 24 अक्तूबर 2010 से पहले ही सभी इच्छुक प्रतिभागियों को इस बात से अवगत करा दिया गया था कि लॉटरी के बाद आवंटित दुकानों की चाबी एकरारनामा के बाद ही दी जायेगी. लॉटरी हुआ भी. प्रतिभागियों को दुकान भी आवंटित हुए. मीरा टॉकिज के पास बने 23 में से 20 दुकानों का ही लॉटरी कराया गया. तीन दुकान का आवंटन या फिर लॉटरी सात वर्षों के बाद भी नहीं हो पाया. अररिया आरएस के 12 निर्मित दुकानों का भी लॉटरी हुआ.
यहां पर आवंटन इसलिए नहीं हो पाया कि उस वक्त दुकानदारों द्वारा एकारनामा नहीं कराया गया. बावजूद बगैर आवंटन के इन विवादित 15 दुकानों की चाबी अवैध कब्जाधारियों तक कैसे पहुंची. आखिर किसके इशारे पर इन दुकानों की चाबी नप से निकलकर दुकानों पर कब्जा जमाये अवैध कब्जाधारियों तक पहुंची.
सात वर्षों में नप के अधिकारियों ने अवैध कब्जा का शिकार इन दुकानों को क्यों नहीं खाली कराया. किसके दबाव में ऐसी कार्रवाई पर रोक लगी रही. कौन सात वर्षों से इन 15 दुकानों का भाड़ा वसूलता रहा. यह बड़ा सवाल नप वासियों के जेहन में कौंध रहा है. इनके अनुसार अगर प्रभात खबर इस मुद्दों को नहीं दिखाती तो करोड़ों रुपये के वारे -न्यारे का खेल बंद कमरे में ही चलता रहता.
42 लाख रुपये के राजस्व की होती प्राप्ति : एक अनुमान के मुताबिक सात वर्षों में इन 105 दुकानों से जहां से नप को तकरीबन 42 लाख का राजस्व प्राप्त हो सकता था. आवंटित 20 दुकानों से सात वर्षों में सही तरीके से 08 लाख रुपये का भी राजस्व प्राप्त नहीं हो पाया है. नगर परिषद द्वारा शहर में चार स्थानों पर मार्केटिंग कॉम्पलैक्स बनाया गया था.
इनमें से चांदनी चौक में वर्ष 1997-98 में 13 दुकान बनाये गये थे. इनसे प्रति माह 480 रुपये नप को राजस्व के रूप में प्राप्त होता है. अप्रैल 2016 में वर्तमान कार्यपालक पदाधिकारी व नप बोर्ड की सहमति से यहां पर भाड़े में बढ़ोतरी करते हुए 500 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया. मीरा टॉकिज के पास स्थित दुकानों के भाड़े में बढ़ोतरी करते हुए 600 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया. सारी प्रक्रियाएं तो पूरा होती रही लेकिन अररिया आरएस के 15 दुकान व मीरा टॉकिज के 03 दुकान कहां गये. इसकी तलाश सात वर्षों में भी नहीं हो पायी.

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